का मेसेज आता है. क्या दूसरे ब्लोगर्स को भी ऐसी
कुछ दिक्कत आई? गूगल भाई बतलायेंगे उनको
क्या समस्या है?
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आज कवि गोपालदास नीरज की पुण्यतिथि है. वे
हमसे दो साल पहले ही बिछड़े थे. कवी सम्मेलनों की
शान रहने वाले नीरज ने हिंदी फिल्मों के लिए सत्तर
के दशक में काफी गीत लिखे.
उनकी लेखनी का लोहा हिंदी फ़िल्मी गाने सुनने वाले
भी मानते हैं.
उनकी कलम से निकला एक युगल गीत सुनते हैं फिल्म
गैम्बलर से जो सन १९७१ की फिल्म है.
लता और किशोर के गाये इस गीत की धुन तैयार की
है सचिन देव बर्मन ने.
गीत के बोल:
अपने होंठों की बंसी बना ले मुझे
.
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Apne honthon ki bansi bana le-Gambler 1971
दुनिया का आना जाना लगा रहता है और लगा रहेगा. इसे
कोई रोक नहीं पाया. इस आने जाने में कुछ अपने जब जाते
हैं या जिनसे जुड़ाव हो जाता है वे लोग जाने पर दुखी कर
जाते हैं.
दो दिन पहले ही हमने गीतकार योगेश को याद किया था
और आपको अन्तरा चौधरी का गाया गाना सुनवाया था.
गीतकार योगेश भी अपना जीवन सफर पूरा कर दूसरे लोक
को चल दिये. वो अपनी छाप छोड़ गए हैं फिल्म उद्योग पर.
उनके कुछ गीत कालजयी हैं जिनमें फिल्म आनंद, मंजिल,
मिली, उस पार के गाने और बहुत कुछ जो आप सुबह से
मीडिया, सोशल मीडिया पर पढ़ चुके होंगे.
सरल स्वभाव के योगेश की लेखनी में सरलता, सादगी और
सौम्यता उनके स्वभाव अनुरूप रही. फिल्म उद्योग के प्रपंच
और जबरिया तुकबंदी शायद उन्हें रास नहीं आई. आज एक
गीतकार ने उन्हें याद करते हुए एक शब्द का प्रयोग किया-
exceptional जो सटीक है.
वर्तमान समय में जो बेहतर गीतकार लिख रहे हैं वे भी कभी
स्तिथि अनुसार रफ़ लिरिक्स लिख लेते हैं. आज के समय में
यूँ कहें २०१० के बाद उनके गिने चुने गीत हैं. फिल्म उद्योग
चाहता तो अच्छी विरासत को संजोये रखने में उनका योगदान
अधिक मात्रा में ले सकता था.
सुनते हैं फिल्म उस पार से एक गाना जिसमें ना जाने क्यूँ
सदियों का दर्द मिनटों में छुपा है. ये ऐसा गीत तो नहीं जिसे
सभी संगीत प्रेमी सुनते हों मगर गंभीर संगीत प्रेमी इस गीत से
अनजान नहीं हैं.
बोलों में दर्द की लकीर तो नहीं मगर इसकी धुन में ज़रूर है.
बोल तो इसके लाजवाब हैं जो भावनाओं का बखान हौले हौले
से करते हैं. अतिरेक कहीं भी नहीं है इसमें. गीत को फिल्म के
कथानक से जोड़ के देखें तो ये एक बेहतरीन सिचुएशनल गीत
है.
फिल्म उस पार का निर्देशन बासु चटर्जी ने किया था. फिल्म के
लिए पटकथा लेखन भी उन्हीं का है. फिल्म सन १९६७ की एक
चेकोस्लोवाकिया में निर्मित फिल्म रोमांस फॉर ब्यूगल का हिंदी
रूपांतरण है. फिल्म फ्रांटिसेक रुबिन की एक रोमांटिक कविता
पर आधारित है. लेखक ने १९६१ में ये कविता लिखी थी.
नायक और नायिका के चेहरे हर्षोल्लास से लबालब हैं. कोई वजह
नहीं है इस गीत को सुन कर दर्द महसूस करने की. बांसुरी के स्वर
भी व्यथित से ही हैं और ये मुझे समझ नहीं पड़ा इसे सुन के कि
क्या संगीतकार की भावनाएं इसमें उमड़ के बाहर आ गई हैं. एक
कलाकार की सेंसिटिविटी किस रूप में और कब बाहर आती है ये
समझ पाना बेहद मुश्किल काम है.
इसे सुन के पहले बर्मन दादा बहुत याद आते थे अब योगेश भी
आयेंगे. क्या ये शैलेन्द्र के ही लिखे शब्दों-हैं सबसे मधुर वो गीत
जिन्हें हम दर्द के सुर में गाते हैं का सटीक उदाहरण नहीं है.
योगेश ने फिल्म गीत लेखन में गीतकार शैलेन्द्र की कमी की काफी
हद तक भरपाई की.. उनके इस निखार के लिए सलिल चौधरी का
योगदान भी नहीं भुलाया जा सकेगा जो स्वयं भी एक लेखक थे
और अच्छे लेखन के कद्रदान भी.
गीत के बोल:
तुमने पिया ओ ओ ओ ओ
तुमने पिया दिया सब कुछ मुझको अपनी प्रीत दई के
राम करे यूँ ही बीते जीवन तुम्हरे गीत गई के
तुमने पिया दिया सब कुछ मुझको अपनी प्रीत दई के
राम करे यूँ ही बीते जीवन तुम्हरे गीत गई के
तुमने पिया
मैं तो हूँ भोली ऐसी भोली पिया
जैसे थी राधिका कान्हा की प्रेमिका
मैं तो हूँ भोली ऐसी भोली पिया
जैसे थी राधिका कान्हा की प्रेमिका
श्याम कहीं
श्याम कहीं बन जइयो ना तुम मेरी सुध भुलई के
राम करे यूँ ही बीते जीवन तुम्हरे गीत गई के
तुमने पिया
मेरे मितवा रे
मेरे मेरे मितवा रे मिले जब से तुम मुझे
बिंदिया माथे सजे पायल मेरी बजे
मेरे मितवा रे मिले जब से तुम मुझे
बिंदिया माथे सजे पायल मेरी बजे
माँग भरे
माँग भरे मेरी निस दिन अब सिन्दूरी सांझ अई के
तुमने पिया दिया सब कुछ मुझको अपनी प्रीत दई के
राम करे यूँ ही बीते जीवन तुम्हरे गीत गई के
…………………………………………………..
