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Apr 4, 2020

एक तरफ है माँ की छाया-आंधी और तूफ़ान १९६४

बिछुड़न और मिलन इस फिल्म की कहानी का मूल तत्व
है. ढेर सारे कलाकारों से भरी फिल्म में ढेर सारी घटनाएँ
हैं. कामरान फिल्म्स के बैनर तले इसका निर्माण हुआ और
फिल्म में कामरान स्वयं एक अहम भूमिका में हैं. फिल्म
का निर्देशन मोहम्मद हुसैन ने किया.

प्रस्तुत गीत फारूक कैसर ने लिखा है और इसका संगीत
तैयार किया है रॉबिन बैनर्जी ने. रफ़ी गायक कलाकार हैं.




गीत के बोल:

एक तरफ है माँ की छाया एक तरफ है ताज
राम लखन की जोड़ी देखो बिछड़ रही है आज

राम लखन की जोड़ी देखो बिछड़ रही है आज
राम लखन की जोड़ी देखो बिछड़ रही है आज
एक तरफ है माँ की छाया एक तरफ है ताज
राम लखन की जोड़ी देखो बिछड़ रही है आज

टूट गया है पल दो पल में सारी उमर का नाता
लुट गयी पूँजी मिट गया कोई देख रहा है दाता
देख रहा है दाता
उस आँगन को छोड़ चला क्यूँ जिसपे किया है राज़
एक तरफ है माँ की छाया एक तरफ है ताज
राम लखन की जोड़ी देखो बिछड़ रही है आज

अपने लहू से जिसको सींचा काटा उस फुलवारी को
आग लगा दो दुनिया वालों ऐसी दुनियादारी को

ऐसी दुनियादारी को
चुपके चुपके रोये माली बाग हुआ तालाब
एक तरफ है माँ की छाया एक तरफ है ताज
राम लखन की जोड़ी देखो बिछड़ रही है आज
………………………………………………….
Ek taraf hai maa ki chhaya=Aandhi aur toofan 1964

Artists: Dara Singh, Kamran, Ratnamala

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Mar 27, 2020

हे अब्दुल्ला नागिन वाला आ गया-इशारा १९६४

हिंदी फिल्मों में कुछ सिचुएशनल सॉंग्स ऐसे भी बने हैं जो
नियमित रूप से भले ही ना बजते मिलें मगर उन्हें जब भी
सुनो आप आनंदित अवश्य होते हैं.

फिल्म अभिनेता जॉय मुखर्जी के हिस्से कुछ बढ़िया गीत आये
जिन्हें सुन कर उनके समकालीनों को रश्क अवश्य हुआ होगा.
ऐसा ही एक गीत है फिल्म इशारा से जो कि एक युगल गीत
है लता और रफ़ी का गाया हुआ.  मजरूह सुल्तानपुरी के लिखे
गीत के लिए संगीत तैयार किया है कल्याणजी आनंदजी ने.




गीत के बोल:

आप गीत पर नागिन डांस करें तब तक बोल हाज़िर
होते हैं.
आ आ आ आ आ आ आ
हे अब्दुल्ला
हे अब्दुल्ला नागिन वाला आ गया
जादू बन कर छा गया
छेड़े है बीन प्यार की हो
हे अब्दुल्ला
हे अब्दुल्लाह नागिन वाला आ गया
जादू बन कर छा गया
छेड़े है बीन प्यार की ओ ओ
हे अब्दुल्ला

नागिन जब लचके रहना ज़रा बच के
नागिन जब लचके रहना ज़रा बच के
ये नैना जिसपे मोड दे दीवाना कर के छोड़ दे
दीवानी दिलदार की हो

हे अब्दुल्ला
हे अब्दुल्लाह नागिन वाला आ गया
जादू बन कर छा गया
छेड़े है बीन प्यार की ओ ओ
हे अब्दुल्ला

हम भी हैं कमाल के जादू नहीं डालते
अरे हम भी हैं कमाल के जादू नहीं डालते
पर अपनी बात बात पे रह जाये नाच नाच के
महफ़िल ये संसार की हो ओ

हे अब्दुल्ला
हे अब्दुल्लाह नागिन वाला आ गया
जादू बन कर छा गया
छेड़े है बीन प्यार की ओ ओ
हे अब्दुल्ला
………………………………………………………………
He Abdullah nagin wala aa gaya-Ishara 1964

Artists: Joy Mukherji, Vaijayantimala

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Nov 13, 2019

अश्कों ने जो पाया है-चांदी की दीवार १९६४

गुमनाम और अनदेखी फिल्मों में ऐसे ऐसे नायब मोती
बिखरे पड़े हैं कि जिनका कद फिल्मों से ऊंचा हो जाता
है कालांतर में. ठाकू जरनैल सिंह का गाना-हम तेरे बिन
जी न सकेंगे तो आपको याद ही होगा. क्या आपको
हेलन याद आती हैं जिन पर ये गीत फिल्माया गया है
या फिल्म के नायक शेख मुख्तार का नाम याद आता है
या फिर गीत के गीतकार असद भोपाली और संगीतकार
गणेश के नाम याद आते हैं? नहीं ना. ऐसा ही कुछ है
दिलीप बोस निर्देशित फिल्म चांदी की दीवार के गीत के
साथ. वैसे जनता तो ये भी भूल चुकी है कि बरसात का
गीत-मेरी आँखों में बस गया कोई रे किस पर फिल्माया
गया है-नर्गिस पर या निम्मी पर.

दिलीप बोस ने हिंदी में सन १९७१ की संसार और १९७३
की ठोकर का निर्देशन भी किया है. संयोग से १९७१ की
संसार में भी साहिर के लिखे गीत हैं. संगीत चित्रगुप्त का
है. दिलीप बोस ने भोजपुरी में कई उल्लेखनीय फ़िल्में
बनायीं हैं.

इस फिल्म से तलत महमूद का गाया गीत जिसकी एक
पंक्ति आज भी कान में किसी पंखों के बनाये हुए reamer
की तरह भेदन करती है-जो तार से निकली है वो धुन
सबने सुनी है, जो साज़ पे गुजरी है कसी दिल ने सुना
है.

गीत के बोल और संगीत दोनों उम्दा हैं और इस पर
किसी संगीत भक्त को रत्ती भर संदेह नहीं होना चाहिए.
साहिर लुधियानवी की रचना है और एन दत्ता का
संगीत.



