ये कैसी अजब दास्ताँ हो गई है-रुस्तम सोहराब १९६३
में जो सन १९६१ में आई थी। कमर जलालाबादी के बोलों को धुन से
संवारा है सज्जाद हुसैन ने। ये एक बेहद लोकप्रिय गीत है और पुराने
गीतों के प्रेमियों के दिलों में इसकी याद अभी भी ताज़ा है। सुरैया की
आवाज़ का जादू सन १९५० में जैसा था वही अंदाज़ १९६३ में भी
बरकरार है। फिल्म में पृथ्वीराज कपूर ने रुस्तम की और प्रेमनाथ ने
सोहराब की भूमिकाएं निभाई हैं। सुरैया इस फिल्म में शहज़ादी बनी हैं।
..........
गाने के बोल:
ये कैसी अजब दास्ताँ हो गई है
छुपाते छुपाते बयाँ हो गई है
ये कैसी अजब दास्ताँ हो गई है
छुपाते छुपाते बयाँ हो गई है
ये कैसी अजब दास्ताँ हो गई है
ये दिल का धड़कना, ये नज़रों का झुकना
जिगर में जलन सी ये साँसों का रुकना
ख़ुदा जाने क्या दास्ताँ हो गई है
छुपाते छुपाते बयाँ हो गई है
ये कैसी अजब दास्ताँ हो गई है
बुझा दो बुझा दो, बुझा दो सितारों की शम्में बुझा दो
छुपा दो छुपा दो, छुपा दो हसीं चाँद को भी छुपा दो
यहाँ रौशनी महमाँ हो गई है
आ आ आ आ, आ आ आ
ये कैसी अजब दास्ताँ हो गई है
इलाही ये तूफ़ान है किस बला का
कि हाथों से छुटा है दामन हया का
ख़ुदा की क़सम आज दिल कह रहा है
ख़ुदा की क़सम आज दिल कह रहा है
कि लुट जाऊँ मैं नाम लेकर वफ़ा का
तमन्ना तड़प कर जवाँ हो गई है
आ आ आ आ, आ आ आ
ये कैसी अजब दास्ताँ हो गई है
छुपाते छुपाते बयाँ हो गई है
ये कैसी अजब दास्ताँ हो गई है
...................................................................
Ye kaisi ajab dastaan ho gayi hai-Rustam Sohrab 1963
Artists: Suraiya, Nimmi
0 comments:
Post a Comment