इक दिल के टुकड़े हज़ार हुए-प्यार की जीत १९४८
पास दिल हो वही बतला सकता है दिल के टुकड़े सौ हुए या हज़ार.
ये तो कविता शेर शायरी वाली बात हो गई. असल में तो बिना दिल
के मतलब बॉडी के पम्पिंग स्टेशन के बिना जीवन की कल्पना ही
नहीं की जा सकती.
कोई यहाँ गिरा कोई वहाँ गिरा पञ्च लाइन है गीत की. यह गीत
लिखा है कमर जलालाबादी ने और इसकी धुन हुस्नलाल भगतराम
ने बनाई है.
गीत के बोल:
इक दिल के टुकड़े हज़ार हुए
इक दिल के टुकड़े हज़ार हुए
कोई यहाँ गिरा कोई वहाँ गिरा
कोई यहाँ गिरा कोई वहाँ गिरा
बहते हुए आँसू रुक न सके
बहते हुए आँसू रुक न सके
कोई यहाँ गिरा कोई वहाँ गिरा
जीवन के सफ़र में हम जिनको
समझे थे हमारे साथी हैं
जीवन के सफ़र में हम जिनको
समझे थे हमारे साथी हैं
दो क़दम चले फिर बिछड़ गए
दो क़दम चले फिर बिछड़ गए
कोई यहाँ गिरा कोई वहाँ गिरा
आशाओं के तिनके चुन-चुन कर
सपनों का महल बनाया था
आशाओं के तिनके चुन-चुन कर
सपनों का महल बनाया था
तूफ़ान से तिनके बिखर गए
तूफ़ान से तिनके बिखर गए
कोई यहाँ गिरा …
………………………………………………………………
Ik dil ke tukde hazaar hue-Pyar ki jeet 1948
0 comments:
Post a Comment