Tumne piya diya sab kuchh-Us paar 1974
किशोर कुमार की परदे पर उपस्थिति का ज़्यादातर
मतलब पूर्ण मनोरंजन. आज आपको ऐसा गीत सुनवा
रहे हैं जिसमें उनके लिए पार्श्व गायन मन्ना डे ने किया
है.
फिल्म के कथानक में एक पार्टी चल रही है जिसके शुरू
में मुक्केबाजी की प्रेक्टिस हो रही है. नायिका गाना शुरू
करती है और नायक मुक्केबाजी से निवृत्त हो कर हैप्पी
हो हैप्पी हो करते हुए गाना शुरू करता है और अपने नृत्य
कौशल से जनता को लुभाता है.
इस गीत में आपको फ़िल्मी दुनिया के ओर्केस्ट्रा के कई
कलाकार दिखलाई देंगे जिनके बारे में विस्तृत जानकारी
आपको महंगे वाले अंग्रेजी ब्लोगों पर उपलब्ध हो जायेगी.
गीत शैलेन्द्र का है और संगीत एस डी बर्मन का.
गीत के बोल:
हो हो गई शाम दिल बदनाम
लेता जाये तेरा नाम
लाख मनाऊँ नहीं माने
नहीं माने नहीं माने
हो ओ ओ हो गई शाम दिल बदनाम
लेता जाये तेरा नाम
लाख मनाऊँ नहीं माने
नहीं माने नहीं माने
हो ओ ओ हो गई शाम
प्यार ने जब से जादू फेरा हाँ
जागते करूं मैं सवेरा
आँखों में नाचे छबि तेरी हो
साँसों में रहे गम तेरा
हो पूछ लो कैसा रोग
दुनिआ मारे ताने
हैप्पी हो हैप्पी हो हैप्पी हैप्पी हैप्पी
हो गई शाम दिल बदनाम
लेता जाये तेरा नाम
लाख मनाऊँ नहीं माने
नहीं माने नहीं माने
हो ओ ओ हो गई शाम
हाय न दुनिया का मेला
तेरे बिना हूँ मैं अकेला
क्या मैं बताऊ कहाँ कहाँ
गर्दिश ने मुझको धकेला
हो ओ ओ तुम आ जाओ लौटा लाओ
वो गुजरे ज़माने
हो गई शाम दिल बदनाम
लेता जाये तेरा नाम
लाख मनाऊँ नहीं माने
नहीं माने नहीं माने
हो ओ ओ हो गई शाम
प्यार का रंगी ये नज़ारा हो
साथ तुम्हारा प्यारा प्यारा
हो ओ ओ सपना सुहाना मेरे आगे
आज मै फिर दिल हार
हो ओ ओ ये दो नैन ले गये चैन
लागे तड़पाने
हो गई शाम दिल बदनाम
लेता जाये तेरा नाम
लाख मनाऊँ नहीं माने
नहीं माने नहीं माने
हो ओ ओ ओ हो गई शाम दिल बदनाम
लेता जाये तेरा नाम
लाख मनाऊँ नहीं माने
नहीं माने नहीं माने
……………………………………………
Ho gayi sham dil badnam-Naughty Boy 1962
बाल गीतों में अगला पेश है फिल्म बारूद से. वो
गीत जिनका सम्बन्ध बच्चों से होता है उन्हें हम
बाल गीत कहते हैं.
फिल्म बारूद के लिए इस गीत को आनंद बक्षी ने
लिखा है. मुकेश और शिवांगी कोल्हापुरे की आवाजें
हैं, एस डी बर्मन का संगीत.
गीत के बोल:
तू शैतानों का सरदार है
सच है
हरदम लड़ने को तैयार है
सच है
ओ तेरे हाथों मेरा जीना दुश्वार है
डैडी फिर भी तुमको मुझसे प्यार है
हो डैडी फिर भी तुमको मुझसे प्यार है
शैतानों का सरदार है
सच है
हरदम लड़ने को तैयार है
सच है
ओ तेरे हाथों मेरा जीना दुश्वार है
डैडी फिर भी तुमको मुझसे प्यार है
हो डैडी फिर भी तुमको मुझसे प्यार है
मार के ठोकर मेज का कोना तोड़ दिया है
मेरा तो हर सपन सलोना तोड़ दिया है
मार के ठोकर मेज का कोना तोड़ दिया है
मेरा तो हर सपन सलोना तोड़ दिया है
और अपना भी हर एक खिलौना तोड़ दिया है
और अब जाने क्या तोड़े कोई एतबार है
डैडी फिर भी तुमको मुझसे प्यार है
हो डैडी फिर भी तुमको मुझसे प्यार है
सोचा था तू मेरे कितने काम करेगा
पढ़ लिख कर दुनिया में रोशन नाम करेगा
सोचा था तू मेरे कितने काम करेगा
पढ़ लिख कर दुनिया में रोशन नाम करेगा
तू तो मेरा नाम भी बदनाम करेगा
तुझको समझाने की हर कोशिश बेकार है
डैडी फिर भी तुमको मुझसे प्यार है
ओ डैडी फिर भी तुमको मुझसे प्यार है
क्या जंगल का राजा कभी मोर बनेगा
शेर का बेटा क्या इतना कमज़ोर बनेगा
अरे क्या जंगल का राजा कभी मोर बनेगा
शेर का बेटा क्या इतना कमज़ोर बनेगा
मैं सिपाही बना तू शायद चोर बनेगा
क्या कहूँ तू फूल है या काँटों का हार है
डैडी फिर भी तुमको मुझसे प्यार है
डैडी फिर भी तुमको मुझसे प्यार है
…………………………………………………
Too shaitanon ka sardar hai-Barood 1976
लता मंगेशकर द्वारा गाये उत्कृष्ट दर्द भरे गीतों में से
एक आज सुनते हैं जो आज ना जाने सुबह से ही
क्यूँ याद आ गया है. जीवन में बिछड़े हुओं को हम
वापस तो नहीं ला सकते मगर दुखी होने के बजाये
उनके साथ बिताए गए खुशी के दो पल याद कर के
मन को तसल्ली ज़रूर दे सकते हैं.
