Jul 2, 2009

हिन्दी फिल्मों में बरसात वाले गाने-१ देखो ज़रा-ये दिल्लगी १९९४

एक फ़िल्म है जिसका नाम है-ये दिल्लगी । इसमे कई मधुर नगमे हैं।
संगीत है दिलीप सेन-समीर सेन का । नए हीरो हिरोइन -सैफ अली खान,
काजोल और अक्षय कुमार इस फ़िल्म में मुख्य भूमिकाओं में हैं। आज के
स्थापित सितारे हैं ये सब। १९९४ में ये नवागंतुक की श्रेणी में आते थे।
अक्षय कुमार ने अपनी अलग जगह बना ली है बॉलीवुड में। मार्शल आर्ट और
डांस का मिश्रण पेश करके वो कुछ अलग तरह के कलाकार नज़र आते हैं।
काजोल, जो आप इस गाने में देखेंगे वो आगे चल के बॉलीवुड की अग्रिम पंक्ति
नायिकाओं में गिनी जाने वाली है। बनियान और टाई पहन के कैसा भीगा जाए
उसका एक अच्छा ट्युटोरियल है ये गाना। बहरहाल एक हिंदी फ़िल्मी गाने में
जो कुछ होना चाहिए वो सब है इसमे।

लता मंगेशकर ने कितनी पीढ़ियों की अभिनेत्रियों के लिए गीत गाये मगर
सभी लगभग उन अभिनेत्रियों पर एकदम फिट से सुनाई देते हैं। ये
एक खूबी उनको बाकी सब गायिकाओं से अलग करती है, बाकी के कारण
तो और हैं हीं जिन्हें हम समय समय पर याद करते रहते हैं।

गायक: लता मंगेशकर, कुमार सानू
संगीतकार: दिलीप सेन-समीर सेन
गीतकार: समीर




गीत के बोल:

देखो ज़रा देखो बरखा की झड़ी
तन को भिगोये बूंदों की लड़ी
देखो ज़रा देखो बरखा की झड़ी
तन को भिगोये बूंदों की लड़ी

मौसम सुहाना है, क्या आशिकाना है
बजने लगी है टिक टिक दिल की घड़ी

देखो ज़रा देखो बरखा की झड़ी
तन को भिगोये बूंदों की लड़ी

हो, थोड़ी सी बेचैनी थोड़ा नशा
आने लगा है मुझे तो मज़ा
घुँघरू बजाती हैं चंचल हवा
ना जाने सावन की नियत है क्या
मुझको संभालो मुश्किल हैं बड़ी

देखो ज़रा देखो बरखा की झड़ी

ला ला ला ला ला ला ला ला ला ला ला
ला ला ला ला ला ला ला ला ला ला ला

महके नज़ारे, सुहानी डगर
मैं बेखबर न, मुझे कुछ ख़बर
हो, अनजानी चाहत का एहसास हैं
भीगे लबों पे नई प्यास हैं
फिसले कदम कैसे रहूँ मैं खड़ी

देखो ज़रा देखो बरखा की झड़ी
तन को भिगोये बूंदों की लड़ी

मौसम सुहाना हैं क्या आशिकाना है
बजने लगी है टिक टिक दिल की घड़ी

देखो ज़रा देखो बरखा की झड़ी
तन को भिगोये बूंदों की लड़ी
देखो ज़रा देखो बरखा की झड़ी
तन को भिगोये बूंदों की लड़ी
................................
Dekho zara dekho barkha ki jhadi-Ye dillagi 1994

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