मन दर्पण है - दुश्मन १९३९
फिल्म: दुश्मन
वर्ष: १९३९
संगीतकार: पंकज मलिक
गीतकार: आरजू लखनवी
गायक: कुंदनलाल सहगल, ????
कलाकार: कुंदनलाल सहगल, ????
गीत के बोल:
सितम थे, ज़ुल्म थे
आफत थे, इंतज़ार के दिन
हज़ार शुक्र के देखेंगे अब बहार के दिन
हज़ार शुक्र के देखेंगे अब बहार के दिन
हा हा , हा हा हा हा हा
मन दर्पण है जग सारा
ये जग सारा
मन दर्पण है जग सारा
मन अँधियारा
जग अँधियारा
मन दर्पण है जग सारा
हा हा , हा हा हा हा हा
उलटी है ये ज्ञानी दुनिया
दुःख को सुख कहता
उलटी है ये ज्ञानी दुनिया
दुःख को सुख कहता
ऐसा ?
आँखों में तिल जैसे काला
रूप अँधेरा
काम उजारा
मन दर्पण है जग सारा
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