काहे को देर लगायी रे-दाग १९५२
का अगला गीत हम सुनते हैं जो फिर से एक बार दर्द भरा गीत है
जिसे संगीत प्रेमियों के द्वारा: लता के गाये बढ़िया दर्द भरे गीतों में
शामिल किया जा चुका है। निम्मी नाम की नायिका पर इस गीत
को फिल्माया गया है। गीत को समझने के लिए थोडा सा दिमाग
खपाना पढता है। इसके लेखक हसरत जयपुरी हैं और धुन बनाई
है शंकर जयकिशन ने। गीत कुछ कविता पाठ का आनंद भी देता
है।
गीत के बोल:
मौत आ गई
ना आयंगे मरने के बाद भी
ऑंखें तड़पती रह गयीं
इस इंतज़ार में
काहे को देर लगायी रे
आये ना अब तक बालमा
हमने तो जान गंवाई रे
आये ना अब तक बालमा
काहे को देर लगायी रे
आये ना अब तक बालमा
मेरे दुआ नाकाम हुई
सूरज डूबा शाम हुई
पहने कफन जायेगी मुहब्बत
दिल की लगी बदनाम हुई है
हंसती है सारी खुदाई रे
आये ना अब तक बालमा
काहे को देर लगायी रे
आये ना अब तक बालमा
रौनक-ए-दुनिया यूँ ही रहेगी
आएँगी खुशियाँ गम भी सहेगी
लेकिन मेरी बरबाद जवानी
मिट के भी उनसे यही कहेगी
हमसे तो की बेवफाई रे
आये ना अब तक बालमा
काहे को देर लगायी रे
आये ना अब तक बालमा
रंग ये लाई चाहत किसी की
याद रहेगी उल्फत किसी की
मेरी क़सम तुझे ऐ मौत ठहर जा
देख तो लूं सूरत किसी की
दिल से सदा ये ही आई रे
आये ना अब तक बालमा
हमने तो प्रीत निभाई रे
आये ना अब तक बालमा
काहे को देर लगायी रे
आये ना अब तक बालमा
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Kaahe ko der lagayi re-Daag 1952
Artist: Nimmi
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