सच्चा है गर प्यार मेरा-झुक गया आसमान १९६८
या तो फिल्म के लेखन में सहयोगी प्रयाग राज को
देख के शंकर जयकिशन को याहू याद आया या कोई
और वजह है इसकी.
शंकर जयकिशन के गीतों के शुरूआती संगीत को सुन
कर आप गाने के मूड के बारे में नहीं बतला सकते कि
वो नागपुर जाने वाला है या कानपुर.
शैलेन्द्र का लिखा गीत है जिसे रफ़ी ने गाया है. इसे
आपने ज़रूर सुना होगा एक ना एक बार. इसे सर्दी
इफेक्ट सोंग कह सकते हैं. गाने वाले को सर्दी लग
रही है और भारी सर्दी में उससे गाना गवाया जा रहा
है.
गीत के बोल:
प्रिया प्रिया
सच्चा है गर प्यार मेरा सनम
होगे जहां तुम वहाँ होंगे हम
ये धड़कनें भी अगर जायें थम
जब भी पुकारो सदा देंगे हम
ये अजब सा राज़ है ये अजीब बात है
ये अजब सा राज़ है ये अजीब बात है
अपना प्यार तब से है जब से कायनात है
प्रिया प्रिया
मर के भी ये प्यार होगा न कम
होगे जहां तुम वहाँ होंगे हम
होये होये
सच्चा है गर प्यार मेरा सनम
होगे जहां तुम वहाँ होंगे हम
झूमने लगी फ़िजा गीत गा उठा गगन
झूमने लगी फ़िजा गीत गा उठा गगन
और हवाओँ ने कहा फिर कहीं पे है मिलन
प्रिया ए प्रिया
मिलेंगे दो दिल कहीं ये क़सम
होगे जहां तुम वहाँ होंगे हम
सच्चा है गर प्यार मेरा सनम
होगे जहां तुम वहाँ होंगे हम
क्यूँ न सात आसमान आयें अपनी राह में
क्यूँ न सात आसमान आयें अपनी राह में
साया बन के साथ हूँ मैं तुम्हारी चाह में
मर के रुकेंगे न अब ये क़दम
होगे जहां तुम वहाँ होंगे हम
सच्चा है गर प्यार मेरा सनम
होगे जहां तुम वहाँ होंगे हम
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Sachcha hai pyar(happy)-Jhuk gaya aasman 1968
Artists: Rajendra Kumar, Saira Bano
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