Dec 31, 2009

तेरी सूरत से नहीं मिलती-जिद्दी १९६४

हीरो को एक तस्वीर मिल जाती है और वो उस तस्वीर वाली
लड़की को ढूंढता हुआ कहाँ पहुँचता है जानिये इस गीत में।
गौर कीजिये तस्वीर जिस कागज़ पे छपी है वो उम्दा क्वालिटी का
है जो मीलों चलने और धूप, हवा, पानी में भी ख़राब नहीं होने वाला
है। चक चक जैसी आवाजों वाले संगीत के साथ रफ़ी की आवाज़
वाला ये गीत रोचक है। उम्मीद है इस फिल्म में आर डी बर्मन ने,
जो अपने पिता के सहायक थे इस फिल्म के संगीत विभाग में,
शायद इस 'चक चक' की आवाज़ पर प्रयोग किये हों। हीरो जोय
मुखर्जी जिस सहजता और बीना किसी उत्पन्न या आसन्न संकट
के से ये गीत गा रहे हैं परदे पर इतनी महिलाओं और बालाओं के बीच
वो असल ज़िन्दगी में किसी व्यक्ति के लिए कल्पना करना भी संभव नहीं।
सूरत जो ढूंढी जा रही है उसको देख कर काश्मीर भी शर्मा जाये। ऐसा लिहा
है हसरत जयपुरी ने और इसको गा रहे हैं रफ़ी।


गीत के बोल:

तेरी सूरत से नहीं मिलती किसी की सूरत
तेरी सूरत से नहीं मिलती किसी की सूरत
हम जहाँ में तेरी तस्वीर लिए फिरते हैं

तेरी सूरत से नहीं मिलती किसी की सूरत

खूब चेहरा है तेरा दोनों जहाँ हैं पागल
सामने तेरे है फीका वो हसीं ताज महल
तेरी जुल्फों ने सनम दिल मेरा बाँध लिया
तूने ए जान-ए-सितम प्यार का जाम दिया
ज़ुल्फ़ की हम जवां ज़ंजीर लिए फिरते हैं
तेरी सूरत से नहीं मिलती किसी की सूरत
हम जहाँ में तेरी तस्वीर लिए फिरते हैं
तेरी सूरत से नहीं मिलती किसी की सूरत

ये तो दुनिया है यहाँ एक नहीं लाख हसीं
जो अदा देखी है तुझमें वो किसी में भी नहीं
सामना तेरा जब होगा तो क़यामत भी होगी
आँख जब तुझसे मिलेगी तो मोहब्बत भी होगी
प्यार की हम अजब तासीर लिए फिरते हैं
तेरी सूरत से नहीं मिलती किसी की सूरत
हम जहाँ में तेरी तस्वीर लिए फिरते हैं
तेरी सूरत से नहीं मिलती किसी की सूरत

चांदनी रात भी ज़ालिम तेरी परछाई है
और सूरज ने तेरे गालों से चमक पायी है
गर तुझे देख ले कश्मीर तो शर्मा जाए
और फ़रिश्ता जो अगर देख ले ललचा जाए
हम नए रंग की इक हीर लिए फिरते हैं

तेरी सूरत से नहीं मिलती किसी की सूरत
हम जहाँ में तेरी तस्वीर लिए फिरते हैं
तेरी सूरत से नहीं मिलती किसी की सूरत

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