साँसों की ज़रूरत है जैसे १-आशिकी १९९०
परदे पर राहुल रॉय और पार्श्व में कुमार सानू ने गाया है. फिल्म इसी
गीत से शुरू होती है.
इसका फीमेल वर्ज़न जिसे अनुराधा पौडवाल ने गाया है, आप पहले सुन
चुके हैं. बोल और संगीत उन्हीं के हैं जिनके पहले गीत में थे.
साँसों की ज़रूरत है जैसे
साँसों की ज़रूरत है जैसे ज़िंदगी के लिये
बस एक सनम चाहिये आशिक़ी के लिये
बस एक सनम चाहिये आशिक़ी के लिये
जाम की ज़रूरत है जैसे
जाम की ज़रूरत है जैसे बेखुदी के लिये
हाँ एक सनम चाहिये आशिक़ी के लिये
बस एक सनम चाहिये आशिक़ी के लिये
वक़्त के हाथों में सबकी तक़दीरें हैं
वक़्त के हाथों में सबकी तक़दीरें हैं
आईना झूठा है सच्ची तसवीरें हैं
जहाँ दर्द है वहीं गीत है
जहाँ प्यास है वहीं मीत है
कोई ना जाने मगर जीने की यही रीत है
साज़ की ज़रूरत है जैसे
साज़ की ज़रूरत है जैसे मौसीक़ी के लिये
बस एक सनम चाहिये आशिक़ी के लिये
हो हो हो हो हो हो हो
हो हो हो हो हो हो हो
मंज़िलें हासिल हैं फिर भी एक दूरी है
बिना हमराही के ज़िंदगी अधूरी है
मिलेगी कहीं कोई रहगुज़र
तन्हा कटेगा कैसे ये सफ़र
मेरे सपने हो जहाँ
ढूंढूं मैं ऐसी नज़र
चांद की ज़रूरत है जैसे
चांद की ज़रूरत है जैसे चांदनी के लिये
बस एक सनम चाहिये आशिक़ी के लिये
बस एक सनम चाहिये आशिक़ी के लिये
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Saanson ki zaroorat hai 1-Aashiqui 1990
Artist: Rahul Roy
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