Jan 25, 2010

पिंजरे दे विच क़ैद- गुल-ऐ-बकावली १९३९

एक पंजाबी गीत पेश है नूरजहाँ की आवाज़ में। संगीत गुलाम हैदर
का है। गुलाम हैदर के संगीतबद्ध नग्मे हम आगे और भी शामिल करेंगे
इस ब्लॉग पर।

फिल्म: गुल-ऐ-बकावली (पंजाबी)
वर्ष: 1939
संगीतकार : गुलाम हैदर
गीतकार : वली साहब
गायिका : नूरजहाँ
कलाकार : नूरजहाँ



गीत के बोल:

पिंजरे दे विच क़ैद जवानी
पिंजरे दे विच क़ैद जवानी
मस्तानी
क़ैद जवानी, क़ैद जवानी
क़ैद जवानी, क़ैद जवानी
मस्तानी

पिंजरे दे विच क़ैद जवानी
आपे हसना आपे रोना
आपे हसना आपे रोना
आपे हंजुआँ हार परोणा
आपे कैनी आपे सुनणी
आपे कैनी आपे सुनणी
हंजुआँ भरी कहानी
हंजुआँ भरी कहानी
पिंजरे दे विच क़ैद जवानी
पिंजरे दे विच क़ैद जवानी
मस्तानी

हाए जवानी मस्तानी
तूं वी रोगी
मैं वी रोगण
इक दूजे दी पीड़ वंडाईये
इक दूजे दी पीड़ वंडाईये
कद्दियाँ बैके दिल दियाँ लगियाँ
हंजुआँ नाल बुझाईये
कद्दियाँ बैके दिल दियाँ लगियाँ
हंजुआँ नाल बुझाईये
अग विच गेडे पाणी
पिंजरे दे विच क़ैद जवानी
पिंजरे दे विच क़ैद जवानी
मस्तानी

0 comments:

© Geetsangeet 2009-2020. Powered by Blogger

Back to TOP