चंदा की चाँदनी का जादू-सितारों से आगे १९५८
गीत इतना बढ़िया था कि अपने समय से थोड़ा आगे का गीत कहिये।
ये धुन विशेष तौर पर आशा भोंसले के लिए बनाई गई प्रतीत होती है ।
फ़िल्म सितारों से आगे, जो बॉक्स ऑफिस पर बहुत आगे न जा सकी,
अशोक कुमार और वैजयंतीमाला जैसे नामचीन सितारों से सुसज्जित
फ़िल्म है। यही वो फ़िल्म थी जिसके संगीत निर्माण के दौरान सचिन देव
बर्मन और लता मंगेशकर के संबंधों के बीच तनाव उत्पन्न हुआ। इस
फ़िल्म में बर्मन के सहायक के तौर पर संगीतकार जयदेव ने काम किया
है। गीत मजरूह सुल्तानपुरी ने लिखा है ।
गीत के बोल:
चंदा की चाँदनी का जादू
ये रात ये समा
उल्फ़त की मौज ले चली है
मुझको न जाने कहाँ
चंदा की चाँदनी का जादू
ये रात ये समा
उल्फ़त की मौज ले चली है
मुझको न जाने कहाँ
चंदा की चाँदनी का जादू
पूछो न है मेरे दिल में क्या
जो मेरे साथ हो तुम
अपना भी मैं पता क्या जानूँ
हूँ मैं तो प्यार में गुम
पूछो न है मेरे दिल में क्या
जो मेरे साथ हो तुम
अपना भी मैं पता क्या जानूँ
हूँ मैं तो प्यार में गुम
दिल पे नहीं है आज क़ाबू
खुलती नहीं ज़ुबाँ
उल्फ़त की मौज ले चली है
मुझको न जाने कहाँ
चंदा की चाँदनी का जादू
मैं नदिया तू मेरा सागर है
ओ मन के मीत मेरे
झूमे जा तू यूँ ही लहरों में
सुन सुन के गीत मेरे
मैं नदिया तू मेरा सागर है
ओ मन के मीत मेरे
झूमे जा तू यूँ ही लहरों में
सुन सुन के गीत मेरे
भीगी ये रात और मैं तू
मौसम जवाँ जवाँ
उल्फ़त की मौज ले चली है
मुझको न जाने कहाँ
चंदा की चाँदनी का जादू
ये रात ये समा
उल्फ़त की मौज ले चली है
मुझको न जाने कहाँ
चंदा की चाँदनी का जादू
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