कोई शमा शीशे की लाया- जाने जां १९८३
कुछ गीत ऐसा मालूम पड़ता है की फिल्मों में व्यर्थ जाते हैं।
ऐसा ही गीत है, एक रुक रुक कर बनी और तुर्रंत ही गायब हो गई
फ़िल्म 'जाने जां' या 'निकम्मा' से जो १९८३ में आई। किशोर कुमार
के गाये इस गीत को लिखा है गुलशन बावरा ने और तर्ज़ बनाई है
आर डी बर्मन ने। शीशे की शमा और पीतल का परवाना शायद किसी
और गीत में आपको नहीं मिलेंगे।
गीत के बोल:
यह दिन तो है मुबारक
इस दिन को नाम क्या दूँ
मुश्किल में पड़ गया हूँ
तुझे कौन सी दुआ दूँ
कोई शमा शीशे की लाया
कोई पीतल का परवाना
दो नैनो का मारा ले के
आया दिल का नजराना
अनमोल जीवन का
हर पल हसीं होगा, आजा
चलेंगे मिलके
हो, उल्फत की राहों में
चाहत की बाँहों में अरमान
खिलेंगे दिल के
प्यार दुआ है
प्यार दवा है
प्यार को यूँ न ठुकराना
दो नैनो का मारा ले के
आया दिल का नजराना
कोई शमा शीशे की लाया
परवाने की ज़िन्दगी
तो रहेगी सदा ही
शमा के बस में
हो दीवाने को बिन जलाये
पिघल ही न जाना
निभाना रस्मे
देख शुरू होने से पहले
ख़त्म न हो जाए अफसाना
दो नैनो का मारा ले के
आया दिल का नजराना
कोई शमा शीशे की लाया
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