साहिर की लेखनी वाले गीतों में सबसे पहले जो सुने
थे ये उनमें से एक है. इसे सुन कर मुझे फिल्म आग
का गीत-देख चाँद की ओर भी याद आ जाता है, जाने
क्यूँ?
गीत नलिनी जयवंत पर फिल्माया गया है. दुखी होने
का अच्छा सामान है ये गीत और सुन्दर लड़कियों आंसू
कब, कैसे और कितने बहाने होते हैं इस गीत से समझो.
गीत के बोल:
जिया जाए पिया आ जा
जिया जाए पिया आ जा
जिया जाए पिया आ जा
दिल का दर्द ना जाने दुनिया जाने दिल तड़पाना
प्यार के दो बोलों के बदले दुश्मन हुआ ज़माना
हाय रे हाय दुश्मन हुआ ज़माना
दिल का दर्द ना जाने दुनिया जाने दिल तड़पाना
उम्मीद ने ठोकर खायी है
दिल दे के जुदाई पायी है
तेरा गम है मेरी तन्हाई है
पहले से न था ये जाना
पहले से न था ये जाना
के दिल का आना है जी से जाना
हाय रे हाय दुश्मन हुआ ज़माना
दिल का दर्द ना जाने दुनिया जाने दिल तड़पाना
प्यार के दो बोलों के बदले दुश्मन हुआ ज़माना
हाय रे हाय दुश्मन हुआ ज़माना
दिल का दर्द ना जाने दुनिया जाने दिल तड़पाना
आँखों में जो आंसू आयेंगे
तस्वीर तेरी दिखलायेंगे
हम थाम के दिल रह जायेंगे
पहले से न था ये जाना
पहले से न था ये जाना
के दिल का आना है जी से जाना
हाय रे हाय दुश्मन हुआ ज़माना
दिल का दर्द ना जाने दुनिया जाने दिल तड़पाना
प्यार के दो बोलों के बदले दुश्मन हुआ ज़माना
हाय रे हाय दुश्मन हुआ ज़माना
दिल का दर्द ना जाने दुनिया जाने दिल तड़पाना
जिया जाए पिया आ जा
जिया जाए पिया आ जा
जिया जाए पिया आ जा
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Dil ka dard na jaane duniya-Naujawan 1951
गंभीरता की बात चली है तो एस डी बर्मन के संगीत से ही एक और रत्न को निहारते हैं मेरा मतलब सुनते हैं एक बढ़िया सा गीत. हिंदी फिल्म का नायक फिल्म की परिभाषा (पता नहीं किसने लिखी और कब) के अनुसार बहुआयामी प्रतिभा वाला होता है. वो कथानक अनुसार उडती तीली से सिगरेट सुलगा सकता है, १० मंजिल ऊंची इमारत से छलांग लगा के बिल्ली की तरह अपने पंजों पर गिर के सीधा खड़ा हो सकता है और जो भी आप नहीं सोच सकते वो सब कर सकता है.
वही हीरो में शायर के कीड़े भी कुलबुलाने लग जाते हैं. वो सुंदरियों को देख के बिना डिक्शनरी लिए तरह तरह के भाव और बोल निकाल सकता है. ये तो हाइपोथेटिकल सिचुएशन हो गयी, असल में बढ़िया गीतकार संगीतकार और गायक ना हों तो इसका २० प्रतिशत प्रभाव ही स्वयं लाने में हवा सरक जाए.
सुनते हैं देव आनंद पर फिल्माया गया गीत सुनते हैं फिल्म तीन देवियाँ से एक गीत जिसे मजरूह ने लिखा है और रफ़ी ने गाया है. गीत में तीनों ही देवियाँ नज़र आ रही हैं. ये बोल ऑडियो के हिसाब से हैं. फिल्म में एक अंतरा गायब है.
बेखुदी शब्द का अर्थ है-बेसुध. ये शायद सबसे ज्यादा सटीक अर्थ है इस शब्द का. कई नायक इसे बोलते समय बेसुध से ही नज़र आते हैं. बेहोश और मदहोश होने में फ़र्क है. कई शराबी गीतों में बेखुदी शब्द का प्रयोग किया गया है. अब टल्ली या टुन्न जैसे शब्द घुसेड़ें गाने में तो उसे पब्लिक सुनेगी क्या भला?
गीत के बोल:
कहीं बेखयाल हो कर यूँ ही छू लिया किसी ने कहीं बेखयाल हो कर यूँ ही छू लिया किसी ने कई ख्वाब देख डाले यहाँ मेरी बेखुदी ने कहीं बेखयाल हो कर
मेरे दिल में कौन है तू के हुआ जहाँ अँधेरा मेरे दिल में कौन है तू के हुआ जहाँ अँधेरा वहीँ सौ दिए जलाये तेरे रुख की चांदनी ने कई ख्वाब कई ख्वाब देख डाले यहाँ मेरी बेखुदी ने कहीं बेखयाल हो कर
कभी उस परी का है कुछ कभी इस हसीं की महफ़िल कभी उस परी का है कुछ कभी इस हसीं की महफ़िल मुझे दरबदर फिराया मेरे दिल की सादगी ने कई ख्वाब कई ख्वाब देख डाले यहाँ मेरी बेखुदी ने कहीं बेखयाल हो कर
है भला सा नाम उसका मैं अभी से क्या बताऊँ है भला सा नाम उसका मैं अभी से क्या बताऊँ किया बेक़रार हंस कर मुझे एक आदमी ने कई ख्वाब कई ख्वाब देख डाले यहाँ मेरी बेखुदी ने कहीं बेखयाल हो कर
अरे मुझ पे नाज़ वालों ये नया ज़मन दिया क्यों अरे मुझ पे नाज़ वालों ये नया ज़मन दिया क्यों है यही करम तुम्हारा तो मुझे ना दोगे जीने कई ख्वाब कई ख्वाब देख डाले यहाँ मेरी बेखुदी ने कहीं बेखयाल हो कर …………………………………………………….. Kahin bekhayal ho kar-Teen deviyan 1965
सन १९६४ की फिल्म बेनजीर का संगीत थोडा गंभीर
किस्म का है और उसका आनंद उठाने के लिए थोड़े
धैर्य की ज़रूरत है. ज़रूरत है बोलों को ध्यान लगा
के सुनने की.
