ऐसे बेशर्म आशिक(क़व्वाली) -पुतलीबाई
चाहिए परवान चढ़ने के लिए। समय चक्र बहुत कुछ ऐसा दिखा
देता है जिसका ऐतबार करना मुश्किल होता है.
१९७१ में एक फ़िल्म आई थी पुतलीबाई जिसके एक गाना
बहुत बजा, बहुत बजा और बहुत बजा। शादियों में बजा,
समारोह में बजा, गली मोहल्ले में बजा, महफिलों में बजा.
आकाशवाणी ने भी इसको बजाया। इस क़व्वाली की वजह से
इस एल्बम के एल पी रिकॉर्ड बहुत बिके ।
ज़फर गोरखपुरी की लिखी हुई क़व्वाली को युसूफ आज़ाद और
रशीदा खातून ने गाया है। संगीत है 'जय कुमार' का। सारे नाम
उस समय के हिसाब से नए नए थे। आज भी संगीतकार का नाम
बहुत ही कम सुनने को मिलता है। हाँ, संगीत प्रेमियों को युसूफ
आज़ाद और रशीदा खातून का नाम याद रह गया ।
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