इतनी बड़ी दुनिया जहाँ-तूफ़ान में प्यार कहाँ १९६६
अनसुने गीतों की कड़ी में अगला गीत प्रस्तुत है १९६६ की फिल्म
'तूफ़ान में प्यार कहाँ 'से। फणी मजूमदार निर्देशित इस फिल्म
में अशोक कुमार नायक हैं। ये फणी मजूमदार वही हैं जिन्होंने
ममता और कन्यादान जैसी हिट फ़िल्में बनाई । इस फिल्म में
नलिनी जयवंत भी मौजूद हैं । प्रस्तुत गीत लिखा है प्रेम धवन
ने और धुन बनाई है चित्रगुप्त ने। अलसाई हुई सी उन्मुक्त गायकी
का मज़ा लेना हो तो ये गीत सुनिए। गायक हैं रफ़ी।
गीत के बोल:
इतनी बड़ी दुनिया जहाँ इतना बड़ा मेला
मगर मैं, ह ह ह, कितना अकेला कितना अकेला
इतनी बड़ी दुनिया जहाँ इतना बड़ा मेला
मगर मैं ह ह ह कितना अकेला कितना अकेला
ए दिल घडी भर तो मिल के करें बातें
ए दिल घडी भर तो मिल के करें बातें
कटती नहीं ऐसे तनहा मेरी रातें
सबको मिला साथी जब भी आई मिलन बेला
मगर मैं, ह ह ह, कितना अकेला कितना अकेला
गुज़रे दिलों का है धुन्धला निशान बाकी
गुज़रे दिलों का है धुन्धला निशान बाकी
दिल तो बुझा कबसे अब है धुंआ बाक़ी
दुखते हुए दिल पे भला क्या-क्या नहीं झेला
मगर मैं, ह ह ह, कितना अकेला कितना अकेला
इतनी बड़ी दुनिया जहाँ इतना बड़ा मेला
मगर मैं कितना अकेला कितना अकेला
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