गीत के बोल:

अश्कों ने जो पाया है वो गीतों में दिया है
इस पर भी सुना है के ज़माने को गिला है
अश्कों ने जो पाया है

जो तार से निकली है वो धुन सबने सुनी है
जो तार से निकली है वो धुन सबने सुनी है
जो साज़ पे गुजरी है वो किस दिल को पता है

अश्कों ने जो पाया है वो गीतों में दिया है
इस पर भी सुना है के ज़माने को गिला है
अश्कों ने जो पाया है

हम फूल हैं औरों के लिए लाये हैं खुशबू
हम फूल हैं औरों के लिए लाये हैं खुशबू
अपने लिए ले दे के बस इक दाग मिला है

अश्कों ने जो पाया है वो गीतों में दिया है
इस पर भी सुना है के ज़माने को गिला है
अश्कों ने जो पाया है
………………………………………………….
Askhon ne jo paaya hai-Chandi ki deewar 1964

Artist: Bharat Bhushan

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खेलो ना मेरे दिल से-हकीक़त १९६४

श्रोता के दिमाग के तार झनझना दे ऐसी धुनें केवल
सलिल चौधरी ने नहीं बल्कि अन्य संगीतकारों ने भी
बनायीं हैं. मदन मोहन के खज़ाने में भी ऐसी कुछ
धुनें हैं.

प्रस्तुत गीत फिल्म हकीक़त से है जिसे कैफी आज़मी
ने लिखा है. गीत में वाद्य यंत्र कम से कम प्रयोग में
लाये गए हैं और बस हावी होने की रेखा को छू कर
अपनी जगह पर वापस आ जाते हैं.

कुछ कुछ ऐसा ही है जैसे हमारे ब्लॉग की पोस्ट होती
हैं. गीत का बखान करने के लिए दस पेज का निबंध
लिखना ज़रूरी नहीं है. इधर उधर की आयं बायं सायं
घुसेडो और जगह जगह का कूड़ा इकठ्ठा कर के ब्लॉग
को खंती बना डालो. उसके बाद स्वच्छ भारत अभियान
का गाना गाओ. इन सब से बेहतर है संक्षेप में बात
कह लो.



गीत के बोल:

खेलो ना मेरे दिल से
खेलो ना मेरे दिल से
ओ मेरे साजना ओ साजना ओ साजना
खेलो ना खेलो ना मेरे दिल से
खेलो ना मेरे दिल से

मुस्कुरा के देखते तो हो मुझे
ग़म है किसलिये निगाह में
मुस्कुरा के देखते तो हो मुझे
ग़म है किसलिये निगाह में
मंज़िल अपनी तुम अलग बसाओगे
मुझको छोड़ दोगे राह में
प्यार क्या दिल्लगी प्यार क्या खेल है

खेलो ना मेरे दिल से
ओ मेरे साजना ओ साजना ओ साजना
खेलो ना मेरे दिल से

क्यूँ नज़र मिलाई थी लगाव से
हँस के दिल मेरा लिया था क्यूँ
क्यूँ नज़र मिलाई थी लगाव से
हँस के दिल मेरा लिया था क्यूँ

क्यूँ मिले थे ज़िन्दगी के मोड़ पर
मुझको आसरा दिया था क्यूँ
प्यार क्या दिल्लगी प्यार क्या खेल है

खेलो ना मेरे दिल से
ओ मेरे साजना ओ साजना ओ साजना
खेलो ना खेलो ना मेरे दिल से
खेलो ना मेरे दिल से
खेलो ना मेरे दिल से
..........................................................
Khelo na mere dil se-Haqeeqat 1964

Artist: Priya Rajvansh

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Nov 8, 2019

मैं ये सोच कर उसके दर से-हकीक़त १९६४

फिल्म हकीक़त का संगीत फिल्म के कथानक जैसा
ही गंभीर है. हालांकि फिल्म में एक खुशनुमा गीत
भी है रफ़ी का गाया हुआ और साथ में एक दीवाली
गीत है वो भी दुःख के भाव वाला है.

सुनते हैं फिल्म से रफ़ी का गाया एक दर्द भरा गीत
जो क्लासिक गीतों में शुमार है.



गीत के बोल:

मैं ये सोच कर उसके दर से उठा था
के वो रोक लेगी मना लेगी मुझको

हवाओं में लहराता आता था दामन
के दामन पकड़ कर बिठा लेगी मुझको

कदम ऐसे अंदाज़ से उठ रहे थे
के आवाज़ देकर बुला लेगी मुझको

मगर उसने रोका न उसने मनाया
न दामन ही पकड़ा न मुझको बिठाया
न आवाज़ ही दी न वापस बुलाया
मैं आहिस्ता आहिस्ता बढ़ता ही आया
यहाँ तक के उससे जुदा हो गया मैं
यहाँ तक के उससे जुदा हो गया मैं
जुदा हो गया मैं जुदा हो गया मैं
जुदा हो गया मैं जुदा हो गया मैं
............................................................
Main ye soch kar uske dar se-Haqeeqat 1964

Artist:

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Oct 23, 2019

ज़रा सी आहट होती है-हकीक़त १९६४

फिल्म हकीक़त के गीतों में से एक यही है जिसे
मदन मोहन के संगीत वाली किसी दूसरी फिल्म के
कथानक में फिट किया जा सकता है. मेरा आशय
उन भूतिया फिल्मों से है जिनमें मदन मोहन का
संगीत है-वो कौन थी और मेरा साया टाइप की.

गीत में आहट, सोच, वो तो नहीं जैसे शब्द हैं तो
आगे अंतरे में छू गई जिस्म मेरा किसके दामन की
हवा जैसे शब्द हॉरर फिल्म के गीत के लिए बढ़िया
सामान हैं.



