Dec 3, 2018

देखकर दिलक़शी ज़माने की-गुलाम अली ग़ज़ल १९८८

८० के दशक के उत्तरार्ध में गुलाम अली की गाई
गज़लों का एक एल्बम आया था हसीं लम्हे नाम से.
इसके ४ वोल्यूम आये थे एक एक कर के.

इनमें से अब्दुल हमीद अदम की रचना सुनते हैं.



गीत के बोल:

देख कर दिलक़शी ज़माने की
आरज़ू है फ़रेब खाने की

ऐ ग़म-ए-ज़िंदगी न हो नाराज़
मुझको आदत है मुस्कुराने की

ज़ुल्मतों से न डर के रस्ते में
रोशनी है शराबख़ाने की

आ तेरे गेसुओं को प्यार करूँ
रात है मशअलें जलाने की
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Dekh kar dilkashi zamane ki-Non film song

Album: Haseen lamhe

Lyrics: Abdul Hameed Adam

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