ट्रेजेडी क्वीन मीना कुमारी पर फिल्माया गया ये गीत
लिखा है शकील बदायूनीं ने और इसकी धुन तैयार की
है एस डी बर्मन ने. इस गीत को संगीत प्रेमी मुजरा
सॉंग कहते हैं.
गीत के बोल:
बहारों की महफ़िल सुहानी रहेगी
जुबां पर खुशी की कहानी रहेगी
चमकते रहेंगे मोहब्बत के तारे
चमकते रहेंगे मोहब्बत के तारे
खुदा की अगर मेहरबानी रहेगी
बहारों की महफ़िल सुहानी रहेगी
बहारों की महफ़िल सुहानी रहेगी
मोहब्बत को ए दिल निभाये चला जा
मोहब्बत को ए दिल निभाये चला जा
यही दाग दिल को लगाये चला जा
यही दाग दिल को लगाये चला जा
लगाये चला जा
सलामत यही एक निशानी रहेगी
खुदा की अगर मेहरबानी रहेगी
बहारों की महफ़िल सुहानी रहेगी
बहारों की महफ़िल सुहानी रहेगी
ना क्यूँ रश्क आये हमें इस खुशी पर
ना क्यूँ रश्क आये हमें इस खुशी पर
करम हो रहा है किसी का किसी पर
करम हो रहा है किसी का किसी पर
किसी का किसी पर
मोहब्बत हमेशा दीवानी रहेगी
खुदा की अगर मेहरबानी रहेगी
बहारों की महफ़िल सुहानी रहेगी
बहारों की हो हो ओ बहारों की आ आ आ
बहारों की महफ़िल सुहानी रहेगी
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Baharon ki mehfil suhani-Benazir 1964
कामिनी कौशल अपने ज़माने की एक मशहूर अभिनेत्री
रही हैं. उनकी उपस्थिति फिल्मों में काफी लंबे समय
तक रही और अपने कैरियर के उत्तरार्ध में उन्होंने काफी
सारी चरित्र भूमिकाएं कीं.
बी मित्रा निर्देशित इस फिल्म के नायक दिलीप कुमार
हैं. इस जोड़ी ने चार फिल्मों में अभिनय किया है-
नदिया के पार, शहीद, शबनम और आरजू.
गीत शुरू होता है और सस्पेंस वाले अंदाज़ में नायिका
के हाथ में रस्सी दिखती है, ऐसा लगता है मानो वो
भैंसा चारा रही हो. मगर ये क्या रस्सी का दूसरा सिरा
तो नायक के पैर में दिखलाई दे रहा है. इस बात से
हमें ये शिक्षा मिलती है-एक फोटो देख कर कन्क्लूज़न
पर जंप ना करें.
गीत के बोल:
हो ओ ओ
मेरा दिल तड़पा कर कहाँ चला
इतना तो बता के जा
इसे खेल कहूँ या प्यार कहूँ मुझे ये समझा के जा
ओ ओ ओ मेरा दिल तड़पा कर कहाँ चला
हम लाये प्यार के डोर तू तोड़ सके तो तोड़
लगा ले जोर
हम लाये प्यार के डोर तू तोड़ सके तो तोड़
लगा ले जोर
इसे जीत कहूँ या हार कहूँ इतना तो बताते जा
ओ ओ ओ मेरा दिल तड़पा कर कहाँ चला
हो ओ ओ जब देखा पहली बार तुझे मेरे कानों ने शहनाई सुनी
शहनाई सुनी
मेरे कानों ने शहनाई सुनी मेरे कानों ने शहनाई
क्यों तूने सुनी थी शेहनाई इतना तो बताते जा
हो ओ ओ मेरा दिल तड़पा कर कहाँ चला
होंठों पे ना आँखों में हाँ कुछ रूठे कुछ माने हुए
इकरार है यह इंकार है ये इतना तो बता के जा
हो ओ ओ मेरा दिल तड़पा कर कहाँ चला
जी भर के सताया तूने हमें अब चोरी चोरी जाने लगा
ओ दूर देश के सौदागर कर्ज़ा तो चुका के जा
ओ दूर देश के सौदागर कर्ज़ा तो चुका के जा
हो ओ ओ मेरा दिल तड़पा कर कहाँ चला
इतना तो बता के जा
इसे खेल कहूँ या प्यार कहूँ मुझे ये समझा के जा
हो ओ ओ मेरा दिल तड़पा कर कहाँ चला
............................................................
Mera dil tadpa kar kahan chala-Shabnam 1949
सुनते हैं एक मधुर युगल गीत फिल्म शर्मीली से. एस डी बर्मन
के संगीत वाले युगल गीत काफी कसावट लिए होते हैं. पिछली
काफी सारी पोस्ट पहले हमने एक रिपीट वैल्यू थ्योरी की बात
की थी, उस अनुसार इस गीत की रिपीट वैल्यू ज़बरदस्त है.
नीरज गीतकार हैं और इसे लता मंगेशकर और किशोर कुमार
ने गाया है. शशि कपूर और राखी पर इसे फिल्माया गया है.
फिल्म में राखी डबल रोल में हैं.
गीत के बोल:
आज मदहोश हुआ जाए रे
मेरा मन मेरा मन मेरा मन
बिना ही बात मुस्कुराए रे
मेरा मन मेरा मन मेरा मन
ओ री कली सजा तू डोली
ओ री लहर पहना तू पायल
ओ री नदी दिखा तू दर्पन
ओ री किरण उड़ा तू आँचल
एक जोगन है बनी आज दुल्हन हो ओ
आओ उड़ जाएं कहीं बन के पवन
आज मदहोश हुआ जाए रे
मेरा मन मेरा मन मेरा मन
शरारत करने को ललचाए रे
मेरा मन मेरा मन मेरा मन
ऐ यहाँ हमें ज़माना देखे
तो
आओ चलो कहीं छुप जाएं
अच्छा
यहाँ हमें ज़माना देखे
आओ चलो कहीं छुप जाएं
कैसे कहो प्यासे रह जाएं
तू मेरी मैं हूँ तेरा तेरी क़सम हो ओ
मैं तेरी तू मेरा मेरी क़सम हो ओ
आज मदहोश हुआ जाए रे
मेरा मन मेरा मन मेरा मन
रोम रोम बहे सुरधारा
अँग अँग बजे शहनाई
जीवन सारा मिला एक पल में
जाने कैसी घड़ी ये आई
छू लिया आज मैंने सारा गगन हो ओ
नाचे मन आज मोरा झूम छनन छनन हो ओ ओ ओ
आज मधोश हुआ जाए रे
मेरा मन मेरा मन मेरा मन
शरारत करने को ललचाए रे
बिना ही बात मुस्कुराए रे
मेरा मन
मेरा मन
मेरा मन
................................................................................
