Dec 2, 2009

ऐसे रसिया का -ढोलक १९५१

कुछ ऐसे गीत हैं जिनको न आकाशवाणी ने, न ही रेडियो सीलोन ने
बार बार बजाया लेकिन एक बार सुनके संगीत भक्त अपने ब्लॉग और
फोरम में दावे करते हैं की वे इसे पचासों बार सुन चुके हैं। संगीतकार
श्याम सुंदर एक गुणी संगीतकार थे जिनका जिक्र हम पहले एक पोस्ट
में कर चुके हैं। ये युगल गीत जो लता और रफ़ी का गाया हुआ है बहुत ही
दुर्लभ गीतों में से एक है. दुर्लभ की परिभाषा से अभी तक आप परिचित
हो ही गए होंगे। यहाँ इसका तात्पर्य एक अंग्रेज़ी शब्द-obscure से है ।
इमानदारी से मैं भी कहूँगा की यू ट्यूब पर इसको देखने के पहले मैंने इसे
केवल ४ बार सुना है। देखने को तो ये पहली बार ही मिला है जिस दयालु
आत्मा ने इसको यू ट्यूब पर चिपकाया है उसको धन्यवाद्। पढ़ते रहिये
होंगे पोस्ट में इस फ़िल्म के एक बहुत ही लोकप्रिय गीत की चर्चा होने
वाली है। नायक कलाकार हैं-अजीत जिनको आप पहचान ही गए होंगे।



गीत के बोल:

ऐसे रसिया का, ऐसे बलमा का
क्या ऐतबार, ऐतबार, झूठा प्यार
ऐसे रसिया का, ऐसे बलमा का
क्या ऐतबार, ऐतबार, झूठा प्यार

जा के मन में बसा गुइयाँ
सौतन का प्यार
जा के मन में बसा गुइयाँ
सौतन का प्यार
सौतन का प्यार

ऐसे रसिया का, ऐसे बलमा का
क्या ऐतबार, ऐतबार, झूठा प्यार

ऐसी गोरी का, ऐसी छोरी का
क्या ऐतबार, ऐतबार, कैसा प्यार

जाके मन में बसा रामा
गैरों का प्यार
जाके मन में बसा रामा
गैरों का प्यार
गैरों का प्यार

ऐसी गोरी का, ऐसी छोरी का
क्या ऐतबार, ऐतबार, कैसा प्यार

हमसे तो झूठी मोहब्बत जताए
गैरों से छिप छिप के नैना मिलाये
हमसे तो झूठी मोहब्बत जताए
गैरों से छिप छिप के नैना मिलाये

काहे रह रह के देता है ख्वाब
ऐतबार, झूठा प्यार

ऐसे रसिया का, ऐसे बलमा का
क्या ऐतबार, ऐतबार, झूठा प्यार

हमसे तो बोले तुम्हारी हूँ राजा
अजी, हमसे तो बोले तुम्हारी हूँ राजा
औरों से बोले निगाहों में आ जा
औरों से बोले निगाहों में आ जा

ऑंखें गैरों से करती है चार
ऐतबार, कैसा प्यार

ऐसी गोरी का, ऐसी छोरी का
क्या ऐतबार, ऐतबार, कैसा प्यार

जाओ जी झूठे बहने न मारो
जाओ जी झूठे बहने न मारो
नैनों के तिरछे निशाने न मारो
नैनों के तिरछे निशाने न मारो

जुल्मी छीलो न दिल का करार
ऐतबार, झूठा प्यार
जा के मन में बसा गुइयाँ
सौतन का प्यार
जाके मन में बसा रामा
गैरों का प्यार

सौतन का प्यार

ऐसे रसिया का
ऐसी गोरी का
ऐतबार, झूठा प्यार
ऐतबार, कैसा प्यार

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