Jan 22, 2019

मस्त बहारों का मैं आशिक-फ़र्ज़ १९६७

शंकर जयकिशन ने बनाया याहू, चाहे कोई मुझे जंगली कहे.
लक्ष्मी प्यारे न बनाया-ऊ ऊ, मस्त बहारों का मैं आशिक. ये
दोनों ही अपने ज़माने के हिट गाने हैं.

ऊ ऊ की ध्वनि शायद संगीतकार ने स्वयं निकाली है. इसे
लिखा है आनंद बक्षी ने और गाया है रफ़ी ने.

फिल्म को जीतेंद्र की सबसे सफल फिल्मों में गिना जाता है.



गीत के बोल:

ऊ ऊ ऊ ऊ ऊ ऊ
मस्त बहारों का मैं आशिक मैं जो चाहें यार करूँ
चाहें गुलों के साए से खेलूँ चाहे कली से प्यार करूँ
सारा जहाँ है मेरे लिए मेरे लिये
ऊ ऊ
मस्त बहारों का मैं आशिक मैं जो चाहें यार करूँ
चाहें गुलों के साए से खेलूँ चाहे कली से प्यार करूँ
सारा जहाँ है मेरे लिए मेरे लिये

मैं हूँ वो दीवाना जिसके सब दीवाने हा
किसको है ज़रूरत तेरी ए ज़माने हा
मेरा अपना रास्ता दुनिया से क्या वास्ता
मेरे दिल में तमन्नाओं की दुनिया जवां है
मेरे लिये मेरे लिये

ऊ ऊ
मस्त बहारों का मैं आशिक मैं जो चाहें यार करूँ
चाहें गुलों के साए से खेलूँ चाहे कली से प्यार करूँ
सारा जहाँ है मेरे लिए मेरे लिये

मेरी आँखों से ज़रा आँखें तो मिला दे हा
मेरी आँखों से ज़रा आँखें तो मिला दे हा
मेरी राहें रोक ले नज़रें तू बिछा दे हा
तेरे सर की है कसम मैं जो चला गया सनम
तो ये रुत भी चली जायेगी ये तो यहाँ है
मेरे लिये मेरे लिये

ऊ ऊ
मस्त बहारों का मैं आशिक मैं जो चाहें यार करूँ
चाहें गुलों के साए से खेलूँ चाहे कली से प्यार करूँ
सारा जहाँ है मेरे लिए मेरे लिये

सबको ये बता दो कह दो हर नज़र से हा
सबको ये बता दो कह दो हर नज़र से हा
कोई भी मेरे सिवा गुज़रे ना इधर से हा
बतला दो जहां को समझा दो खिज़ां को
आये जाये यहाँ ना कोई ये गुलसितां है
मेरे लिए मेरे लिये

ऊ ऊ
मस्त बहारों का मैं आशिक मैं जो चाहें यार करूँ
चाहें गुलों के साए से खेलूँ चाहे कली से प्यार करूँ
सारा जहाँ है मेरे लिए मेरे लिये
मेरे लिए मेरे लिये मेरे लिए मेरे लिये
………………………………………….
Mast baharon ka main aashiq-Farz 1967

Artists: Jeetendra, Aruna Irani

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