Aaj madhosh hua jaaye re-Sharmili 1973
आनंद बक्षी की कलम में जादुई असर ज़रूर था. इसके चलते
उन्होंने कई बढ़िया गीत रच डाले. कान्हा के बारे में अक्सर
चोरी शब्द ही चलन में है. बक्षी ने एक कदम आगे बढते हुए
ठगी, नकबजनी, लूट जैसे शब्दों को छोड़ के सीधे डाका पर
अपग्रेड कर दिया और ऐसा किया कि कुछ भी अटपटा नहीं
लगता. सहज गीत लगता है ये. धुन एस डी बर्मन की है.
फिल्म अनुराग का ये गीत आज हमने विशेष रूप से इसलिए
चुना है क्यूंकि अनुराग जी कई दिन से इस ब्लॉग पर प्रकट
नहीं हुए हैं. माखनचोर कृष्ण कन्हैया की तरह वो भी थोड़ी
सी आंखमिचोली खेल लेते हैं.
गीत में आपको युवा मौसमी चटर्जी, विनोद मेहरा और कुछ
बच्चों समेत अशोक कुमार दिखलाई देंगे. गीत में गुज़रे ज़माने
की अभिनेत्रियां नूतन और अनीता गुहा भी दिखलाई देंगे.
गीत के बोल:
नींद चुराये चैन चुराये डाका डाले तेरी बंसी
नींद चुराये चैन चुराये डाका डाले तेरी बंसी
अरे दिन दहाड़े
अरे दिन दहाड़े चोरी करे रात भर जगाये
डाका डाले तेरी बंसी
हो नींद चुराये चैन चुराये डाका डाले तेरी बंसी
मन में लगे ऐसे अगन जैसे चमके बिजुरिया बादल में
मन में लगे ऐसे अगन जैसे चमके बिजुरिया बादल में
चुपके कभी ले जाऊंगी तेरी बंसी छुपा के आँचल में
काहे शाम ढाले
काहे शाम ढाले कदम तले मुझको बुलाए
डाका डाले तेरी बंसी
नींद चुराये चैन चुराये डाका डाले तेरी बंसी
समझी थी मैं नटखट है तू बस माखन चुराया करता है
समझी थी मैं नटखट है तू बस माखन चुराया करता है
दीवानी मैं ना जानी तू काहे पनघट पे आया करता है
मोहे लाज आये
मोहे लाज आये हाय नहीं बात कही जाए
डाका डाले तेरी बंसी
नींद चुराये चैन चुराये डाका डाले तेरी बंसी
बंसी की धुन सुन के पिया जिया मेरा कहीं खो जाता है
बंसी की धुन सुन के पिया जिया मेरा कहीं खो जाता है
मैं क्या कहूँ क्या ना कहूँ मोहे ना जाने क्या हो जाता है
गीत प्रीत भरे
गीत प्रीत भरे गाये सुध बुध बिसराए
डाका डाले तेरी बंसी
खुशगवार पल और खुशनुमा एहसास की तलाश में हम क्या क्या नहीं कर जाते हैं. खुशियों के पल जो सहजता से प्राप्त होते हैं उनकी बात ही निराली है. ये कुछ पल से लेकर घंटों दिनों तक हो सकते हैं. इन्हें याद कर के भी मनुष्य खुश हो लेता है.
फिल्म जिंदगी जिंदगी से एक युगल गीत सुनते हैं जिसे किशोर और लता ने गाया है. आनंद बक्षी के बोल हैं आर एस डी बर्मन का संगीत.
गीत के बोल:
खुश रहो साथियों खुश रहो साथियों तुम्हें छोड़ के हम चले खुश रहो साथियों तुम्हें छोड़ के हम चले तुम्हें छोड़ के हम चले हमें छोड़ के गम चले खुश रहो साथियों तुम्हें छोड़ के हम चले खुश रहो साथियों तुम्हें छोड़ के हम चले
मुझे तेरे दुःख ने सैयां कितना रुलाया है मुझे तेरे प्रेम ने गोरी मौत से बचाया है मुझे तेरे दुःख ने सैयां कितना रुलाया है मुझे तेरे प्रेम ने गोरी मौत से बचाया है बहते बहते मगर ये आज आंसू थम चले खुश रहो साथियों तुम्हें छोड़ के हम चले खुश रहो साथियों तुम्हें छोड़ के हम चले
तुम्हें हम नहीं भूलेंगे हमें तुम भुलाना ना मिलेंगे कभी आशा के दीपक बुझाना ना तुम्हें हम नहीं भूलेंगे हमें तुम भुलाना ना मिलेंगे कभी आशा के दीपक बुझाना ना हँसते हँसते तुम्हारी आँखें कर के नाम चले खुश रहो साथियों तुम्हें छोड़ के हम चले खुश रहो साथियों तुम्हें छोड़ के हम चले
गयी रे जुदाई आईं प्रेम की रतियाँ गयी रे जुदाई गयी रे गयी रे जुदाई आईं प्रेम की रतियाँ किसी और के मुखड़े पे ठहरे न अँखियाँ तेरे मुख पे सांवरिया मेरे नैना जम चले खुश रहो साथियों तुम्हें छोड़ के हम चले खुश रहो साथियों तुम्हें छोड़ के हम चले तुम्हें छोड़ के हम चले हमें छोड़ के गम चले खुश रहो साथियों तुम्हें छोड़ के हम चले खुश रहो साथियों तुम्हें छोड़ के हम चले तुम्हें छोड़ के हम चले तुम्हें छोड़ के हम चले ......................................................................... Khush raho sathiyon-Zindagi zindagi 1972
Artists: Sunil Dutt, Waheeda Rehman, Farida Jalal, Dev Mukherji
जीवन की क्षणभंगुरता का आभास तब होता है जब कोई अपना
बिछड़ जाता है. ये ऐसे पल होते हैं जब व्यक्ति अपने जीवन की
सार्थकता को मापता है.