गीत के बोल:

ज़रा सी आहट होती है तो दिल सोचता है
कहीं ये वो तो नहीं कहीं ये वो तो नहीं
कहीं ये वो तो नहीं
ज़रा सी आहट होती है तो दिल सोचता है
कहीं ये वो तो नहीं कहीं ये वो तो नहीं
कहीं ये वो तो नहीं

छुप के सीने में आ आ आ आ आ आ
छुप के सीने में कोई जैसे सदा देता है
शाम से पहले दिया दिल का जला देता है
है उसी की ये सदा है उसी की ये अदा
कहीं ये वो तो नहीं कहीं ये वो तो नहीं
कहीं ये वो तो नहीं

शक्ल फिरती है हाँ हाँ हाँ
शक्ल फिरती है निगाहों में वो ही प्यारी सी
मेरी नस-नस में मचलने लगी चिंगारी सी
छू गई जिस्म मेरा किसके दामन की हवा
कहीं ये वो तो नहीं कहीं ये वो तो नहीं
कहीं ये वो तो नहीं

ज़रा सी आहट होती है तो दिल सोचता है
कहीं ये वो तो नहीं कहीं ये वो तो नहीं
कहीं ये वो तो नहीं
........................................................
Zara si aahat hoti hai-Haqeeqat 1964

Artist: Priya Rajvansh

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Oct 18, 2019

बहारों की महफ़िल सुहानी रहेगी-बेनज़ीर १९६४

सन १९६४ की फिल्म बेनजीर का संगीत थोडा गंभीर
किस्म का है और उसका आनंद उठाने के लिए थोड़े
धैर्य की ज़रूरत है. ज़रूरत है बोलों को ध्यान लगा
के सुनने की.

ट्रेजेडी क्वीन मीना कुमारी पर फिल्माया गया ये गीत
लिखा है शकील बदायूनीं ने और इसकी धुन तैयार की
है एस डी बर्मन ने. इस गीत को संगीत प्रेमी मुजरा
सॉंग कहते हैं.




गीत के बोल:

बहारों की महफ़िल सुहानी रहेगी
जुबां पर खुशी की कहानी रहेगी
चमकते रहेंगे मोहब्बत के तारे
चमकते रहेंगे मोहब्बत के तारे
खुदा की अगर मेहरबानी रहेगी
बहारों की महफ़िल सुहानी रहेगी
बहारों की महफ़िल सुहानी रहेगी

मोहब्बत को ए दिल निभाये चला जा
मोहब्बत को ए दिल निभाये चला जा
यही दाग दिल को लगाये चला जा
यही दाग दिल को लगाये चला जा
लगाये चला जा
सलामत यही एक निशानी रहेगी
खुदा की अगर मेहरबानी रहेगी
बहारों की महफ़िल सुहानी रहेगी
बहारों की महफ़िल सुहानी रहेगी

ना क्यूँ रश्क आये हमें इस खुशी पर
ना क्यूँ रश्क आये हमें इस खुशी पर
करम हो रहा है किसी का किसी पर
करम हो रहा है किसी का किसी पर
किसी का किसी पर
मोहब्बत हमेशा दीवानी रहेगी
खुदा की अगर मेहरबानी रहेगी
बहारों की महफ़िल सुहानी रहेगी
बहारों की हो हो ओ बहारों की आ आ आ
बहारों की महफ़िल सुहानी रहेगी
...........................................................
Baharon ki mehfil suhani-Benazir 1964

Artists: Meena Kumari

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Nov 4, 2018

ले गई एक हसीना दिल-बेनज़ीर १९६४

७० का दशक अपने आगमन की सूचना दे रहा है इस
गीत में. कुछ हसरतनुमा गीत है मगर इसे बर्मन दादा
के आहिस्ता वाले अंदाज़ में सेट किया गया है. कुछ
पंचम की मौजूदगी का एहसास भी कराता है ये गाना.

बोल एक बार फिर से शकील बदायूनी के हैं और संगीत
एस डी बर्मन का. रफ़ी के लिए भी ये अनुभव अलग रहा
होगा शकील के बोलों को बर्मन दादा के संगीत में गाना.

गायक रफ़ी कम से कम तकलीफ में ये गाना गा रहे हैं.
नौशाद इसी गीत पर रफ़ी को गायकी के ऊंचे नीचे स्केल
पर कसरत करवा देते.




गीत के बोल:

ले गई एक हसीना दिल मेरा हाय दिल हाय दिल हाय दिल
और मैं यही कहता रह गया हाय दिल हाय दिल हाय दिल
ले गई एक हसीना दिल मेरा हाय दिल हाय दिल हाय दिल

ओ ओ ओ ओ ओ ओ ओ ओ ओ ओ ओ
आँखों के सामने आई वो दिलरुबा
हुस्न था उसका शराबी ज़ुल्फ़ थी काली घटा
आँखों के सामने आई वो दिलरुबा
हुस्न था उसका शराबी ज़ुल्फ़ थी काली घटा
क्या कहूँ इसके सिवा हाय दिल हाय दिल हाय दिल हाय दिल
ले गई एक हसीना दिल मेरा हाय दिल हाय दिल हाय दिल

देखा है रात भर उसको ही ख्वाबों में
आरज़ू ये है के मिल कर हो ना वो मुझसे जुदा
देखा है रात भर उसको ही ख्वाबों में
आरज़ू ये है के मिल कर हो ना वो मुझसे जुदा
क्या कहूँ इसके सिवा हाय दिल हाय दिल हाय दिल हाय दिल
ले गई एक हसीना दिल मेरा हाय दिल हाय दिल हाय दिल
और मैं यही कहता रह गया हाय दिल हाय दिल हाय दिल
……………………………………………………
Le gayi ek haseena-Benazir 1964

Artist: Shashi Kapoor

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Oct 29, 2018

हुस्न की बहारें लिये आये थे सनम-बेनज़ीर १९६४

फिल्म की कहानी ट्रेजेडी वाली है और इस फिल्म के
लिए मीना कुमारी से बेहतर नाम शायद निर्देशक को
कोई और सूझा नहीं होगा.

गीतकार ने भी वैसे ही गीत लिखे हैं. फिल्म देखो तो
ये कथानक से स्किनटाईट चिपके लगते हैं.

शकील बदायूनीं की रचन है और बर्मन दादा का संगीत.
उनकी फेवरेट सिंग्रेस इसे गा रही हैं.





