कैसे मनाऊँ पियवा गुण मेरे-चार दीवारी १९६१
वो तो कम्प्यूटर प्रोग्राम के एलगोरिदम की तरह यहाँ वहाँ
भटका देती है. इफ और एंड इफ के बीच ही झूलती रह जाती.
काश कोई फायरवाल जिंदगी के लिए भी बना होता जो फफूंदों
को दूर रखता.
इस गीत की विशेषता इसकी सरलता है. बोल, संगीत, गायकी
सब दिल को छू लेने वाला है. प्रणय की बेला पर ये पार्श्व में
बज रहा है. सिनेमा के माध्यम में यही सहूलियत है-मन की
गाथा को पार्श्व गीत में उड़ेल दो. फिल्म ममता का गीत-छुपा
लो यूँ दिल में प्यार मेरा जिसमें जीवन अपनी यादों समेत
कुछ ही पलों में उड़ता हुआ पूर्वार्ध से उत्तरार्ध को पहुँच जाता है.
भावों के चित्रांकन के लिए कल्पनाशील दिमाग चाहिए तो उसे
समझने के लिए भी उतना नहीं तो कम से कम ७० टका का
भेजा चाहिए. नहीं तो मूंगफली ने बादाम से क्या कहा जैसी
बात हो जाती है.
गीत के बोल:
कैसे मनाऊँ पियवा गुण मेरे एकहू नाहीं
कैसे मनाऊँ पियवा गुण मेरे एकहू नाहीं
आई मिलन की बेला घबराऊं मन माहीं
कैसे मनाऊँ पियवा गुण मेरे एकहू नाहीं
कैसे मनाऊँ पियवा
साजन मेरे आये धडकन बढती जाए
साजन मेरे आये धडकन बढती जाए
नैना झुकते जाएँ घूंघट ढलका जाए
तुझसे ही शरमाये आज तेरी परछाई
कैसे मनाऊँ पियवा गुण मेरे एकहू नाहीं
कैसे मनाऊँ पियवा
मैं अनजान पराई द्वार तिहारे आई
मैं अनजान पराई द्वार तिहारे आई
तूने मुझे अपनाया प्रीत की रीत निभाना
हाय रे मन की कलियाँ फिर भी खिल ना पाईं
कैसे मनाऊँ पियवा गुण मेरे एकहू नाहीं
कैसे मनाऊँ पियवा
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Kaise manaoon piywa-Char diwari 1961
Artists: Shahsi Kapoor, Nanda
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