पंछी बावरा-भक्त सूरदास १९४२
१९४२ का एक बेहद चर्चित हुआ गीत। राग केदार पर आधारित गीत
को कितनी सहजता से गाया है खुर्शीद ने। दीनानाथ मधोक के बोलों
को सुरों में पिरोया है ज्ञान दत्त ने। एक उपदेशात्मक गीत है ये। 'थोडा
कहा बहुत समझना' श्रेणी के गीत उस समय वो बहुत बने। वो युग
कड़ी रिहर्सल का युग था इसलिए हमें गायकी उच्च गुणवत्ता वाली मिल
जाती है।
गीत के बोल:
पंछी बावरा
पंछी बावरा
चाँद से प्रीत लगाये
चाँद से प्रीत लगाये
पंछी बावरा
चाँद से प्रीत लगाये
चाँद से प्रीत लगाये
छाया देख नदी में मूरख, फूला नहीं समाये
छाया देख नदी में मूरख, फूला नहीं समाये
वो हरजाई तारों के संग
वो हरजाई तारों के संग, अपनी रास रचाए
चाँद से प्रीत लगाये
पंछी बावरा
कौन बताये तुझे चकोर
कौन बताये तुझे चकोर, गोरे मन के काले
कौन बताये तुझे चकोर, गोरे मन के काले
ज्यूँ ज्यूँ प्रीत बढायेगा तू, त्यूं त्यूं वो घट जाए
चाँद से प्रीत लगाये
पंछी बावरा
चाँद से प्रीत लगाये
चाँद से प्रीत लगाये
पंछी बावरा
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