गीत के बोल:

हुस्न की बहारें लिये आये थे सनम
कैसी बदनसीबी हुई मिल सके न हम
हुस्न की बहारें लिये आये थे सनम
कैसी बदनसीबी हुई मिल सके न हम

उनका करम भी आज सितम हो के रह गया
उनका करम भी आज सितम हो के रह गया
एक नगमा लब पे आया मगर खो के रह गया
हलकी सी एक खुशी है तो हल्का सा एक गम

हुस्न की बहारें लिये आये थे सनम
कैसी बदनसीबी हुई मिल सके न हम

गुलशन में फिर नसीमे शहर जाने कब चले
गुलशन में फिर नसीमे शहर जाने कब चले
उम्मीद का दिया मेरे घर जाने कब जले
ना जाने दिल की राह में कब आये वो कदम

हुस्न की बहारें लिये आये थे सनम
कैसी बदनसीबी हुई मिल सके न हम
मिल सके न हम मिल सके न हम
…………………………………………….
Husn ki baharen liye-Benazir 1964

Artist: Meena Kumari

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Apr 4, 2018

वो चुप रहें तो मेरे-जहांआरा १९६४

राजेंद्र कृष्ण की बात चली तो एक गीत सुन लिया जाए.
फिल्म जहांआरा से लता मंगेशकर का गाया एक गाना
सुनते हैं जिसकी धुन मदन मोहन ने तैयार की है. बोलों
की सरलता और धुन की जटिलता/कुटिलता का मिश्रण
जनता को काफी पसंद आया. इस जोड़ी ने कई नायाब
गीत रचे.

फिल्म जहाँआरा अभिनेत्री माला सिन्हा के फ़िल्मी जीवन
की एक माइलस्टोन फिल्म कही जाती है. ट्रेजिक कहानियों
को हिट करवा पाना आसान काम नहीं होता. किसी किसी
फिल्म का अंत ट्रेजिक होता है वहां तक तो जनता झेल
लेती है मगर पूरी कहानी दुखी सी हो तो उसे पचा पाना
आज भी पब्लिक के लिए थोडा मुश्किल काम है.




गीत के बोल:

वो चुप रहें तो मेरे दिल के दाग़ जलते हैं
वो चुप रहें तो मेरे दिल के दाग़ जलते हैं
जो बात कर लें  आ आ आ आ आ आ
जो बात कर लें तो बुझते चिराग़ जलते हैं
वो चुप रहें तो मेरे दिल के दाग़ जलते हैं

कहो बुझें के जलें
हम अपनी राह चलें या तुम्हारी राह चलें
कहो बुझें के जलें
बुझें तो ऐसे के जैसे किसी ग़रीब का दिल
किसी ग़रीब का दिल
जलें तो ऐसे के जैसे चिराग़ जलते हैं
वो चुप रहें तो मेरे दिल के दाग़ जलते हैं

ये खोई खोई नज़र
कभी तो होगी इधर या सदा रहेगी उधर
ये खोई खोई नज़र
उधर तो एक सुलग़ता हुआ है वीराना
है एक वीराना
मगर इधर तो बहारों में बाग़ जलते हैं
वो चुप रहें तो मेरे दिल के दाग़ जलते हैं

जो अश्क़ पी भी लिए
जो होंठ सी भी लिए तो सितम ये किसपे किए
जो अश्क़ पी भी लिए
कुछ आज अपनी सुनाओ कुछ आज मेरी सुनो
ख़ामोशिओं से तो दिल और दिमाग़ जलते हैं
वो चुप रहें तो मेरे दिल के दाग़ जलते हैं
जो बात कर लें तो बुझते चिराग़ जलते हैं
वो चुप रहें तो मेरे दिल के दाग़ जलते हैं
......................................................................
Wo chup rahen to mere-Jahan Ara 1964

Artist: Minu Mumtaz, Bharat Bhooshan

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Mar 20, 2018

एक मुसाफिर को दुनिया में क्या-दूर की आवाज़ १९६४

एक हास्य से भरपूर फिलोसोफिकल गीत सुनते हैं जिसे फिल्माया
गया है जॉनी वॉकर पर. रफ़ी ने जॉनी वॉकर के लिए कई गीत
गाये हैं.

शकील बदायूनीं के बोल हैं और रवि का संगीत. इस फिल्म में
रफ़ी के कई अंदाज़ वाले गीत हैं जिनमें से एक बच्चों वाला गीत
भी है.



गीत के बोल:

इक मुसाफ़िर को दुनिया में क्या चाहिए
सिर्फ़ थोड़ी सी दिल में जगह चाहिए
इक मुसाफ़िर को दुनिया में क्या चाहिए
सिर्फ़ थोड़ी सी दिल में जगह चाहिए
बैठ जाऊँ

ओ मोटे लाला तूने किया है कैसा छल
टिकट तेरा सिंगल मगर तू डबल
ओ मोटे लाला तूने किया है कैसा छल
टिकट तेरा सिंगल मगर तू डबल
खिसक ज़रा प्यारे सरक ज़रा प्यारे
खिसक ज़रा प्यारे सरक ज़रा प्यारे
ऐसी बॉडी में दिल भी बड़ा चाहिए

इक मुसाफ़िर को दुनिया में क्या चाहिए
सिर्फ़ थोड़ी सी दिल में जगह चाहिए
बैठ जाऊँ

ओ नकली दाढ़ी वाले तू गुस्सा मत कर
हमें भी जगह दे दे ज़रा ख़ुदा से डर
ओ नकली दाढ़ी वाले तू गुस्सा मत कर
हमें भी जगह दे दे ज़रा ख़ुदा से डर
खिसक ज़रा प्यारे सरक ज़रा प्यारे
खिसक ज़रा प्यारे सरक ज़रा प्यारे
तेरा फोटो न तेरा पता चाहिए

इक मुसाफ़िर को दुनिया में क्या चाहिए
सिर्फ़ थोड़ी सी दिल में जगह चाहिए
बैठ जाऊँ

हम पर भी कर दो ज़रा इनायत की नज़र
ख़ुशी से कट जाए हमारा भी सफ़र
हम पर भी कर दो ज़रा इनायत की नज़र
ख़ुशी से कट जाए हमारा भी सफ़र
खिसक ज़रा प्यारे सरक ज़रा प्यारे
खिसक ज़रा प्यारे सरक ज़रा प्यारे
यूँ किसी का न दिल तोड़ना चाहिए

इक मुसाफ़िर को दुनिया में क्या चाहिए
सिर्फ़ थोड़ी सी दिल में जगह चाहिए
इक मुसाफ़िर को दुनिया में क्या चाहिए
सिर्फ़ थोड़ी सी दिल में जगह चाहिए
……………………………………………………….
Ik musafir ko duniya mein kya-Door ki awaaz 1964

Artist: Johny Walker

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Mar 14, 2018

आ हा आई मिलन की बेला-शीर्षक गीत १९६४

शीर्षक गीतों में अगला प्रस्तुत है फिल्म आई मिलन की बेला से.
इसमें शीर्षक के आगे आ हा लगाया हुआ है. आ हा लगाने से इसे
गाने में सहूलियत हो गयी और ये सुनने में ज्यादा मधुर हो गया.

