रसिक बलमा-चोरी चोरी १९५६
कंपनी हुआ करती थी। उसने एक फ़िल्म बनाई १९५६ में, चोरी चोरी,
जिसकी कहानी एक अंग्रेज़ी फ़िल्म पर आधारित थी। फ़िल्म बहुत चली
और इसका संगीत भी लोकप्रिय हुआ जो आज भी सुनने को मिल जाता
है।
इसमें एक गीत है लता का जो क्लासिक गीतों की गिनती में आता है
-रसिक बलमा। नर्गिस पर फिल्माया गया ये गीत सुनने और देखने दोनों
में बराबर का आनंद देता है।
कहा जाता है नर्गिस को लता के गाने पर अभिनय करने के लिए आँखों में
ग्लिसरीन लगाने की जरूरत नहीं पड़ती थी। बिना ग्लिसरीन ही उनकी
आँखों से आंसू निकल आते थे ।
इस गीत को लिखा है हसरत जयपुरी ने इस गाने के लिए इस का । इस
फ़िल्म के लिए शंकर जयकिशन को फ़िल्म फेयर पुरस्कार भी प्राप्त हुआ।
पुरस्कार एक अलग बात है, उसके अलावा इस फिल्म का संगीत कर्णप्रिय
है और सहेज कर रखने लायक सामान है(Collector's item).
गीत के बोल:
रसिक बलमा हाय
दिल क्यूँ लगाया,
तोसे दिल क्यूँ लगाया
जैसे रोग लगाया
जैसे रोग लगाया
रसिक बलमा, हो......
जब याद आए तिहारी
सूरत वो प्यारी प्यारी
जब याद आए तिहारी
सूरत वो प्यारी प्यारी
नेहा लगा के हारी
हा.....
नेहा लगा के हारी
तडपूं मैं ग़म की मारी
रसिक बलमा .......
ढूंढें हैं पागल नैना
पायें न एक पल चैना
ढूंढें हैं पागल नैना
पायें न एक पल चैना
डसती है उजली रैना
हा ..............
डसती है उजली रैना
कासे कहूं मैं बैना
रसिक बलमा हाय
दिल क्यूँ लगाया
तोसे दिल क्यूँ लगाया
जैसे रोग लगाया
रसिक बलमा, हो........
............................
Rasik Balma-Chori chori 1956
Artist: Nargis
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