दुआ कर गम-ऐ-दिल -अनारकली १९५३
ने सफलता के नए कीर्तिमान स्थापित किए । इसका संगीत भी इतना
लोकप्रिय हुआ कि लगभग हर संगीत प्रेमी के मन में इसके गीत सुनने
की ललक रहती। संगीतकार सी रामचंद्र के जीवन में भी फ़िल्म अलबेला
के बाद इतनी धूम किसी फ़िल्म के संगीत ने नहीं मचाई। इसका शुमार
आज तक की बनी १० सबसे सफलसंगीतमय फिल्मों में किया जाता है।
हिन्दी सिनेमा इतिहास की पीरियड फिल्मों में सबसे सफल फिल्मों में से
एक बनाने के लिए इसके निर्देशक नन्दलाल जसवंतलाल लंबे समय तक
याद किए जायेंगे। उन्होंने कई ऐतिहासिक और पौराणिक फ़िल्में बनाई हैं।
इस फ़िल्म ने इसकी अभिनेत्री को भी बहुत लोकप्रिय कराया। बीना राय
की ये शायद सबसे बड़ी फ़िल्म साबित हुई। फ़िल्म एक से बढ़कर एक गीतों
से भरी पड़ी है। ये जो गीत प्रस्तुत है इसके बोल लिखे हैं शैलेन्द्र ने।
गीत के बोल:
दुआ कर गम-ऐ-दिल, खुदा से दुआ कर
वफाओं का मजबूर दामन बिछा कर
दुआ कर गम-ऐ-दिल, खुदा से दुआ कर
जो बिजली चमकती है उनके महल पर
वो कर ले तसल्ली, मेरा घर जला कर
दुआ कर गम-ऐ-दिल, खुदा से दुआ कर
दुआ कर गम-ऐ-दिल, खुदा से दुआ कर
सलामत रहे तू, मेरी जान जाए
सलामत रहे तू, मेरी जान जाए
मुझे इस बहाने से ही मौत आए
करूंगी मैं क्या चंद साँसें बचा कर
दुआ कर गम-ऐ-दिल, खुदा से दुआ कर
दुआ कर गम-ऐ-दिल, खुदा से दुआ कर
मैं क्या दूँ तुझे मेरा सब लुट चुका है
दुआ के सिवा मेरे पास और क्या है
मैं क्या दूँ तुझे मेरा सब लुट चुका है
दुआ के सिवा मेरे पास और क्या है
गरीबों का एक आसरा-ऐ-खुदा है
गरीबों का एक आसरा-ऐ-खुदा है
मगर मेरी तुझसे यही इल्तजा है
न दिल तोड़ना दिल की दुनिया बसा कर
दुआ कर गम-ऐ-दिल, खुदा से दुआ कर
दुआ कर गम-ऐ-दिल, खुदा से दुआ कर
वफाओं का मजबूर दामन बिछा कर
दुआ कर गम-ऐ-दिल, खुदा से दुआ कर
दुआ कर गम-ऐ-दिल, खुदा से दुआ कर
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