जगत भर की रौशनी के लिए -हरिश्चंद्र तारामती १९६३
गायक हेमंत कुमार का गाया हुआ ये अमर गीत रचा है
कवि प्रदीप ने और इसकी धुन बनने का काम किया है
संगीतकार द्वय लक्ष्मीकांत प्यारेलाल ने। धार्मिक फ़िल्म
हरिश्चंद्र तारामती के लिए बने इस गीत ने अपना अलग मुकाम
बनाया है।
ये शायद एकमात्र गीत है हेमंत कुमार द्वारा जो संगीतकार
लक्ष्मीकांत प्यारेलाल के लिए गाया गया। इसका विडियो
उपलब्ध नहीं है यू ट्यूब पर, एक स्लाईड शो है ।
गाने के बोल:
जगत भर की रोशनी के लिये
करोड़ों की ज़िंदगी के लिये
सूरज रे जलते रहना
सूरज रे जलते रहना
जगत कल्याण की खातिर तू जन्मा है
तू जग के वास्ते हर दुःख उठा रे
भले ही अंग तेरा भस्म हो जाये
तू जल जल के यहाँ किरणें लुटा रे
लिखा है ये ही तेरे भाग में
कि तेरा जीवन रहे आग में
सूरज रे जलते रहना
सूरज रे जलते रहना
करोड़ों लोग पृथ्वी के भटकते हैं
करोड़ों आँगनों में है अँधेरा
अरे जब तक न हो घर घर में उजियाला
समझ ले अधूरा काम है तेरा
जगत उद्धार में अभी देर है
अभी तो दुनियाँ मैं अन्धेर है
सूरज रे जलते रहना
सूरज रे जलते रहना
जगत भर की रोशनी के लिये
करोड़ों की ज़िंदगी के लिये
सूरज रे जलते रहना
सूरज रे जलते रहना
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Suraj re jalte rehna-Harishchandra Taramati 1963
Artist: Prithviraj Kapoor
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