तेरा रंग सुनहरा -महुआ १९६९
कमर जलालाबादी ने बहुत से अमर गीतों की रचना की है।
उनकी लेखनी से निकले एक कम सुने गीत का जिक्र आज
हम करेंगे। फ़िल्म का नाम है- महुआ। अभिनेत्री हैं अंजना
मुमताज़। हीरो शिव कुमार उनकी शान में गीत गा रहे हैं।
मुझे शहनाई और बांसुरी वाले गाने सदा से आकर्षित करते
रहे हैं। इसकी धुन बनाई है संगीतकार जोड़ी-सोनिक ओमी ने।
गोरे मुखड़े का जिक्र हो रहा है और कभी अभिनेत्री का मुखडा
सांवला दिखता है कभी गोरा। डायरेक्शन में कुछ कसर
रह गई थी शायद ।
गाने के बोल:
तेरा रंग सुनहरा
कजरा गहरा गहरा
गोरे मुखड़े पे है दो नैनों का पहरा
ठुमक ठुमक तेरी चाल मस्तानी
मैंने सपनों में देखी रूप की रानी
सच कह दे तू वो तो नहीं ?
ये तो बता री बांकी हिरनिया
तू काहे घबराए
तुझको फ़रिश्ता भी देखे तो
क़दमों पे झुक जाए
हो तेरे नैनों के प्याले कोरे कोरे
तेरी जुल्फों का लहरा
हो, झूमे सेहरा सेहरा
गोरे मुखड़े पे है दो नैनों का पहरा
ठुमक ठुमक तेरी चल मस्तानी
मैंने सपनों में देखी रूप की रानी
सच कह दे तू वो तो नहीं ?
बदली से तो बरखा बरसे
तुझसे उजाला बरसे
तू वो नदिया जिसके मिलन को
ख़ुद सागर भी तरसे
हो, तूने डाले हैं कैसे डोरे डोरे
थम जा पहर दुपहरा
हो, ये दिल तुझपे ठहरा
गोरे मुखड़े पे है दो नैनों का पहरा
ठुमक ठुमक तेरी चल मस्तानी
मैंने सपनों में देखी रूप की रानी
सच कह दे तू वो तो नहीं ?
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