सावन में बरखा सताये-बीबी और मकान १९६६
से. इसे गाया है हेमंत कुमार ने अपनी ही धुन पर.
मावठे की बारिश देश के कई भागों में हो चुकी है और मावठा
भी सावन की याद दिला ही देता है.
गीत के बोल:
सावन में बरखा सताये
पल-पल छिन-छिन बरसे
तेरे लिये मन तरसे
तेरे लिये मन तरसे
तू ही बता दे सावन समझ न आये
अग्नि लगाये कहीं अग्नि बुझाये
तू ही बता दे सावन समझ न आये
अग्नि लगाये कहीं अग्नि बुझाये
बरखा रसीली जैसे तेरी हँसी हो
हँस दे ज़रा रस बरसे
तेरे लिये मन तरसे
तेरे लिये मन तरसे
सावन में बरखा सताये
पल-पल छिन-छिन बरसे
तेरे लिये मन तरसे
तेरे लिये मन तरसे
आज तो बरसने दे इन बादलों को
गोरी मिली है कोई इन साँवलों को
आज तो बरसने दे इन बादलों को
गोरी मिली है कोई इन साँवलों को
बरखा रंगीली जैसे नैन हो तेरे
नैन मिला रंग बरसे
तेरे लिये मन तरसे
तेरे लिये मन तरसे
सावन में बरखा सताये
पल-पल छिन-छिन बरसे
तेरे लिये मन तरसे
तेरे लिये मन तरसे
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Sawan mein barkha sataye-Biwi aur makaan 1966
Artist: Biswajeet
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