हाँ तो मैं क्या कह रहा था-राजा रानी १९७३
में आपको पता होगा। उनकी कई फिल्में फ्लॉप भी हुई
जैसे राजा रानी, आविष्कार इत्यादि। इस फ़िल्म का निर्देशन
सचिन भौमिक ने किया था जिन्होंने आराधना(१९६९) की
कहानी लिखी थी। आराधना के निर्देशक शक्ति सामंत थे।
एक अच्छा कहानीकार, जरूरी नहीं, बढ़िया निर्देशक भी हो।
कुछ लोगों का ऐसा मानना है की ये गाना फ़िल्म आराधना के
गाने रूप तेरा मस्ताना से प्रेरित है। विचार से इसको आराधना के
गाने की अगली कड़ी कहा जा सकता है। प्रेरित चीज़ें अक्सर
ओरिजनल जैसी बनाई जाती हैं। एक्सटेंशन ये सीकुएल के
मामले में ऐसा नहीं होता। ये उसका एक्सटेंशन हो सकता है।
आराधना के गाने में शर्मिला घबरायी सी शरमाई सी दिखती थी,
और इस गाने में वे उन्मुक्त और स्वच्छंद दिखाई देती है ।
आराधना का गाना मकान में भीतर फिल्माया गया था और
ये उसके बाहर। गाने में राजेश खन्ना के लिए मुकेश ने आवाज़ दी है
जो थोड़ा अनूठा प्रयोग है, इसके पहले ये प्रयोग आपने फ़िल्म
कटी पतंग में देखा होगा। कटी पतंग में भी संगीतकार वही थे,
जूनियर बर्मन।
फ़िल्म की कहानी जैसी भी हो उसका निर्देशन और एडिटिंग लचर
किस्म के थे। दर्शकों को बाँधने में फ़िल्म असफल रहती है। ये बतौर
निर्देशक सचिन भौमिक की पहली और आखिरी फ़िल्म साबित हुई।
गाना सुनने लायक है , बोल आनंद बक्षी के और संगीत
आर डी बर्मन का है। इसमे राजेश खन्ना की आवाज़ भी इस्तेमाल की
गई है।
गाने के बोल:
आसमान पे चांदनी का,
एक दरिया बह रहा था
हाँ तो मैं क्या कह रहा था
हाँ तो मैं क्या कह रहा था
कह रहे थे, तुम, हसीना, इश्क में मुश्किल है जीना
हाँ ,मुझे अब याद आया, जबसे मैंने दिल लगाया
आज, आज कौन सा दिन है
शुक्रवार है
वक्त यूँ ही जा रहा है
ठहरो कोई आ रहा हा
कोई मुसाफिर है
अपने रस्ते जा रहा है
तौबा मैं तो डर गया था
हाँ तो मैं क्या कह रहा था
हाँ तो मैं क्या कह रहा था
कह रहे, थे तुम कहानी, जब से आई है जवानी
अब सुनो, तुम बात आगे, जब से ये अरमान जागे
आज कौन सी तारीख है
आज छब्बीस तारीख है
प्यार सपने बुन रहा है
देखो, कोई सुन रहा है
माली है
बाग़ से कलियाँ चुन रहा है
मैं तो धोखा खा गया था
हाँ तो मैं क्या कह रहा था
ह्म्म्म, ह्म्म्म , ह्म्म्म, ह्म्म्म, ह्म्म्म
याद करते, फ़साना, तुम मुझे मत भूल जाना
क्या, दीवाना हूँ मैं कोई
जब से, मेरी नींद खोई
अरे हाँ, ये कौन सा महीना है
जनवरी
रुत सुहानी झूमती है
ये पुलिस क्यूँ घूमती है
ऊ हूँ , अरे बाबा तुम्हे नहीं किसी चोर को ढूंढती है
दर्द-एक-फुरक़त सह रहे थे
हाँ तो, तुम क्या कह रहे थे
हाँ तो, तुम क्या कह रहे थे
हाँ तो, हूँ हूँ
हाँ तो, तुम क्या
हाँ तो मैं क्या कह रहा था
हाँ तो, हूँ हूँ
मैं कुछ कह रहा था
बोलो न,भूल गए,
अरे हाँ, चलो चलो घर चलें
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