Feb 3, 2018

ज़ुल्फ़ रातों सी है-मेहँदी हसन गज़ल

अहमद फराज़ की लिखी एक गज़ल सुनते हैं मेहँदी हसन की
आवाज़ में.

गज़ल में जो लॉयन होते हैं उनमें से गाने वाले कभी कभार एक
दो को छोड़ दिया करते हैं. इसमें भी एक कम है.




गज़ल के बोल:

ज़ुल्फ़ रातों सी है रंगत है उजालों जैसी
ज़ुल्फ़ रातों सी है रंगत है उजालों जैसी
पर तबीयत है वो ही भूलने वालों जैसी
ज़ुल्फ़ रातों सी है रंगत है उजालों जैसी
ज़ुल्फ़ रातों सी है

ढूँढता फिरता हूँ लोगों में शबाहत उसकी
ढूँढता फिरता हूँ लोगों में शबाहत उसकी
के वो ख़्वाबों में भी लगती है ख़यालों जैसी

ज़ुल्फ़ रातों सी है रंगत है उजालों जैसी
पर तबीयत है वो ही भूलने वालों जैसी
ज़ुल्फ़ रातों सी है रंगत है उजालों जैसी
ज़ुल्फ़ रातों सी है

उसकी बातें भी दिल-आवेज़ हैं सूरत की तरह
उसकी बातें भी दिल-आवेज़ हैं सूरत की तरह
मेरी सोचें भी परीशां मेरे बालों जैसी

ज़ुल्फ़ रातों सी है रंगत है उजालों जैसी
पर तबीयत है वो ही भूलने वालों जैसी
ज़ुल्फ़ रातों सी है रंगत है उजालों जैसी
ज़ुल्फ़ रातों सी है

उसकी आँखों को कभी गौर से देखा है 'फ़राज़'
उसकी आँखों को कभी गौर से देखा है 'फ़राज़'
रोने वालों की तरह जागने वालों जैसी

ज़ुल्फ़ रातों सी है रंगत है उजालों जैसी
पर तबीयत है वो ही भूलने वालों जैसी
ज़ुल्फ़ रातों सी है रंगत है उजालों जैसी
ज़ुल्फ़ रातों सी है
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Zulf raaton si hai-Non film song

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