देखकर दिलक़शी ज़माने की-गुलाम अली ग़ज़ल १९८८
गज़लों का एक एल्बम आया था हसीं लम्हे नाम से.
इसके ४ वोल्यूम आये थे एक एक कर के.
इनमें से अब्दुल हमीद अदम की रचना सुनते हैं.
गीत के बोल:
देख कर दिलक़शी ज़माने की
आरज़ू है फ़रेब खाने की
ऐ ग़म-ए-ज़िंदगी न हो नाराज़
मुझको आदत है मुस्कुराने की
ज़ुल्मतों से न डर के रस्ते में
रोशनी है शराबख़ाने की
आ तेरे गेसुओं को प्यार करूँ
रात है मशअलें जलाने की
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Dekh kar dilkashi zamane ki-Non film song
Album: Haseen lamhe
Lyrics: Abdul Hameed Adam
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