शरीर की मशीनरी चलाने के लिए तो अधिकाँश जीते हैं मगर वे
लोग जो दूसरों के लिए जीते हैं सही मायने में याद करने लायक
होते हैं. चाहे वो उनके जीवन काल में हो या उनके जाने के बाद,
उनके सृजनात्मक योगदान और सृष्टि के जीवों की सहायता सदा
याद रखी जाती है. परस्पर सम्बन्ध वाली इस सृष्ट में मानव ही
अक्सर अपना रोल और कर्तव्य भूल जाता है क्यूंकि उसके पास
सबसे अधिक बुद्धि है दूसरे जीवों की तुलना में. ज़रूरतमंद केवल
वही नहीं है जिसे पैसे की ज़रूरत है. क्या आपने कभी किसी के
लिए ऐसे कंधे बने हैं जिस पर सर टिका कर कोई अपना दुःख
हल्का कर सके.
प्रस्तुत है आनंद बक्षी का लिखा हुआ और सचिन देव बर्मन द्वारा
संगीतबद्ध और गाया हुआ गीत फिल्म जिंदगी जिंदगी से. बक्षी
के लिखे हुए जीवन दर्शन वाले गीतों में शायद इस गीत को समझ
पाना सबसे ज्यादा कठिन है.
गीत के बोल:
जिंदगी ए जिंदगी, जिंदगी तेरे हैं दो रूप
जिंदगी ए जिंदगी, जिंदगी तेरे हैं दो रूप
बीती हुई रातों की, बातों की तू छाया
छाया वो जो बनेगी धूप
कभी तेरी किरणें थी ठंडी ठंडी हाय रे
अब तू ही मेरे जी में आग लगाये
कभी तेरी किरणें थी ठंडी ठंडी हाय रे
अब तू ही मेरे जी में आग लगाये
चांदनी ए चांदनी, चांदनी तेरे हैं दो रूप
टूटे हुए सपनों की, अपनों की छाया
छाया वो जो बनेगी धूप
आते जाते पल क्या हैं समय के ये झूले हैं
बिछड़े साथी कभी याद आये कभी भूले हैं
आते जाते पल क्या हैं समय के ये झूले हैं
बिछड़े साथी कभी याद आये कभी भूले हैं
आदमी ए आदमी, आदमी तेरे हैं दो रूप
दुःख सुख के झूलों की, फूलों की तू छाया
छाया वो जो बनेगी धूप
छाया वो जो बनेगी धूप
कोई भूली हुई बात मुझे याद आई है
खुशी भी तू लायी थी ये आंसू भी तू लायी है
दिल्लगी ए दिल्लगी, दिल्लगी तेरे हैं दो रूप
कैसे कैसे वादों की, यादों की तू छाया
छाया वो जो बनेगी धूप
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Zindagi ae zindagi-Titlesong 1972
७० का दशक अपने आगमन की सूचना दे रहा है इस
गीत में. कुछ हसरतनुमा गीत है मगर इसे बर्मन दादा
के आहिस्ता वाले अंदाज़ में सेट किया गया है. कुछ
पंचम की मौजूदगी का एहसास भी कराता है ये गाना.
बोल एक बार फिर से शकील बदायूनी के हैं और संगीत
एस डी बर्मन का. रफ़ी के लिए भी ये अनुभव अलग रहा
होगा शकील के बोलों को बर्मन दादा के संगीत में गाना.
गायक रफ़ी कम से कम तकलीफ में ये गाना गा रहे हैं.
नौशाद इसी गीत पर रफ़ी को गायकी के ऊंचे नीचे स्केल
पर कसरत करवा देते.
गीत के बोल:
ले गई एक हसीना दिल मेरा हाय दिल हाय दिल हाय दिल
और मैं यही कहता रह गया हाय दिल हाय दिल हाय दिल
ले गई एक हसीना दिल मेरा हाय दिल हाय दिल हाय दिल
ओ ओ ओ ओ ओ ओ ओ ओ ओ ओ ओ
आँखों के सामने आई वो दिलरुबा
हुस्न था उसका शराबी ज़ुल्फ़ थी काली घटा
आँखों के सामने आई वो दिलरुबा
हुस्न था उसका शराबी ज़ुल्फ़ थी काली घटा
क्या कहूँ इसके सिवा हाय दिल हाय दिल हाय दिल हाय दिल
ले गई एक हसीना दिल मेरा हाय दिल हाय दिल हाय दिल
देखा है रात भर उसको ही ख्वाबों में
आरज़ू ये है के मिल कर हो ना वो मुझसे जुदा
देखा है रात भर उसको ही ख्वाबों में
आरज़ू ये है के मिल कर हो ना वो मुझसे जुदा
क्या कहूँ इसके सिवा हाय दिल हाय दिल हाय दिल हाय दिल
ले गई एक हसीना दिल मेरा हाय दिल हाय दिल हाय दिल
और मैं यही कहता रह गया हाय दिल हाय दिल हाय दिल
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Le gayi ek haseena-Benazir 1964
कविवर नीरज की स्मृति में एक गीत सुनते हैं आज जिसे हमने
फिल्म गैम्बलर से चुना है हमारे पाठकों के लिए. क्या खूब कहा
था उन्होंने- आदमी को आदमी बनाने के लिए जिंदगी में प्यार की
कहानी चाहिए.
जीवन की आपाधापी में बहुत कुछ छूट जाता है. कोई पैसे कमाने
से रह जाता है तो कोई खुशियों के पल. सम्पूर्णता जीवन में शायद
ही किसी को नसीब होती हो. कुछ ना कुछ तो कमी रह ही जाती
है. दृष्टिकोण पर भी निर्भर करता है. चाह बहुत अधिक हो तो
व्यक्ति प्यासा सा ही रहता है. संतोष जीवन की एक बड़ी कुंजी है
जिससे बड़ी बड़ी समस्याएं सुलझ जाती हैं.
फिल्म के नायक को पैसे की डरकर थी, वो उसे मिल गया फिर
उसे अब किस बात की कमी है, जाने के लिए सुनते हैं ये गीत.
देव आनंद पर फिल्माया गया ये गीत अपने गति परिवर्तन के
लिए जाना जाता है. दो मूड हैं इस गीत में. गीत का संगीत तैयार
किया है एस डी बर्मन ने.
