अँखियाँ मिला के जिया भरमा के-रतन १९४४
एम्. सादिक के निर्देशन में बनी सन १९४४ कि फिल्म रतन के
सारे गाने चर्चित हुए। नौशाद ने एक से बढकर एक जुबान पर
चढ़ने वाली धुनें बनाई। ये गीत एक बहुत ही घिसा हुआ अर्थात
बहुत बजा हुआ गीत है। सन १९४४ को बीते ६६ साल हो गए हैं
मगर आज भी आपको ये एकदम ताज़ा सुनाई देगा। नौशाद
को प्रसिद्ध कराने में इस फिल्म का बहुत योगदान है। गीत में
नायक तांगे पर सवार होके चला जा रहा है और नायिका उसको
रोकने के लिए गीत गा रही है। जोहरा बाई अम्बालेवाली की
दमदार आवाज़ वाला ये गीत स्वर्णलता और करण दीवान पर
फिल्माया गया है। गीत लिखा है दीनानाथ मधोक ने।
गीत के बोल:
अँखियाँ मिला के जिया भरमा के
चले नहीं जाना
हो चले नहीं जाना
हो चले नहीं जाना
अँखियाँ मिला के जिया भरमा के
चले नहीं जाना
हो, चले नहीं जाना
हो, चले नहीं जाना
जाओ के जाने ना दूँगी मैं रास्ता रोक लूंगी
जाओ के जाने ना दूँगी मैं रास्ता रोक लूंगी
हो सैयां के पैयाँ पड़ जाऊंगी रो के कहूँगी
हो सैयां के पैयाँ पड़ जाऊंगी रो के कहूँगी
अँखियाँ मिला के जिया भरमा के
चले नहीं जाना
हो, चले नहीं जाना
हो, चले नहीं जाना
आहों के बदले आहें लेना जी दगा ना देना
आहों के बदले आहें लेना जी दगा ना देना
हाँ नैन मरे ना रोये रोये दिल ये कहे ना
हाँ नैन मरे ना रोये रोये दिल ये कहे ना
अँखियाँ मिला के जिया भरमा के
चले नहीं जाना
हो, चले नहीं जाना
हो, चले नहीं जाना
जाने का नाम ना लो राजा जी दिल बैठा जाये
जाने का नाम ना लो राजा जी दिल बैठा जाये
हाँ देखो जी देखो दुखी दिल की परे ना हाय
हाँ देखो जी देखो दुखी दिल की परे ना हाय
अँखियाँ मिला के जिया भरमा के
चले नहीं जाना
हो चले नहीं जाना
हो चले नहीं जाना
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