Oct 29, 2009

दादी अम्मा, दादी अम्मा मान जाओ-घराना १९६१

आंकडों में दूसरे गानों को पछाड़ता एक गीत है सन १९६१ से
दादी अम्मा, दादी अम्मा मान जाओ । इस गीत में दादी का रोल
प्रसिद्ध चरित्र अभिनेत्री ललिता पवार ने किया है। दो बच्चे हैं
इस गीत में जिसमे से एक है "डेज़ी ईरानी "। हमारे देश में
भी अब संयुक्त परिवारों की प्रथा ख़त्म होती सी नज़र आ रही है।
इस लिहाज़ से ये गीत किसी संग्रहालय में भी रखना चाहिए ताकि
हम आगे आने वाली पीड़ी को बता सकें कि हम अपने बुजुर्गों से
एक ज़माने में कितना प्यार किया करते थे। संगीतकार रवि ने
बहुत से आयोजनों पर गाने बनाये। जितने भी बनाये वो सब आज
तक बजते आ रहे हैं। चाहे वो शादी का गीत हो या फ़िर किसी और
मौके का।

आगे जिक्र होगा संगीतकार रवि उर्फ़ रविशंकर शर्मा की प्रतिभा का।
इस गीत के बोल मैं नहीं लिख रहा हूँ इधर। इसको ध्यान से सुनिए
और ख़ुद शब्दों को समझने की कोशिश करिए, ना समझ आए तो
एक टिप्पणी छोडिये ब्लॉग पर। इस गीत को ८ लाख से भी ज्यादा
बार देखा गया। इसको लिखा है शकील बदायूनी ने । जानकर आश्चर्य
हुआ ना ?



गीत  के बोल:

डिमांड पर.......................

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