शैलेन्द्र के गीत को रफ़ी और आशा ने गाया है. शंकर जयकिशन
के संगीत वाली इस फिल्म के नायक राजेंद्र कुमार हैं. फिल्म में एक
और नायक हैं-धर्मेन्द्र. नायिका को आप पहचान लीजिए.





गीत के बोल:

आ हा आई मिलन की बेला देखो आई
बन के फूल हर कली मुस्कुराई हाय हाय हाय
आ हा आई मिलन की बेला देखो आई
होये उनसे नैन मिले मैं शरमाई
आ हा आई मिलन की बेला देखो आई
बन के फूल हर कली मुस्कुराई हो हो हो
आ हा आई मिलन की बेला देखो आई
उनसे नैन मिले मैं शरमाई आ हा आ हा आ हा
आ हा आई मिलन की बेला
ओ हो आई मिलन की बेला
आ हा आई मिलन की वेला

आ आ आ आ आ आ आ आ
जाने क्यों तेज़ हुई जाती है दिल की धड़कन
चुटकियाँ लेती है क्यों सीने में मीठी सी चुभन
आ आ आ आ आ आ आ आ आ आ आ आ
प्यार जो करते हैं होता है यही हाल उनका
देखिये क्या क्या दिखायेगी अभी दिल की लगन

आ हा आई मिलन की बेला देखो आई
बन के फूल हर कली मुस्कुराई हाय हाय हाय हाय
आ हा आई मिलन की बेला देखो आई
बन के फूल हर कली मुस्कुराई हो हो हो
आ हा आई मिलन की बेला
ओ हो आई मिलन की बेला
आ हा आई मिलन की वेला

आ आ आ आ आ आ आ आ
आज दुनिया मुझे कुछ और नज़र आती है
जिस तरफ़ देखिए तक़दीर मुस्कुराती है
आ आ आ आ आ आ आ आ
प्यार के रंग में रंग जाते हैं जब दिलवाले
देखते देखते हर चीज़ बदल जाती है

आ हा आई मिलन की बेला देखो आई
होये उनसे नैन मिले मैं शरमाई होये होये होये
आ हा आई मिलन की बेला देखो आई
बन के फूल हर कली मुस्कुराई हो हो हो
आ हा आई मिलन की बेला
ओ हो आई मिलन की बेला
आ हा आई मिलन की वेला

आ आ आ आ आ आ आ आ
आज सर से मेरा आँचल क्यूँ उड़ा जाता है
मेरा दिल क्यों मेरे पहलू से खिंचा जाता है
आ आ आ आ आ आ आ आ
मुन्तज़िर होगा कोई याद कर रहा होगा
दर्द सा उठता है जब याद किया जाता है

आ हा आई मिलन की बेला देखो आई
बन के फूल हर कली मुस्कुराई हाय हाय हाय
आ हा आई मिलन की ठेला देखो आई
बन के फूल हर कली मुस्कुराई हो हो हो
आ हा आई मिलन की बेला
ओ हो आई मिलन की बेला
आ हा आई मिलन की वेला
…………………………………………………………………………..
Aa ha aayi Milan ki bela-Titlesong 1964

Artists: Rajendra Kumar, Saira Bano

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Mar 8, 2018

मचलती हुई हवा में छम छम-गंगा की लहरें १९६४

किशोर कुमार की प्रमुख और लोकप्रिय फिल्मों में से एक है
सन १९६४ की फिल्म गंगा की लहरें. ब्लॉग पर आपको इस
फिल्म से एक भी गीत नहीं सुनवाया है. मुझे भी आश्चर्य हुआ
जब मैंने सूची देखी.

मजरूह सुल्तानपुरी की रचना को स्वर दिया है लता मंगेशकर
और किशोर कुमार ने चित्रगुप्त की तर्ज़ पर. गीत किशोर कुमार
और कुमकुम पर फिल्माया गया है. विश्व नारी दिवस के
अवसर पर इस महिला पुरुष कोरस से युक्त गीत का आनंद
उठाइए.



गीत के बोल:


मचलती हुई हवा में छमछम
हमारे संग संग चलें गंगा की लहरें
मचलती हुई हवा में छमछम
हमारे संग संग चलें गंगा की लहरें

हो ओ ओ ज़माने से कहो अकेले नहीं हम
हमारे संग संग चलें गंगा की लहरें
ज़माने से कहो अकेले नहीं हम
हमारे संग संग चलें गंगा की लहरें

हरियाली सी छा जाती है छाँव में इन के आँचल की
हरियाली सी छा जाती है छाँव में इन के आँचल की
सर को झुका के नाम लो इन के ये तो है शक्ति निर्बल की
हिमालय ने भी चूमे हैं इन के क़दम

मसलती हुई हवा में छमछम
हमारे संग संग चलें गंगा की लहरें
ज़माने से कहो अकेले नहीं हम
हमारे संग संग चलें गंगा की लहरें

सुख में डूबा तन मन उस का आया जो इन के आँगन में
सुख में डूबा तन मन उस का आया जो इन के आँगन में
प्यार का पहला दर्पण देखा दुनिया ने इनके दर्शन में
के यूँ ही नहीं खाते हम इन की क़सम

ज़माने से कहो अकेले नहीं हम
हमारे संग संग चलें गंगा की लहरें
मचलती हुई हवा में छमछम
हमारे संग संग चलें गंगा की लहरें

साथ दिया है इन लहरों ने जब सब ने मुँह फेर लिया
साथ दिया है इन लहरों ने जब सब ने मुँह फेर लिया
और कभी जब गम की जलती धूप ने हम को घेर लिया
तो आओ इन के ही क़दमों में झुक जायें हम

मचलती हुई हवा में छमछम
हमारे संग संग चलें गंगा की लहरें
ज़माने से कहो अकेले नहीं हम
हमारे संग संग चलें गंगा की लहरें
………………………………………………………….
Machalti hui hawa mein-Ganga ki lehren 1964

Artists: Kishore Kumar, Kumkum

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Feb 21, 2018

हमीं से मुहब्बत हमीं से लड़ाई-लीडर १९६४

प्यार मोहब्बत में नोक झोंक तो होती ही है. फिल्म लीडर
से एक रफ़ी का गाया गीत सुनते हैं. शकील बदायूनीं के
गीत की तर्ज़ बनाई है नौशाद ने.

