तेरे बिन सूना मोरे मन का मंदिर-सावन को आने दो १९७९
कुछ गीतों के संग्रह फिल्मों से भी बड़े कद के हो जाते हैं, ऐसा ही एक
उदहारण है फिल्म 'सावन को आने दो' फिल्म का एल्बम । फिल्म भी
सफल रही मगर इसके गीतों ने तहलका सा मचाया था ७० के दशक के
अंत में। राजश्री द्वारा निर्मित इस सीमित बजट वाली साफ़ सुथरी फिल्म
में अरुण गोविल और रीता भादुड़ी जैसे नए नाम थे। ज़रीना वहाब को
जनता कुछ फिल्मों में पहले देख चुकी थी । येसुदास के गीतों से सजी इस
फिल्म का संगीत तैयार किया है संगीतकार राजकमल ने। इस फिल्म के २
गीत मुझे ज्यादा पसंद हैं उनमे से एक आज प्रस्तुत है। दृश्य है स्टूडियो में
रेकॉर्डिंग का। गीत लिखा है अभिलाष ने।
गीत के बोल:
तेरे बिन सूना मोरे मन का मंदिर
आ रे आ , ओ सजना आ रे आ
तेरे बिन सूना मोरे मन का मंदिर
आ रे आ , आ रे आ ,आ रे आ ,
ओ सजना रे, आ रे आ, आ रे आ , आ रे आ
ओस की बूँदें अँखियाँ मूंदे
कलियों का श्रृंगार करें
फूल चमन से, महक पवन से
लहरें तट से प्यार करें
मैं अकेला, पंछी जैसा
मैं अकेला, पंछी जैसा
ढूँढूं तेरे मन का बसेरा
तेरे बिन सूना मोरे मन का मंदिर
आ रे आ , आ रे आ ,आ रे आ ,
ओ सजना रे, आ रे आ, आ रे आ , आ रे आ
आ आ आ आ, आ आ आ, आ आ आ आ आ
समय का आंचल थाम के पल पल
उम्र चली है जाने कहाँ
पर मैं ठहरा एक जगह पर
बाट निहारूं तेरी यहाँ
मेरे साथी, होगा कहाँ
मेरे साथी, होगा कहाँ
मधुर मिलन तेरा मेरा
तेरे बिन सूना मोरे मन का मंदिर
आ रे आ , आ रे आ ,आ रे आ ,
ओ सजना रे, आ रे आ, आ रे आ , आ रे आ
ओ सजना रे, आ रे आ, आ रे आ , आ रे आ
ओ सजना रे, आ रे आ, आ रे आ , आ रे आ
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