मुझे दर्द-ए-दिल का पता न था-आकाश दीप १९६५
धर्मेन्द्र के ऊपर रफ़ी की आवाज़ ज्यादा जंचती। ऐसा धर्मेन्द्र का
स्वयं का भी मानना था। लगभग सारे संगीतकारों ने उनके लिए
रफ़ी के गाये गीत तैयार किये। ये एक लोकप्रिय छाया गीत छाप
नगमा है फिल्म आकाशदीप से जिसको लिखा मजरूह ने और धुन
बनाई चित्रगुप्त ने।
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गाने के बोल:
मुझे दर्द-ए-दिल का पता न था
मुझे आप किस लिये मिल गये?
मैं अकेले यूँ ही मज़े में था
मुझे आप किस लिये मिल गये?
मुझे दर्द-ए-दिल का पता न था
मुझे आप किस लिये मिल गये?
यूँ ही अपने अपने सफ़र में गुम
कहीं दूर मैं कहीं दूर तुम
कहीं दूर तुम
चले जा रहे थे जुदा जुदा
मुझे आप किस लिये मिल गये?
मैं अकेले यूँ ही मज़े में था
मुझे आप किस लिये मिल गये?
मैं गरीब हाथ बढ़ा तो दूं
तुम्हे प् सकूं के ना पा सकूं
मैं गरीब हाथ बढ़ा तो दूं
तुम्हे पा सकूं के ना पा सकूं
तुम्हे पा सकूं
मेरी जां बहुत है ये फासला
मुझे आप किस लिये मिल गये?
मैं अकेले यूँ ही मज़े में था
मुझे आप किस लिये मिल गये?
न मैं चांद हूँ किसी शाम का
न चिराग़ हूँ किसी बाम का
किसी बाम का
मैं तो रास्ते का हूँ एक दिया
मुझे आप किस लिये मिल गये?
मैं अकेले यूँ ही मज़े में था
मुझे आप किस लिये मिल गये?
मुझे दर्द-ए-दिल का पता न था
मुझे आप किस लिये मिल गये?
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