Dec 6, 2009

मोहब्बत जिंदा रहती है-चंगेज़ खान १९५७

फ़िल्म अभिनेत्री बीना राय को श्रद्धांजलि के साथ ये गीत प्रस्तुत है ।



कुछ समय पहले हमने बात की थी चंगेज़ खान के गानों के बारे में।
इस फ़िल्म का सबसे लोकप्रिय गीत है रफ़ी की आवाज़ में
प्रेमनाथ के ऊपर फिल्माया गया। कमर जलालाबादी के बोलों को
धुन पर तैराया है हंसराज बहल ने। हंसराज बहल के संगीत खजाने
में बहुत सी मधुर धुनें हैं। ये मेरे पसंदीदा गीतों में से एक है । प्यार,
इश्क और मोहब्बत अमर है इसी बात को ब़ल देता ये गीत जुबां पे
चढ़ जाता है । प्रेमनाथ और बीना राय इस फ़िल्म में भी नायक नायिका
की भूमिकाओं में हैं। कुछ फिल्मकार ऐसे हैं जो लगातार फ़िल्में बनाते
रहे मगर चर्चा में नहीं आए । ऐसे निर्देशकों की फिल्मों को हमारे फिल्मी
पत्रकार और कुछ संगीत भक्त बी या सी ग्रेड की फ़िल्में कहते हैं।
केदार कपूर भी ऐसा ही एक नाम है जिन्होंने तकरीबन ३७ फिल्मों का
निर्देशन किया । उनकी फ़िल्म "मिलन" जो १९५८ में आई उसमे भी
हंसराज बहल का संगीत है जिसमे लता मंगेशकर का एक अविस्मर्णीय
और अमर गीत है। उस गीत पर चर्चा फिर कभी ।



गीत के बोल:

खोल आँखें अपने ख्वाब-ऐ-नाज़ से
जाग मेरे प्यार की आवाज़ से
ज़िन्दगी बेताब है तेरे लिए
आ गले लग जा उसी अंदाज़ से

मोहब्बत जिंदा रहती है, मोहब्बत मर नहीं सकती
अजी इंसान क्या ये तो, खुदा से डर नहीं सकती
मोहब्बत जिंदा रहती है, मोहब्बत मर नहीं सकती

ये कह दो मौत से जाकर, के एक दीवाना कहता है
यह कह दो
के एक दीवाना कहता है, कोई दीवाना कहता है
मेरी रूह-ऐ-मोहब्बत मुझसे पहले मर नहीं सकती

मोहब्बत जिंदा रहती है मोहब्बत मर नहीं सकती

चली आ ओ मेरी जान-ऐ-तमन्ना, दिल की महफ़िल में
चली आ..., चली आ.., चली आ,
चली आ दिल की महफ़िल में
मेरी जान दिल की महफ़िल में
तू मुझसे दूर हो उल्फत, गंवारा कर नहीं सकती
मोहब्बत जिंदा रहती है, मोहब्बत मर नहीं सकती
अजी इंसान क्या ये तो, खुदा से डर नहीं सकती
चली आ..., चली आ..., चली आ.., चली आ..
चली आ
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Mohabbat zinda rehti hai-Changez Khan 1957

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