ये मौसम भीगा भीगा है-धरती १९७०
होते तो दोयम दर्जे के होते थे। इस गीत में नायक नायिका के परिधान
देख लीजिये। उसके अलावा एक्स्ट्रा कलाकार भी काफी आकर्षक
परिधान पहने हुए हैं। फिल्म धरती के लिए इस गीत को लिखा है
हसरत जयपुरी ने और इसकी धुन बनाई है शंकर जयकिशन ने।
ये गीत आकाशवाणी के फरमाईशी कार्यक्रमों का नियमित गीत रहा है।
एक छोटे गीत को याद करने वाले अंदाज़ में बनाया गया है। गीत
अच्छा है और सन १९७० के लिहाज़ से इसकी गति भी नियंत्रित है।
एक ही चीज़ खटक रही है वो ये की मौसम सूखा सूखा है और गीत
गीला गीला गाया जा रहा है।
ढलती उम्र में कैसे रोमांटिक रहा जाए इसका ट्यूशन दे रहे हैं
अधेढ़ हो चले नायक और नायिका.
गीत के बोल:
लता: ये मौसम भीगा भीगा है
हवा भी ज्यादा ज्यादा है
क्यूँ ना मचलेगा दिल मेरा
तुमको पाने का इरादा है
ये मौसम भीगा भीगा है
हवा भी ज्यादा ज्यादा है
क्यूँ ना मचलेगा दिल मेरा
तुमको पाने का इरादा है
रफ़ी: ये मौसम भीगा भीगा है
हवा भी ज्यादा ज्यादा है
क्यूँ ना मचलेगा दिल मेरा
तुमको पाने का इरादा है
दोनों:ये मौसम भीगा भीगा है
इजाजत हो तो, मेरे सरकार के पहलू के आ जाऊं
इजाजत हो तो, मेरे दिलदार के दिल में समा जाऊं
हाँ हाँ हाँ हाँ हाँ हाँ हाँ
लता: ये मौसम भीगा भीगा है
हवा भी ज्यादा ज्यादा है
क्यूँ ना मचलेगा दिल मेरा
तुमको पाने का इरादा है
रफ़ी: ये मौसम भीगा भीगा है
हवा भी ज्यादा ज्यादा है
क्यूँ ना मचलेगा दिल मेरा
तुमको पाने का इरादा है
दोनों:ये मौसम भीगा भीगा है
शर्म को छोड़ दो, मेरे जाना गले से तुम भी मिल जाओ
ये पर्दा तोड़ दो, मेरे जाना मेरी साँसों में घुल जाओ
हाँ हाँ हाँ हाँ हाँ हाँ हाँ
लता: ये मौसम भीगा भीगा है
हवा भी ज्यादा ज्यादा है
क्यूँ ना मचलेगा दिल मेरा
तुमको पाने का इरादा है
रफ़ी: ये मौसम भीगा भीगा है
हवा भी ज्यादा ज्यादा है
क्यूँ ना मचलेगा दिल मेरा
तुमको पाने का इरादा है
दोनों:ये मौसम भीगा भीगा है
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Ye mausam bheega bheega-Dharti 1970
Artists: Rajendra Kumar, Waheeda Rehman
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