ये ज़िन्दगी उसी की है-अनारकली १९५३
इस गीत का जिक्र करना प्रासंगिक होगा। 'ये ज़िन्दगी उसी की है......'
और 'अलविदा.....अलविदा' शब्द सबसे ज्यादा लोकप्रिय शब्द हैं इस
गाने के । दूसरी बात- ये अनारकली फ़िल्म का सबसे ज्यादा लोकप्रिय
गीत है । इस अमर गीत की रचना करके राजेंद्र कृष्ण अपना नाम
इतिहास के सुनहरे पन्नो में दर्ज करा गए। इस गीत का एक एक कतरा
मुझे याद है। कितनी बार है इसको सुना गिनती नहीं। जीने का संदेश देता
ये गीत :
"धड़क रहा हैं दिल तो क्या, दिल की धड़कने न गिन
फिर कहाँ यह फुरसतें, फिर कहाँ यह रात दिन
आ रही हैं यह सदा, मस्तियों में झूम जा"
इस गीत का दूसरा हिस्सा मन को झकझोरने वाला है।
गीत का दूसरा हिस्सा
गीत के बोल:
यह ज़िन्दगी उसी की है जो किसी का हो गया
प्यार ही में खो गया
यह ज़िन्दगी उसी की है जो किसी का हो गया
प्यार ही में खो गया
यह ज़िन्दगी उसी की है
यह बहार यह समां कह रहा प्यार कर
किसी की आरज़ू में अपने दिल को बेकरार कर
ज़िन्दगी है बेवफा
ज़िन्दगी है बेवफा, लूट प्यार का मज़ा
यह ज़िन्दगी उसी की है जो किसी का हो गया
प्यार ही में खो गया
यह ज़िन्दगी उसी की है
धड़क रहा हैं दिल तो क्या, दिल की धड़कने न गिन
फिर कहाँ यह फुरसतें, फिर कहाँ यह रात दिन
आ रही हैं यह सदा, मस्तियों में झूम जा
यह ज़िन्दगी उसी की है जो किसी का हो गया
प्यार ही में खो गया
यह ज़िन्दगी उसी की है
part 2
दो दिल यहाँ न मिला सके, मिलेंगे उस जहाँ में
दो दिल यहाँ न मिला सके, मिलेंगे उस जहाँ में
खिलेंगे हसरतों के फूल, मौत के आसमान में
ये ज़िंदगी चली गई
ये ज़िंदगी चली गई जो प्यार में तो क्या हुआ
यह ज़िन्दगी उसी की है जो किसी का हो गया
प्यार ही में खो गया
यह ज़िन्दगी उसी की है
सुनाएगी दास्ताँ, शमा मेरे मज़ार की
सुनाएगी दास्ताँ, शमा मेरे मज़ार की
फिजा में भी खिली रही, ये कली अनार की
इसे मज़ार मत कहो
इसे मज़ार मत कहो, ये महल है प्यार का
यह ज़िन्दगी उसी की है जो किसी का हो गया
प्यार ही में खो गया
यह ज़िन्दगी उसी की है
ए ज़िंदगी की शाम आ
ए ज़िंदगी की शाम आ, तुझे गले लगाऊँ मैं
तुझी में डूब जाऊं मैं
जहाँ को भूला जाऊं मैं
बसा एक नज़र मेरे सनम, अलविदा, अलविदा
अलविदा ...
अलविदा ...
अलविदा ...
अलविदा ...
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