जैसे प्यार मोहब्बत में सब जायज है वैसे ही हिंदी फ़िल्मी
गीतों की पंक्तियों में भी सब कुछ जायज है. अब कोई दूसरी
पंक्ति के शब्द ‘कर’ को ‘पर’ लिख दे तो इसका अर्थ कोई
सुपर-ज्ञानी ही समझ सकता है. ये अंतर ढेर सारी आँख मूँद
के बनाई गयी वेबसाइटों पर नज़र नहीं आता है.

उधर तुमने तीर-ए-नज़र दिल पे मारा
इधर हमने भी जान कर चोट खाई



गीत के बोल:

हमीं से मुहब्बत हमीं से लड़ाई
हमीं से मुहब्बत हमीं से लड़ाई
अरे मार डाला दुहाई दुहाई
अरे मार डाला दुहाई दुहाई
अभी नासमझ हो उठाओ न खंजर
अभी नासमझ हो उठाओ न खंजर
कहीं मुड़ न जाये तुम्हारी कलाई
अरे मार डाला दुहाई दुहाई

सितम आज मुझ पर जो तुम ढा रही हो
बड़ी खूबसूरत नज़र आ रही हो
ये जी चाहता है के खुद जान दे दूँ
ये जी चाहता है के खुद जान दे दूँ
मुहब्बत में आये न तुम पर बुराई
अरे मार डाला दुहाई दुहाई

हमें हुस्न की हर अदा है गवारा
हसीनों का ग़ुस्सा भी लगता है प्यारा
उधर तुमने तीर-ए-नज़र दिल पे मारा
उधर तुमने तीर-ए-नज़र दिल पे मारा
इधर हमने भी जान कर चोट खाई
अरे मार डाला दुहाई दुहाई

करो खून तुम यूँ न मेरे जिगर का
बस इक वार काफ़ी है तिरछी नज़र का
यही प्यार को आज़माने के दिन हैं
यही प्यार को आज़माने के दिन हैं
किये जाओ हमसे यूँ ही बेवफ़ाई
हमीं से मुहब्बत हमीं से लड़ाई
अरे मार डाला दुहाई दुहाई
हो ओ ओ ओ ओ ओ ओ
अभी नासमझ हो उठाओ न खंजर
अभी नासमझ हो उठाओ न खंजर
कहीं मुड़ न जाये तुम्हारी कलाई
अरे मार डाला दुहाई दुहाई
..................................................................
Hamin se mohabbat-Leader 1964

Artists: Dilip Kumar, Vaijayantimala

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Feb 12, 2018

आ जा जाने जां-गीत गाया पत्थरों ने १९६४

अभिनेत्री राजश्री वाला एक गीत आपने सुना. अब सुनते हैं एक
एकल गीत उनपर फिल्माया गया जिसे आशा भोंसले ने गाया है.
बोल हसरत जयपुरी के हैं और संगीत रामलाल का.

वी शांताराम की कृतियाँ क्लासिक कही जाती हैं. कोई दूसरा ऐसा
निर्माता निर्देशक नहीं है हिंदी सिनेमा क्षेत्र में जिसकी सभी फिल्मों
को क्लासिक का दर्ज़ा प्राप्त हो. किसी कि एक किसी कि दो किसी
कि दस फ़िल्में क्लासिक हो सकती हैं मगर सम्पूर्ण उत्पाद क्लासिक
हो या फिल्म समीक्षकों ने बतलाये हों ऐसा दूसरा नाम नहीं मिलता.
प्रयोगधर्मिता को पैमाना ना बनाया जाए तो बिमल रॉय का नाम
हिंदी सिनेमा के उत्कृष्ट फिल्मकारों में गिना जाता है.

यथार्थवादी सिनेमा की नाव खेने वाले फिल्मकार भी बहुतेरे हुए हैं
एक पीढ़ी में ख्वाजा अहमद अब्बास, दूसरी में बी आर ईशारा और
तीसरी पीढ़ी में जो नाम ध्यान आता है वो रामगोपाल वर्मा का.
सबके कथानक के प्रस्तुतीकरण अलग अलग हैं. आज तो प्रतिभाओं
की झड़ी लगी हुई है बॉलीवुड में, और, रीयलिस्टिक सिनेमा के काफी
कर्णधार दिखलाई देने लगे हैं. पैडमैन जैसी फ़िल्में भी बनाई जाने
लगी हैं. ऐसे विषयों को पहले कोई छूने का प्रयास नहीं करता था.



गीत के बोल:   

आ जा रे जाने जां
आ जा जाने जां मेरे मेहरबां
आ जा जाने जां
नैनों का कजरा बुलाये
दिल का ये अचरा बुलाये
बाहों का गजरा बुलाये
आ जा जाने जां मेरे मेहरबां
आ जा जाने जां

जब से गया तू घर से मेरी मोहब्बत तरसे
पलकों से सावन बरसे बरसे
चंदा चंदा ना गुज़रे इधर से
हर साँस दिल को दुखाये ज़ख़्मों ने आँसू बहाये

आ जा जाने जां मेरे मेहरबां
आ जा जाने जां

घुँघरू में नगमा तुम्हारा आँखों में जलवा तुम्हारा
फूलों में मुखड़ा तुम्हारा तुम्हारा
तारों में तारों में हँसना तुम्हारा
मेरी नज़र ललचाये होठों से निकले हाय

आ जा जाने जां मेरे मेहरबां
आ जा जाने जां
नैनों का कजरा बुलाये
दिल का ये अचरा बुलाये
बाहों का गजरा बुलाये
आ जा जाने जां मेरे मेहरबां
आ जा जाने जां
………………………………………………………….
Aa ja jaane jaan-Geet gaaya pattharon ne 1964

Artist: Rajshri

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Feb 5, 2018

मेरे प्यार में तुझे क्या मिला-सुहागन १९६४

सुनते हैं फिल्म सुहागन से एक गीत रफ़ी का गाया हुआ. इस फिल्म
से रफ़ी का ही गाया हुआ एक गीत आप सुन चुके हैं पहले. एक और
सुन लेते हैं आज.

