May 8, 2009

कबूतर आजा आजा रे -मंगला १९५०

फिल्मों में पशु पक्षी प्रेम के चलते कई गीत कबूतर , तोता, मैना
हंस , गाय, कुत्ता पर बने। पंडित इन्द्र ने शायद श्वेत श्याम युग
से बहार काम नहीं किया । ये गीत उन्होंने लिखा फ़िल्म मंगला के
लिए। भानुमती नाम की नायिका पर फिल्माया गया गीत गीता दत्त
ने गाया था। एम. डी. पार्थसारथी , ई शंकर शास्त्री और बी एस कल्ला
की तिकड़ी ने कई फिल्मों में अपने हुनर दिखाए। गीत में गुटर गूं को
छोड़ के सभी ध्वनियों का जिक्र किया गया है। शायद इस कबूतर ने
वोइस मोड्युलेशन की ट्रेनिंग ले ली होगी किसी संगीतज्ञ से। कुहू कुहू
कोयलिया बोल रही है दक्षिण की ही बनी हुई फ़िल्म स्वर्ण सुंदरी में। यहाँ
बेचारे कबूतर से कुहू कुहू बोलने की फरमाइश की जा रही है। ये तो वही
बात हुई, सोनू निगम से श्रेया घोषाल की आवाज़ निकलने को बोल जाए ।




गाने के बोल:

ओ हो हो हो हो हो हो हो
ओ हो हो हो हो हो हो हो
ला ला ला ला, ला ला ला
ला ला ला ला, ला ला ला
कबूतर आ जा
आ जा रे
कबूतर आ जा
आ जा रे
तू कुहू कुहू बोल बोल
मोरे राजा रे
कबूतर आ जा, आ जा रे

ओ, पंखों वाले राजा
ओ आ जा रे
ओ पंखों वाले
ओ आ जा रे
मोहे उड़ना तू सिखा जा रे
मोहे उड़ना तू सिखा जा रे
आ जा रे
कबूतर आ जा
आ जा रे

ओ ला ला ला ला ला ला ला
कु कु कू
कु कू कु कु कु
मेरे दिल की दुनिया, मीठे सपनों की
मेरे दिल की दुनिया, मीठे सपनों की
कब आए, सपनों का राजा
हो हो हो हो हो हो
कब आए सपनों का राजा
मेरा मनवा क्या बोले
क्यूँ अंग अंग डोले
ओ उड़ने वाले साथी
ओ आ जा रे
गगनों के ओ राजा रे
आ जा रे
कबूतर आ जा, आ जा रे

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