गीत के बोल:
कैसा है मेरे दिल तू खिलाड़ी
भर के भी है तेरा प्याला खाली
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Kaisa hai mere dil too khiladi-Gambler 1971
जिंदगी में जो भी बेफिक्र रहता है उसे जिंदगी का असल
आनंद मिलता है. बेफिक्र होने और लापरवाह होने में फर्क
है. गैर जिम्मेदार होना भी एक बिलकुल अलग किस्म की
कला है.
हम बेफिक्री की बात कर रहे हैं. गीत में उसका पूर्ण विवरण
है क्या करें और कैसे करें. साहित्य के शौक़ीन मस्तराम
नाम से तो वाकिफ होंगे ही.
गीत है साहिर का और संगीत एस डी बर्मन का. इसे गाया
है किशोर कुमार और साथियों ने.
गीत के बोल:
गम की ऐसी तैसी
गम एक रोग है इंसान के तन बदन के लिए
सा रे गा मा प ध नि सा
चाहे कोई खुश हो चाहे गालियाँ हज़ार दे
मस्त राम बन के ज़िंदगी के दिन गुज़ार दे
चाहे कोई खुश हो चाहे गालियाँ हज़ार दे
अरे मस्त राम बन के ज़िंदगी के दिन गुज़ार दे
चाहे कोई खुश हो चाहे गालियाँ हज़ार दे
अरे मस्त राम बन के ज़िंदगी के दिन गुज़ार दे
पी के धाँधली करूं तो मुझको जेल भेज दो
सूँघने में क्या है ये जवाब थानेदार दे
भाव अगर बढ़ा भी डाले सेठ यार ग़म न कर
भाव अगर बढ़ा भी डाले सेठ यार ग़म न कर
अरे खाये जा मजे के साथ जब तलक़ उधार दे
खाये जा मजे के साथ जब तलक़ उधार दे
भाव अगर बढ़ा भी डाले सेठ यार ग़म न कर
खाये जा मजे के साथ जब तलक़ उधार दे
चाहे कोई खुश हो चाहे गालियाँ हज़ार दे
अरे मस्त राम बन के ज़िंदगी के दिन गुज़ार दे
अरे तेरे की हवा निकल गई
जैक लगाओ
स्टेपनी अरे पहिया पम्पिंग
चाहे कोई खुश हो चाहे गालियाँ हज़ार दे
अरे मस्त राम बन के ज़िंदगी के दिन गुज़ार दे
बाँट कर जो खाये उसपे अपनी जान ओ दिल लुटा
बाँट कर जो खाये उसपे अपनी जान ओ दिल लुटा
अरे जो बचाये माल उसको जूतियों का हार दे
जो बचाये माल उसको जूतियों का हार दे
बाँट कर जो खाये उसपे अपनी जान ओ दिल लुटा
जो बचाये माल उसको जूतियों का हार दे
चाहे कोई खुश हो चाहे गालियाँ हज़ार दे
मस्त राम बन के ज़िंदगी के दिन गुज़ार दे
चाहे कोई खुश हो चाहे गालियाँ हज़ार दे
अरे मस्त राम बन के ज़िंदगी के दिन गुज़ार दे
मस्त राम अरे मस्त राम मस्त राम
मस्त राम मस्त राम मस्त राम
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Chahe koi khush ho chahe galiyan hazaar de-Taxi Driver 1954
सन १९५५ में कई म्यूजिकल हिट फ़िल्में आयीं उनमें
से एक है मुनीमजी. इस फिल्म के अधिकाँश गाने जो
है वो लोकप्रिय हैं. एस डी बर्मन भक्तों के अनुसार इसके
सभी गीत लोकप्रिय एवं हिट हैं.
सुनते हैं फिल्म से लता मंगेशकर का गाया हुआ एक
गीत जिसे लिखा है साहिर लुधियानवी ने.
गीत के बोल:
एक नज़र बस एक नज़र
जान-ए-तमन्ना देख इधर
एक नज़र एक नज़र
जान-ए-तमन्ना देख इधर
एक नज़र बस एक नज़र
कुछ तो बता ऐ जान-ए-वफ़ा
तेरी अदा शरमाती है क्यों
कुछ तो बता ऐ जान-ए-वफ़ा
कुछ तो बता ऐ जान-ए-वफ़ा
तेरी अदा शरमाती है क्यों
हँस के लिपटती थी जो गले से
अब वो नज़र कतराती है क्यों
पहले लगाना हा आ आ
पहले लगाना फिर तरसाना
ठीक नहीं मेरे दिल्बर
एक नज़र बस एक नज़र
जान-ए-तमन्ना देख इधर
एक नज़र एक नज़र
हम भी हैं तेरे दीवाने
दिल भी है तेरा दीवाना
हम भी हैं तेरे दीवाने
हम भी हैं तेरे दीवाने
दिल भी है तेरा दीवाना
रूह के सोये तार जगा के
छेड़ दे ऐसा अफ़साना
दोनों जहाँ से आ आ आ
दोनों जहाँ से हम खो जाएं
कुछ भी रहे ना अपनी खबर
एक नज़र बस एक नज़र
जान-ए-तमन्न देख इधर
एक नज़र एक नज़र
एक नज़र बस एक नज़र
जान-ए-तमन्न देख इधर
एक नज़र एक नज़र
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Ek nazar bas ek nazar-Munimji 1955
हिंदी सिनेमा इतिहास में निवेदन गीत बहुत से बने हैं जिनमें से एक
उल्लेखनीय गीत है-आती क्या खंडाला. आज के दौर में इससे भी आगे
बढे हुए गीत बन चुके हैं.
हम चूंकि घिसे पिटे जून पुराने अंदाज़ वाले हैं इसलिए हमें काले पीले
दौर के गाने ज्यादा सुहाते हैं. एक उत्कृष्ट(इस शब्द का काफी दिन से
प्रयोग नहीं किया है) कोटि का गीत श्रवणते हैं चलचित्र प्यासा से. इस
चलचित्र के प्रमुख पात्रों को आप पहचानते है अतः नाम पुनः छापने में
कोई अर्थ नहीं.
साहित्यिक गीत सामने आते ही हमें वो सब याद आने लगता है-बीती
विभावरी जाग री, चारु चंद्र की चंचल किरणें, वो तोडती पत्थर के
साथ साथ चंदू के चाचा ने चंदू की चाची को चांदी के चम्मच से वेज
सूप पिलाया.