हसरत जयपुरी गीतकार हैं और मदन मोहन ने धुन तैयार की है. इसे
हम प्रश्नवाचक गीत भी कह सकते हैं. प्रश्न का जवाब भी इसी गीत में
मौजूद है.

जैसी स्वीकारोक्ति इस गीत में है वैसा साहस बिरले जीवों में होता है.
मानव तो एक छोटी सी भूल या गलती को स्वीकारने में अपने अहम
की चट्टान खड़ी कर लेता है. एक छोटे से सॉरी से जीवन कितना
आसान बनता चलता है, केवल कह देने से नहीं बल्कि उसे दिल से
कहने पर. हसरत जयपुरी ने रोमांटिक गीतों के बिलकुल उलट इसे
लिखा है.





गीत के बोल:

मेरे प्यार में तुझे क्या मिला
तेरे दिल का फूल न खिल सका
मेरे प्यार में तुझे क्या मिला
तेरे दिल का फूल न खिल सका
मेरे प्यार में तुझे क्या मिला

तेरा रंग रूप उजड़ गया
ये हसीन चेहरा उतर गया
न बहार है न सिंगार है
न कोई ख़ुशी न क़रार है
मुझे अपने आप से है गिला
मेरे प्यार में तुझे क्या मिला

रही दिल की दिल में ही हसरतें
बनीं ज़हर प्यार की राहतें
तुझे खा गईं ये ख़ामोशियाँ
बनीं चूडियाँ तेरी बेड़ियाँ
के ग़मों पे कुछ भी न बस चला
मेरे प्यार में तुझे क्या मिला

मेरे दिल यहाँ से तू चल कहीं
मुझे कोई जीने का हक़ नहीं
मैं करूँगा तेरा ही ख़ात्मा
तेरे साथ अपना भी ख़ात्मा
मेरा आज है यही फ़ैसला
यही फ़ैसला यही फ़ैसला यही फ़ैसला
……………………………………………………………………..
Mere pyar mein tujhe kya mila-Suhagan 1964

Artist: Guru Dutt

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Dec 27, 2017

मारा गया ब्रह्मचारी-चित्रलेखा १९६४

मन्ना डे के हास्य गीत बहुतेरे हैं. इनमें से कई गीत महमूद पर
फिल्माए गए हैं. विचित्र भाव भंगिमाओं वाले ऐसे गीतों का निर्माण
अब शायद संभव नहीं होगा. कुछ भाव भंगिमाएं महमूद की पेटेंट
सरीखी थीं. उनकी नक़ल कभी दिखलाई नहीं दी और ना ही आगे
देगी.

फिल्म चित्रलेखा से एक गीत सुनते हैं जिसे साहिर लुधियानवी ने
लिखा है और इसका संगीत तैयार किया है रोशन ने. इस यू ट्यूब
वाले वीडियो में तीन अंतरे हैं. बाकी के दो ऑडियो गीत में उपलब्ध
हैं.



गीत के बोल:

लागी मनवा के बीच कटारी
के मारा गया
के मारा गया ब्रह्मचारी हाय
कैसी ज़ुल्मी
कैसी ज़ुल्मी बनाई तैने नारी
के मारा गया ब्रह्मचारी

ऐसा घुँघरू पायलिया का छनका
हाय रे छनका
मोरी माला में अटक गया मनका
हाय रे मनका
मैं तो भूल प्रभु
मैं तो भूल प्रभु सुध बुध सारी
के मारा गया
के मारा गया भम्मचारी

कैसी ज़ुल्मी बनाई तैने नारी
के मारा गया ब्रह्मचारी

कोई चंचल कोई मतवाली है
मतवाली है
कोई नटखट कोई भोली भाली है
भोली भाली है
कभी देखी न थी हाय
कभी देखी न थी ऐसी फुलवारी
के मारा गया
के मारा गया ब्रह्मचारी

बडे जतनों साथ बनाई थी
बनाई थी
मोरी बरसों की पुण्य कमाई थी
कमाई थी
तैने पल में हाय
तैने पल में भसम कर डारी
के मारा गया ब्रह्मचारी

मोहे बावला बना गई वा की बतियाँ
वा की बतियाँ
अब कटती नहीं हैं मोसे रतियाँ
मोसे रतियाँ
पड़ी सर पे हाय
पड़ी सर पे बिपत अति भारी
के मारा गया
के मारा गया ब्रह्मचारी

कैसी ज़ुल्मी बनाई तैने नारी
के मारा गया ब्रह्मचारी

मोहे उन बिन कछु न सुहाये रे
न सुहाये रे
मोरे अखियों के आगे लहराये रे
लहराये रे
गोरे मुखड़े पे हाय
गोरे मुखड़े पे लट कारी कारी
के मारा गया
के मारा गया ब्रह्मचारी

कैसी ज़ुल्मी बनाई तैने नारी
के मारा गया
के मारा गया ब्रह्मचारी
…………………………………………………………
Mara gaya brahmachari-Chitralekha 1964

Artist: Mehmood

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Nov 26, 2017

हाल-ए-दिल उनको सुनाना था-फ़रियाद १९६४

हाल-ए-दिल हिट्स के अंतर्गत एक गीत और सुनते हैं फिल्म
फ़रियाद से. सन १९६४ की केदार शर्मा द्वारा निर्मित इस फिल्म
का ये सबसे मधुर गीत है शायद, मेरे ख्याल से. इस फिल्म में
बहुत ज्यादा चीज़ें याद करने लायक नहीं हैं, इसलिए शायद
जनता ने इस फिल्म को जल्दी भुला दिया. केदार शर्मा काफी
बड़े फिल्मकार थे अतः उनकी फिल्मों को आप आसानी से ख़ारिज
नहीं कर सकते. फिल्म के कलाकारों को एक्टिंग भले ही ना के
बराबर आती हो, बाकी के फ़िल्मी पहलू लगभग बढ़िया हैं.

इस गीत को केदार शर्मा ने लिखा है और स्नेहल भाटकर ने धुन
तैयार की. सुमन कल्याणपुर गायिका हैं और ये उनके कुछ चर्चित
गीतों में से एक है.





