खुश रहो अहले चमन-मैं चुप रहूंगी १९६२
से गाये गीत एक दूसरे के पर्याय ऐसे ही गानों में हैं.
राजेंद्र कृष्ण के गीत के लिए चित्रगुप्त ने एक कमाल
की धुन तैयार की तो सुनने वालों के दिल बाग बाग
हो गए. धन्य हैं चित्रगुप्त.
इस शानदार अलौकिक गायकी के आगे कौन नतमस्तक
नहीं होना चाहेगा.
गीत के बोल:
खुश रहो अहले चमन हम तो चमन छोड़ चले
खुश रहो अहले चमन
खाक़ परदेस की छानेंगे वतन छोड़ चले
खुश रहो अहले चमन
भूल जाना हमें हम याद के क़ाबिल ही नहीं
भूल जाना हमें हम याद के क़ाबिल ही नहीं
क्या पता दें के हमारी कोई मज़िल ही नहीं
अपनी तक़दीर के दरिया का तो साहिल ही नहीं
खुश रहो अहले चमन
कोई भूले से हमें पूछे तो समझा देना
एक बुझता हुआ दीपक उसे दिखला देना
आँख जो उसकी छलक जाये तो बहला देना
खुश रहो अहले चमन
रोज़ जब रात के आंचल में सितारे होंगे
रोज़ जब रात के आंचल में सितारे होंगे
ये समझ लेना के वो अश्क़ हमारे होंगे
और किस हाल में हम दर्द के मारे होंगे
खुश रहो अहले चमन हम तो चमन छोड़ चले
खुश रहो अहले चमन
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Khush raho ahle chaman-Main chup rahoongi 1962
Artist: Meena Kumari
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