Jan 31, 2010

जाग दिल-ए-दीवाना रुत जागी-ऊंचे लोग १९६५

इस गीत में सब कुछ है। उत्तम गुणवत्ता के बोल, आवाज़ की
जादूगरी और वाद्य यंत्रों का अतिरिक्त सुरीलापन। ये सब आपको
चित्रगुप्त के कई गीतों में मिलेगा। बस नहीं मिलेंगे तो मुक्त कंठ से
संगीतकार चित्रगुप्त की प्रशंसा करने वाले संगीत प्रेमी। आइये ये
सुरीला गीत सुनें और संगीतकार को धन्यवाद् दें बढ़िया संगीत के
लिए। विवरण नीचे दिया हुआ है ।

फ़िल्म : ऊंचे लोग
वर्ष: १९६५
गीत : मजरूह
संगीत : चित्रगुप्त
गायक : मो. रफी
कलाकार: फिरोज खान
...........



गाने के बोल:

जाग दिल-ए-दीवाना रुत जागी वस्ल-ए-यार की
बसी हुई ज़ुल्फ़ में आयी है सबा प्यार की
जाग दिल-ए-दीवाना रुत जागी वस्ल-ए-यार की
बसी हुई ज़ुल्फ़ में आयी है सबा प्यार की
जाग दिल-ए-दीवाना

दो दिल के कुछ ले के पयाम आयी है
चाहत के कुछ ले के सलाम आयी है
दो दिल के कुछ ले के पयाम आयी है
चाहत के कुछ ले के सलाम आयी है
दर पे तेरे सुबह खड़ी हुई है दीदार की

जाग दिल-ए-दीवाना

एक परी कुछ शाद सी नाशाद सी
बैठी हुई शबनम में तेरी याद की
एक परी कुछ शाद सी नाशाद सी
बैठी हुई शबनम में तेरी याद की
भीग रही होगी कहीं कली सी गुलज़ार की

जाग दिल-ए-दीवाना रुत जागी वस्ल-ए-यार की
बसी हुई ज़ुल्फ में आयी है सबा प्यार की
जाग दिल-ए-दीवाना
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 Jaag dil-e-deewana-Oonche Log 1965

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