Jan 26, 2019

लहराया तिरंगा मन के हिमालय से-साज़ १९९८

मन इतना बड़ा हो के उस के आगे पर्वत की चोटी
भी छोटी दिखाई दे. इस गीत से ये अर्थ निकाला जाए.
ह्रदय विशाल होना ज़रूरी है. देश हित की बात पहले
सोची जानी चाहिए. हिमालय की चोटी सबसे ऊंची
चोटी है दुनिया की.  

देश प्रेम का ज़ज्बा हर व्यक्ति में होना चाहिए. ये वो
संस्कार है जिसके बीज बचपन में ही बोने की ज़रूरत
है. चाहे सर्व शिक्षा अभियान हो या स्वच्छ भारत
अभियान वो तभी सफल होंगे जब व्यक्ति अपने हिस्से
की जिम्मेदारी ले कर भागीदार बने.

सुनते हैं जावेद अख्तर का लिखा हुआ एक गीत जिसे
देवकी पंडित ने गाया है राजकमल की धुन पर.



गीत के बोल:

लहराया तिरंगा मन के हिमालय से
उतरी है नये उजाले की गंगा
लहराया तिरंगा

आज हम रौशन करेंगे प्रेम के लाखों दिये
आज से हम सब रहेंगे प्यार का अमृत पिये

आज से हम सब जियेंगे
एक दूजे के लिये
क़सम खाते हैं ये
हम हमेशा ही रहेगा
जो होगा आज संगम
क़सम खाते हैं ये हम
आज हम रौशन करेंगे

आज से हर डाल पर
कलियाँ खिलेंगी प्यार की
आज से होगी दिलों में
बात इस इक़रार की
आज से दीवार नफ़रत की
न उठने पायेगी
आज से बस आवाज़ यही आयेगी
आज हम रौशन करेंगे

आज से आने न देंगे
हम दिलों में दूरियाँ
आज से हमको मिटाने हैं
ग़म और मजबूरियाँ
आज से लायेंगे हर
जीवन में इक मुसकान हम
आज से ऐसा बनायेंगे
ये हिन्दुस्तान हम
आज हम रौशन करेंगे
......................................................................
Aaj ham roshan karenge-Saaz 1998

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