गीत के बोल:

हाल-ए-दिल उनको सुनाना था
हाल-ए-दिल उनको सुनाना था
सुनाया ना गया सुनाया ना गया
जो ज़ुबाँ पर मुझे लाना था
जो ज़ुबाँ पर मुझे लाना था
वो लाया ना गया वो लाया ना गया
हाल-ए-दिल उनको

प्यार में सीने पे सर रख के तो दिल क़दमों पर
प्यार में सीने पे सर रख के तो दिल क़दमों पर
आप को अपना बनाना था
आप को अपना बनाना था
बनाया ना गया बनाया ना गया
हाल-ए-दिल उनको

खेलती आँख मिचोली रही नज़रें अपनी
खेलती आँख मिचोली रही नज़रें अपनी
जिनको पलकों में छुपाना था
जिनको पलकों में छुपाना था
छुपाया ना गया छुपाया ना गया
हाल-ए-दिल उनको

एक ही वार में हाथों से जिगर छीन लिया
एक ही वार में हाथों से जिगर छीन लिया
हाय जिस दिल को बचाना था
हाय जिस दिल को बचाना था
बचाया ना गया बचाया ना गया
हाल-ए-दिल उनको सुनाना था
सुनाया ना गया सुनाया ना गया
हाल-ए-दिल उनको
……………………………………………………………..
Haal-e-dil unko sunana tha-Fariyaad 1964

Artists: Zeb Rehman

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Sep 6, 2017

रुक जा रोकता है ये-मिस्टर एक्स इन बॉम्बे १९६४

कुछ दिन पहले हम चर्चा कर रहे थे(चर्चा क्या थी -एक तरफ़ा थी)
की कुछ शब्द विशेष गीतों को प्रसिद्ध करने में अहम भूमिका निभाते
हैं. आज दो शब्द दिमाग में आये-“रुक जा” मुखड़े में ये शब्द कई
गीतों में सुनाई देते हैं-जैसे मुकेश का गाया अन्ताक्षरी स्पेशल गीत
-रुक जा ओ जाने वाली रुक जा, रुक जा ओ दिल दीवाने-दिल वाले
दुल्हनिया ले जायेंगे, रुक जाना ओ जाना-वारंट,

आज आपको सुनवाते हैं बड़ा जोर लगा के बोला गया ‘रुक जा’ एक
डांस सॉंग है फिल्म मिस्टर एक्स इन बॉम्बे से जिसमें किशोर कुमार,
कुमकुम के अलावा ढेर सारी लड़कियां नाचती नज़र आ रही हैं. काफी
शोरगुल वाला गीत है ये और विलायती सी लगने वाली धुन है.




गीत के बोल:

रुक जा
ओ रुक जा
रोकता है ये दीवाना रूठ के मुझसे ना जाना
देखने वाले समझेंगे के तू है मेरी महबूबा
ओ रुक जा
रुक जा
रोकता है ये दीवाना रूठ के मुझसे ना जाना
देखने वाले समझेंगे के तू है मेरी महबूबा
ओ रुक जा

ये मौसम ये नज़ारे ये फूलों के इशारे
तेरी सूरत पे आशिक ये सारे सनम
ये मौसम ये नज़ारे ये फूलों के इशारे
तेरी सूरत पे आशिक ये सारे सनम
कभी मस्त हवा छेड़ेगी तुझे कभी हम आ जायेंगे

रुक जा
रोकता है ये दीवाना रूठ के मुझसे ना जाना
देखने वाले समझेंगे के तू है मेरी महबूबा
ओ रुक जा

बैठी है हसीना तू सबसे जुदा क्यूँ
ऐ शोख अदा कुछ घूम ज़रा ना जल हमारे प्यार पे
बैठी है हसीना तू सबसे जुदा क्यूँ
ऐ शोख अदा कुछ घूम ज़रा ना जल हमारे प्यार पे
बिखरा जुल्फें मायूस ना हो कोई तुझसे भी कहेगा रुक जा

रुक जा
रोकता है ये दीवाना रूठ के मुझसे ना जाना
देखने वाले समझेंगे के तू है मेरी महबूबा
ओ रुक जा

ज़ुल्फ़ ना ऐसे उलझे दुनिया गलत ना समझे
मशहूर हो ना जाए अफसाना कहीं
ज़ुल्फ़ ना ऐसे उलझे दुनिया गलत ना समझे
मशहूर हो ना जाए अफसाना कहीं
ऐ जान-ए-वफ़ा अपना है क्या तुझे छेड़ेगा ज़माना

रुक जा
रोकता है ये दीवाना रूठ के मुझसे ना जाना
देखने वाले समझेंगे के तू है मेरी महबूबा
ओ रुक जा
................................................................
Ruk ja rokta hai ye-Mr. X in Bombay 1964

Artists: Kishore Kumar, Kumkum

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Aug 22, 2017

बना के मेरा मुक़द्दर बिगाड़ने वाले-दूर की आवाज़ १९६४

फिल्म दूर की आवाज़ से रफ़ी की आवाज़ में एक गीत सुनते हैं.
शिकायत वाला ये गीत लिखा है शकील बदायूनीं ने और इसका
संगीत तैयार किया है रवि ने.




गीत के बोल:

बना के मेरा मुक़द्दर बिगाड़ने वाले
जवाब दे ओ मेरा घर उजाड़ने वाले
क्या यूँ ही रूठ के जाने को मोहब्बत की थी
क्या यूँ ही रूठ के जाने को मोहब्बत की थी
ज़िन्दगी मेरी मिटाने को मोहब्बत की थी
क्या यूँ ही रूठ के जाने को मोहब्बत की थी

आँख में आँसू लब पे कहानी तेरी
मुझको तड़पाती है दिन-रात निशानी तेरी
क्या मुझे तूने रुलाने को मोहब्बत की थी
क्या यूँ ही रूठ के जाने को मोहब्बत की थी

ओ मुझे भूलने वाले तू कहाँ है आजा
क्या हुई मुझसे ख़ता ये तो ज़रा बतला जा
या ये कह दे के दिखाने को मोहब्बत की थी
क्या यूँ ही रूठ के जाने को मोहब्बत की थी
……………………………………………………………….
Bana ke mukaddar-Door ki awaaz 1964

Artist: Joy Mukherji

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