गीत के बोल:
सखी री बिरहा के दुखड़े सह सह कर
जब राधे बेसुध हो ली
तो इक दिन अपने मनमोहन से जा कर यूँ बोली
आज सजन मोहे अंग लगा लो
जनम सफ़ल हो जाये
आज सजन मोहे अंग लगा लो
जनम सफ़ल हो जाये
हृदय की पीड़ा देह की अग्नि
सब शीतल हो जाये
आज सजन मोहे अंग लगा लो
जनम सफ़ल हो जाये
करूं लाख जतन मोरे मन की तपन
मोरे तन की जलन नहीं जाये
करूं लाख जतन मोरे मन की तपन
मोरे तन की जलन नहीं जाये
कैसी लागी ये लगन कैसी जागी ये अगन
कैसी लागी ये लगन कैसी जागी ये अगन
जिया धीर धरन नहीं पाये
प्रेम सुधा मोरे साँवरिया साँवरिया
प्रेम सुधा इतनी बरसा दो जग जल थल हो जाये
आज सजन मोहे अंग लगा लो
जनम सफ़ल हो जाये
मोहे अपना बना लो मेरी बाँह पकड़
मैं हूँ जनम जनम की दासी
मोहे अपना बना लो मेरी बाँह पकड़
मैं हूँ जनम जनम की दासी
मेरी प्यास बुझा दो मनहर गिरिधर प्यास बुझा दो
मनहर गिरिधर प्यास बुझा दो
मनहर गिरिधर मैं हूँ अन्तर्घट तक प्यासी
प्रेम सुधा मोरे साँवरिया साँवरिया
प्रेम सुधा इतनी बरसा दो जग जल थल हो जाये
आज सजन मोहे अंग लगा लो
जनम सफ़ल हो जाये
कई जुग से हैं जागे मोरे नैन अभागे
कई जुग से हैं जागे मोरे नैन अभागे
कहीं जिया नहीं लागे बिन तोरे
सुख देखे नहीं आगे
सुख देखे नहीं आगे
दुःख पीछे पीछे भागे
जग सूना सूना लागे बिन तोरे
प्रेम सुधा मोरे साँवरिया साँवरिया
प्रेम सुधा इतनी बरसा दो जग जल थल हो जाये
आज सजन मोहे अंग लगा लो
जनम सफ़ल हो जाये
हृदय की पीड़ा देह की अग्नि
सब शीतल हो जाये
आज सजन मोहे अंग लगा लो
जनम सफ़ल हो जाये
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Aaj sajan mohe ang laga lo-Pyasa 1957
एक आकर्षक धुन में बंधा होली गीत सुनते हैं सन १९७३ की
कम लोकप्रिय फिल्मन फागुन से.
वहीदा रहमान पर फिल्माए गए इस गीत को सुन कर होली
पर आनंद आ जाता है. देखने को मिल जाए तो सोने पे सुहागा.
मजरूह सुल्तानपुरी के बोल हैं और एस डी बर्मन का संगीत.
इस ब्लॉग के गुप्त पाठकों और कॉपी पेस्टरों को होली की प्रकट
शुभकामनाएं. सुप्त पाठकों को हैप्पी हैप्पी. लुप्त पाठकों से एक
बार कम से कम त्यौहार पर आने का निवेदन.
गीत के बोल:
ओ ओ ओ पिया संग खेलो होली
पिया संग खेलो
पिया संग खेलो होली
हो फागुन आयो रे
चुनरिया भिगो ले गोरी
फागुन आयो रे
हो फागुन आयो रे
देखूं जिस ओर मच रहा शोर
गली में अबीर उड़े हवा में गुलाल
कहीं कोई हाय तन को चुराय
चली जाए देती गारी पोंछे जाये गाल
करे कोई जोरा जोरी
करे कोई जोरा जोरी
फागुन आयो रे
हो फागुन आयो रे
ओ ओ
कोई कहे सजनी सुनाओ पुकार
बरस बाद आये तोहरे द्वार
आज तो मोरी गेंदे की कली
होली के बहाने मिलो एक बार
तन पे है रंग मन पे है रंग
किसी मतवारे ने क्या रंग दियो डार
उई फुलवा पे पार गोरी तोरे गार
नैनों में गुलाबी डोरे मुख पे बहार
भीगी सारी भीगी चोली
फागुन आयो रे
हो फागुन आयो रे
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Piya sang khelo holi-Phagun 1973
फिल्म गाईड अपने समय की एक बेहतरीन फिल्म है. कथानक
से ले कर गीत संगीत तक सब कुछ उम्दा है इसका. फिल्म प्रेमी
जनता की अपेक्षाओं से कहीं ज्यादा है इस फिल्म में. फिल्म से
एक मधुर युगल गीत सुनते हैं, एक बार फिर से, जी हाँ इसे हम
ना जाने कितनी बार पहले भी सुन चुके हैं.
ओ मेरे हमराही मेरी बांह थामे चलना पंक्ति के इर्द गिर्द घूमता ये
गीत कुछ सुन्दर दृश्यावली से युक्त है. शैलेन्द्र के बोल हैं एवं इसे
किशोर कुमार और लाता मंगेशकर ने गाया है.
नायक नायिका को आप पहचान ही लेंगे ऐसा मेरा अनुमान है.
गीत के बोल:
गाता रहे मेरा दिल तू ही मेरी मंज़िल
कहीं बीतें न ये रातें कहीं बीतें न ये दिन
कहीं बीतें न ये रातें कहीं बीतें न ये दिन
गाता रहे मेरा दिल
प्यार करने वाले अरे प्यार ही करेंगे
जलने वाले चाहे जल जल मरेंगे
दिल से जो धड़के हैं वो दिल हरदम ये कहेंगे
कहीं बीतें न
कहीं बीतें न ये रातें कहीं वीतें न ये दिन
गाता रहे मेरा दिल
ओ मेरे हमराही मेरी बाँह थामे चलना
बदले दुनिया सारी तुम न बदलना
प्यार हमे भी सिखला देगा गरदिश में सम्भलना
कहीं बीतें न
कहीं बीतें न ये रातें कहीं बीतें न ये दिन
गाता रहे मेरा दिल
दूरियाँ अब कैसी अरे शाम जा रही है
हमको ढलते ढलते समझा रही है
आती जाती साँस जाने कब से गा रही है
कहीं बीतें न
कहीं बीतें न ये रातें कहीं बीतें न ये दिन
गाता रहे मेरा दिल
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Gaata rahe mera dil-Guide 1965