इतनी हसीं इतनी जवां रात-आज और कल १९६३
भूत, भविष्य और वर्तमान वाले नामों से एक और है-आज और कल।
बूझते रहिये कौनसा कल। एक बात ज़रूर है इसका ये गीत कल भी
बजता था और आज भी बजता है। एक रोमांटिक किस्म का गीत है ये
जिसे साहिर ने लिखा है और परदे पर सुनील दत्त इसको नंदा के लिए
गा रहे हैं। इसके संगीतकार रवि हैं और ये फिल्म सन १९६३ में आई थी।
गाने का की-वर्ड है "क्या" जो गीत में कई बार सुनाई देता है। glad, gladder
और gladdest के स्केल पर सुनी दत्त gladder दिखलाई देते हैं। फिल्मांकन
बढ़िया है इस गीत का और आपको नायिका की शक्ल पहचानने में कठिनाई
का अनुभव हो सकता है।
गीत के बोल:
इतनी हसीं इतनी जवां रात क्या करें
इतनी हसीं इतनी जवां रात क्या करें
जागे हैं कुछ अजीब से जज़्बात क्या करें
इतनी हसीं इतनी जवां रात क्या करें
पेड़ों के बाजुओं में लचकती है चांदनी
पेड़ों के बाजुओं में लचकती है चांदनी
बेचैन हो रहीं हैं ख़यालात क्या करें
बेचैन हो रहीं हैं ख़यालात क्या करें
जागे हैं कुछ अजीब से जज़्बात क्या करें
इतनी हसीं इतनी जवां रात क्या करें
साँसों में घुल रही है किसी सांस की महक
साँसों में घुल रही है किसी सांस की महक
दामन को छू रहा है कोई हाथ क्या करें
दामन को छू रहा है कोई हाथ क्या करें
जागे हैं कुछ अजीब से जज़्बात क्या करें
इतनी हसीं इतनी जवां रात क्या करें
शायद तुम्हारे आने से ये भेद खुल सके
शायद तुम्हारे आने से ये भेद खुल सके
हैरान हैं की आज नयी बात क्या करें
हैरान हैं की आज नयी बात क्या करें
जागे हैं कुछ अजीब से जज़्बात क्या करें
इतनी हसीं इतनी जवां रात क्या करें
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