Aug 22, 2018

तूफ़ान मेल-जवाब १९४२

सालों से हम ये गीत सुनते आ रहे हैं. आपकी पता नहीं
मैं तो सुन ही रहा हूँ और मेरे जैसे कई पुरानी चीज़ों के
शौक़ीन इसे सुन रहे होंगे. किस ज़माने का ये गीत है और
देखिये आज भी प्रासंगिक है, कम से कम इसका मुखडा
तो हैं ही.

तूफ़ान मेल जैसी कोई चीज़ भारतीय रेलवे या उससे पहले
की रेल कंपनियों के पास नहीं थी. तूफ़ान एक्सप्रेस नाम
की ट्रेन अलबत्ता ज़रूर है जो हावड़ा से नई दिल्ली चला
करती थी और अब श्रीगंगानगर तक जाती है. इसे अब
उद्यान आभा एक्सप्रेस नाम से जाना जाता है. पंजाब मेल
काफी पुरानी ट्रेन है. बॉलीवुड की मेहरबानी है इस नाम
से एक फिल्म भी आई तूफ़ान मेल(१९३२) और बाद में
रिटर्न ऑफ तूफ़ान मेल(१९४२).

अब उदाहरण के लिए एक गाना आपने सुना होगा जिसमें
‘गुलाई गुलाई गो’ जैसे शब्द आये हैं. गुलाई गुलाई गो से
कोई अर्थ निकलना कठिन है. ऐसे सैकड़ों शब्द हैं सैकड़ों
गीतों में जिनका अर्थ लिखने वाले और सुनने वालों दोनों
को मालूम नहीं है. गुलाई गुलाई गो गीत ऑस्कर के लिए
सदा तैयार आमिर खान पर फिल्माया गया है और तब जिस
ज़माने में वे कैसी भी फ़िल्में कर लिया करते थे. अब कल
को हो सकता है किसी फिल्म का नाम ही रख दिया जाए
गुलाई गुलाई गो.

सुनते हैं पंडित मधुर का लिखा हुआ ये मधुर गीत जिसे गाया
है कानन देवी ने कमल दासगुप्ता की धुन पर.



गीत के बोल:

तूफ़ान मेल
दुनिया ये दुनिया तूफ़ान मेल

इसके पहिये ज़ोर से चलते
और अपना रस्ता तय करते
सयाने इस से काम निकालें
बच्चे समझे खेल
तूफ़ान मेल
कोई कहाँ का टिकट काटता
एक है आता एक है जाता
सभी मुसाफ़िर बिछड़ जायेंगे
पल भर का है मेल
तूफ़ान मेल

जो जितनी पूँजी है रखता
उसी मुताबिक़ सफ़र वो करता
जीवन का है भेद बताती
ज्ञानी को ये रेल
तूफ़ान मेल
…………………………………………….
Duniya ye duniya toofan mail-Jawab 1942

Artist: Kanan Devi

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