Dec 2, 2019

पंछी बनूँ उड़ती फिरूँ-चोरी चोरी १९५६

१९३६ में एक फिल्म बनी थी-इट हैप्पंड वन नाईट.  इस फिल्म का
निर्देशन फ्रेंक कापरा ने किया था. ये सेमुअल हॉपकिंस की एक कहानी
नाईट बस पर आधारित है. इस फिल्म के निर्माण के दौरान काफ़ी
परेशानियां आयीं. कभी कोई हीरो ना कर देता तो कभी किसी हीरोईन
के कहीं और अनुबंधित होने की वजह से ना हो जाती.

क्लार्क गेबल और क्लॉडेट कोलबर्ट फिल्म में क्रमशःनायक और नायिका
हैं. फिल्म के निर्माण के दौराननायिका ने काफ़ी नखरे और अप्रसन्नता
का प्रदर्शन किया. शायद १९३४ में आई क्लियोपेट्रा के शीर्षक रोल ने
नायिका को एक हवाई दुनिया में पहुंचा रखा था. उसके अलावा फ्रेंक कापरा
की सन १९२७ की फिल्म जिसमें कोलबर्ट नायिका थीं, फ्लॉप हो गई.

इसके बाद कोलबर्ट ने कापरा की साथ कभी ना कामकरने की कसम खाई.
खैर, मनाने के बाद नायिकाने शर्त रख दी उसे पचास हज़ार डॉलर चाहिए
इसफिल्म के लिए और चार हफ़्तों में इस फिल्म कीशूटिंग पूरी कर उसे
छुट्टी दी जाए. शर्त मंजूर.

फिल्म की शूटिंग खत्म होने के बाद नायिका की प्रतिक्रिया थी-मैंने अपने
जीवन की सबसे खराबफिल्म में काम किया है. विडंबनाएं कब और कहाँ
किसी को भी चौंका दें नहीं कह सकते. फिल्म को ५ श्रेणियों में ऑस्कर के
लिए नामित किया गया. फिल्म ने पाँचों श्रेणी के पुरस्कार जीते.

पुरस्कारवाले दिन नायिका इस बात से आशान्वित कि उसे तो कम से कम
पुरस्कार नहीं मिलेगा, सैर के लिए ट्रेन पकड़ के चल दी. पुरस्कार की घोषणा
के बादकोलंबिया पिक्चर्स के प्रमुख ने किसी को भेजानायिका को ट्रेन से
खींच के वापस लाने के लिए. पूरे प्रसंग पर गौर करें तो फिल्म की कहानी
के चरित्र और फिल्म के फिल्मांकन के घटनाक्रम में कुछ समानता दिखाई
देती है. इस फिल्म की नायिका को आप कम ना समझें. वो अपने समय
की सर्वश्रेष्ठ और सबसे ज्यादा कमाई करने वाली अभिनेत्रियों में से एक हैं.

किसी चीज़ को अगर प्रसिद्ध होना हो तो आप कितने ही ड्रामे, नखरे कर लें,
रुकावटें डाल लें, वो चीज़ अपने मुकाम तक पहुँच के ही रहती है.फिल्म के
नायक को आज हॉलीवुड के बादशाहके तौर पर जाना जाता है. अपने दौर
के, अपने समय के, तो बेहतरीन अभिनेता रहे हैं गेबल.

अब बात करते हैं हिन्दुस्तानी इंस्पिरेशन वाली फिल्मों की. सन १९५६ की
चोरी चोरी शायद इस विलायती फिल्म से प्रभावित पहली फिल्म है. इस
फिल्म को एक भी फिल्मफेयर पुरस्कारनहीं मिला सिवाए सर्वश्रेष्ठ संगीत
निर्देशक के पुरस्कार के. फिल्म अलबत्ता काफ़ी लोकप्रिय रही.

शंकर जयकिशन ने मूल विलायती फिल्म केलिए अगर संगीत दिया होता
तो वे ऑस्कर भी जीत जाते इसके लिए.

नायिका घर से भागने के बाद कुछ तरह तरह के काम करती है उनमें से
एक है गाना. वही गाना हम आज आपको सुनवा रहे हैं. हसरत जयपुरी
इस गीत के रचनाकार हैं. गायिका को आप पहचानते हैं.





गीत के बोल:

पंछी बनूँ उड़ती फिरूँ मस्त गगन में
आज मैं आज़ाद हूँ दुनिया की चमन में
पंछी बनूँ उड़ती फिरूँ मस्त गगन में
आज मैं आज़ाद हूँ दुनिया की चमन में

हिल्लोरी हिलो री हिलो हिलो री
हिल्लोरी हिलो री हिलो हिलो री
हिल्लोरी हिलो री हिलो हिलो री

हो मेरे जीवन में चमका सवेरा
ओ मिटा दिल से वो ग़म का अँधेरा
हो हरे खेतों में गाये कोई लहरा
ओ यहाँ दिल पर किसी का न बैरा
रँग बहारों ने भरा मेरे जीवन में
रँग बहारों ने भरा मेरे जीवन में
आज मैं आज़ाद हूँ दुनिया की चमन में

पंछी बनूँ उड़ती फिरूँ मस्त गगन में
आज मैं आज़ाद हूँ दुनिया की चमन में

हो दिल ये चाहे बहारों से खेलूँ
ओ गोरी नदिया की धारों से खेलूँ
हो चाँद सूरज सितारों से खेलूँ
ओ अपनी बाहों में आकाश ले लूँ
बढ़ती चलूँ गाती चलूँ अपनी लगन में
बढ़ती चलूँ गाती चलूँ अपनी लगन में
आज मैं आज़ाद हूँ दुनिया की चमन में

पंछी बनूँ उड़ती फिरूँ मस्त गगन में
आज मैं आज़ाद हूँ दुनिया की चमन में
हिल्लोरी हिलो री हिलो हिलो री
हिल्लोरी हिलो री हिलो हिलो री
हिल्लोरी हिलो री हिलो हिलो री

हो मैं तो ओड़ूँगी बादल का आँचल
ओ मैं तो पहनूँगी बिजली की पायल
हो छीन लूँगी घटाओं से काजल
ओ मेरा जीवन है नदिया की हलचल
दिल से मेरे लहरें उठें ठंडी पवन में
दिल से मेरे लहरें उठें ठंडी पवन में
आज मैं आज़ाद हूँ दुनिया की चमन में

पंछी बनूँ उड़ती फिरूँ मस्त गगन में
आज मैं आज़ाद हूँ दुनिया की चमन में
पंछी बनूँ उड़ती फिरूँ मस्त गगन में
आज मैं आज़ाद हूँ दुनिया की चमन में
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Panchhi banoon udti phiroon-Chori chori 1956

Artist: Nargis

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