May 8, 2009

ऐ अजनबी- दिल से १९९८

उदित नारायण सहज और सरल गायक हैं। उनसे एक कठिन
गाना गवाया है अ आर रहमान ने फ़िल्म "दिल से" में । बोल
लिखे हैं गुलज़ार ने। फ़िल्म का सबसे कर्णप्रिय गीत कह सकते हैं
आप इसको। वैसे, फ़िल्म का दूसरा गीत "छैयां छैयां" ज्यादा लोकप्रिय
हुआ है। इस ब्लॉग का मकसद है आपको वो गाने बतलाना जो मधुर हैं
और कम सुने गए हैं। इस प्रयास में कुछ लोकप्रिय गीत भी इसमे शामिल
किए जाते हैं ताकि इसकी टी आर पी बनी रहे। (आजकल टी आर पी का ज़माना
है जबसे सास-बहू सीरियल आए हैं और सब जगह छाये हुए हैं)। जो नगाडे
रहमान ने इस्तेमाल किए हैं इस गाने में वो उत्तर भारतीय से प्रतीत होते हैं।
इस गाने में पाखी पाखी करने वाली आवाज़ महालक्ष्मी अय्यर की है।


गाने के बोल:

ओ, पाखी पाखी परदेसी
पाखी पाखी परदेसी
पाखी पाखी परदेसी
पाखी पाखी परदेसी

ऐ अजनबी तू भी कभी आवाज़ दे कहीं से
मैं यहाँ टुकड़ों में जी रहा हूँ
तू कहीं टुकड़ों में जी रही है

ऐ अजनबी तू भी कभी आवाज़ दे कहीं से
ऐ अजनबी तू भी कभी आवाज़ दे कहीं से

रोज़ रोज़ रेशम सी हवा, आते जाते कहती है
बता रेशम सी हवा कहती है बता
वो जो दूध धुली, मासूम कली
वो है कहाँ कहाँ है वो रोशनी, कहाँ है
वो जान सी कहाँ है
मैं अधूरा, तू अधूरी, जी रही है

ऐ अजनबी तू भी कभी आवाज़ दे कहीं से
मैं यहाँ टुकड़ों में जी रहा हूँ
तू कहीं टुकड़ों में जी रही है

ऐ अजनबी तू भी कभी आवाज़ दे कहीं से

पाखी पाखी परदेसी
पाखी पाखी परदेसी
पाखी पाखी परदेसी
पाखी पाखी परदेसी

तू तो नहीं है लेकिन, तेरी मुस्कुराहट है
चेहरा कहीं नहीं है पर, तेरी आहट है
तू है कहाँ कहाँ है, तेरा निशाँ कहाँ है
मेरा जहाँ कहाँ है
मैं अधूरा, तू अधूरी जी रही है

ऐ अजनबी तू भी कभी आवाज़ दे कहीं से
मैं यहाँ टुकड़ों में जी रहा हूँ
तू कहीं टुकड़ों में जी रही है

ऐ अजनबी तू भी कभी आवाज़ दे कहीं से

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