हंसने की चाह ने -आविष्कार १९७३
गीत है फ़िल्म आविष्कार का। गायक के अलावा बाकी के नाम
उतने प्रसिद्ध नहीं हैं। गीतकार कपिल कुमार और संगीतकार
कनु रॉय हैं, रॉय गायिका गीता दत्त के भाई हैं। ये एक सरल
प्रवाह में बहने वाला थोड़ा सॉफ्ट किस्म का गाना है। बोल
खूबसूरत हैं इसके। गाने का सिंगार सितार और बांसुरी द्वारा किया
गया है। मन्ना डे की गायकी तो अपने शबाब पर ही है इसमे।
गाने के बोल:
हंसने की चाह ने इतना मुझे रुलाया है
कोई हमदर्द नहीं, दर्द मेरा साया है
दिल तो उलझा ही रहा ज़िन्दगी की बातों में
सांसें जलती हैं कभी कभी रातों में
किसी की आहटें ये कौन मुस्कुराया है
कोई हमदर्द नहीं ...
सपने छलते ही रहे रोज़ नई राहों से
कोई फिसला है अभी अभी बाहों से
किसी की आह पर तारों को प्यार आया है
कोई हमदर्द नहीं ...
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