तुमसे ओ हसीना कभी मोहब्बत-फ़र्ज़ १९६७
पहले. फ़र्ज़ का संगीत लोकप्रिय रहा. रविकांत नागाईच
द्वारा निर्देशित ये फिल्म जासूसी फिल्म है. फिल्म एक
कारण से तो याद की ही जायेगी-इसमें एक जन्मदिन
पर बजने वाला गीत है. फिल्म ज़बरदस्त हिट फिल्मों
में शुमार है. इसमें जासूसी चरित्र का जो नाम है -
गोपाल किशन पाण्डेय वो आगे चल कर दो फिल्मों में
इस्तेमाल हुआ-कीमत और रक्षा
फिल्म के गीत लिखे हैं आनंद बक्षी ने और संगीत दिया
है लक्ष्मी-प्यारे की जोड़ी ने. प्रस्तुत गीत गीत में एक
विशेष शब्द है-कफस इसका अर्थ है-जाल,पिंजरा या कैद.
बहुअर्थी शब्द है ये उर्दू का.
गीत के बोल:
तुमसे ओ हसीना कभी मोहब्बत न मैंने करनी थी
तुमसे ओ हसीना कभी मोहब्बत न मैंने करनी थी
मगर मेरे दिल ने मुझे धोखा दे दिया
मगर मेरे दिल ने मुझे धोखा दे दिया
तुमसे ओ दीवाने कभी मोहब्बत न मैंने करनी थी
तुमसे ओ दीवाने कभी मोहब्बत न मैंने करनी थी
मगर मेरे दिल ने मुझे धोखा दे दिया
मगर मेरे दिल ने मुझे धोखा दे दिया
आग सुलग गई नस नस में, नींद रही न रहा चैन बस में
तोड़ी जाए न अब मुझसे, प्यार की ये रस्में कसमें
आ गई बुलबुल कफस में
तौबा मेरी तौबा ये अपनी हालात ना मैंने करनी थी
तौबा मेरी तौबा ये अपनी हालात ना मैंने करनी थी
मगर मेरे दिल ने मुझे धोखा दे दिया
मगर मेरे दिल ने मुझे धोखा दे दिया
लोग ये मुझको हैं समझाते, बीत रही थी हँसते गाते
मैंने तुझे किसलिए छेड़ा, राहों में आते जाते
मुझे सब हैं सताते
तौबा मेरी तौबा कि ये शरारत न मैंने करनी थी
तौबा मेरी तौबा कि ये शरारत न मैंने करनी थी
मगर मेरे दिल ने मुझे धोखा दे दिया
मगर मेरे दिल ने मुझे धोखा दे दिया
शाम सवेरे दिल घबराए, राज़-ए-दिल न खुल जाए
रात हमारे सपनों में छुप के, रोज रोज आये जाए
काहे नेहा लगाये
तौबा मेरी तौबा ये अपनी हालत न मैंने करनी थी
ये क़यामत न मैंने करनी थी
तौबा मेरी तौबा ये क़यामत न मैंने करनी थी
मगर मेरे दिल ने मुझे धोखा दे दिया
मगर मेरे दिल ने मुझे धोखा दे दिया
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Tumse o haseena-Farz 1967
Artists: Jeetendra, Babita
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