ये पौधे ये पत्ते-एक बार फिर १९८०
है। इसको गा रहे हैं अनुराधा पौडवाल और भूपेंद्र। ये गीत फिल्माया
गया है दीप्ति नवल और एक अनजान से युवक प्रदीप वर्मा पर जो कतई
फ़िल्मी नाम नहीं लगता है। यूँ मालूम पड़ता है हमारे अडोस पड़ोस का
कोई युवक हो। ये फिल्म एक सीमित बजट वाली फिल्म थी इसलिए
ऐसा हुआ होगा शायद । जो भी है ज़बरदस्त गिटार बजा रहा है। इस मधुर
गीत को लिखा है विनोद पांडे ने जो इस फिल्म के निर्देशक भी हैं और इसकी
धुन बनाई है रघुनाथ सेठ ने । रघुनाथ सेठ एक प्रसिद्ध बांसुरी वादक हैं।
गीत के बोल:
ये पौधे ये पत्ते, ये फूल ये हवाएं
ये पौधे ये पत्ते, ये फूल ये हवाएं
दिल को चुराएँ, मुझको लुभाएँ, हाय
मन कहे मैं झूमूं, झूमूं मैं गाऊँ
मन कहे मैं झूमूं, मैं गाऊँ
हरियाली भरी इन घाटियों में
महकती हुई इन वादियों में
जीवन की बगिया, खिल खिल जाए
हो, खिल खिल जाए रे
मन कहे मैं झूमूं, झूमूं मैं गाऊँ
हो, मन कहे मैं झूमूं ,मैं गाऊँ
हो हो हो हो
हो हो हो, हो हो
कल कल बहती, झरनों की धारा
और ऐसे चलती हवाओं की ठंडक
दिल को इक मीठी मस्ती सी देती
दिल को इक मीठी मस्ती सी देती
फितरत सी देती, हाय
मन कहे मैं झूमूं, झूमूं मैं गाऊँ
मन कहे मैं झूमूं, मैं गाऊँ
गुलाबी सा मौसम सुहाना
नीले गगन पर हलकी सी बदली
प्यारा सा कलरव
इठलाते पंछी कोई सपने जगाये, हाय
मन कहे मैं झूमूं ,झूमूं मैं गाऊँ
मन कहे मैं झूमूं ,मैं गाऊँ
हो हो हो ओ
मन कहे मैं झूमूं ,मैं गाऊँ
ये पौधे ये पत्ते, ये फूल ये हवाएं
दिल को चुराएँ, मुझको लुभाएँ, हाय
मन कहे मैं झूमूं , झूमूं मैं गाऊँ
हो, मन कहे मैं झूमूं, मैं गाऊँ
मन कहे मैं झूमूं, मैं गाऊँ
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Yepaudhe ye patte-Ek baar phir 1980
1 comments:
कहाँ हैं आप ?
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