Nov 20, 2010

गुज़र जाएँ दिन-अन्नदाता १९७२

फिल्म अन्नदाता के तीन गीत आप सुन चुके हैं। अब सुनिए
किशोर की आवाज़ में सोलो गीत। ये गीत अनिल धवन परदे पर
गा रहे हैं साथ साथ साईकिल चला रहे हैं। किशोर कुमार ने ७० के
दशक से जो अपनी गति वाली पारी शुरू की उसमे लगभग हर
संगीतकार ने उनकी सेवाएँ लीं । इस ब्लॉग के पिछले गीत और
इस गीत में क्या समानता है बताइए तो?

पिछले गीत की तरह ही ये गीत भी योगेश का लिखा और सलिल का
संगीतबद्ध किया हुआ है। सलिल चौधरी की रेंज बताने के लिए
ही मैंने उनके एक के बाद एक दो गीत प्रस्तुत किये हैं। गीतकार
योगेश का कवि ह्रदय इस गीत में भी स्वच्छंद मुखर हुआ है।




गीत के बोल:

गुज़र जाएँ दिन दिन दिन
के हर पल गिन गिन गिन
गुज़र जाएँ दिन दिन दिन
के हर पल गिन गिन गिन
किसी की हाय यादों में
किसी की हाय बातों में
किसी से मुलाकातों में
के ये सिलसिले, जब से चले
ख्वाब मेरे हो गए रंगीन

गुज़र जाएँ दिन दिन दिन

रहे ना दिल बस में ये
ना माने कोई रस्में ये
रहे ना दिल बस में ये
ना माने कोई रस्में ये
के खाऊँ मैं तो कसमें ये
उन्हें है पता
के जग चाहे रूठे ये
के जग चाहे छूटे ये
के जग चाहे रूठे ये
के जग चाहे छूटे ये
नाता नहीं टूटे ये, हाय

आ, गुज़र जाये दिन दिन दिन

कभी ये मेरा मन चाहे
फूलों के जहाँ हों साये
कभी ये मेरा मन चाहे
फूलों के जहाँ हों साये
जहाँ पे हर दिल गाये
धुन प्यार की
ज़माने चाहे हो जाएँ
वहीँ पे जा के सो जाएँ
ज़माने चाहे हो जाएँ
वहीँ पे जा के सो जाएँ
वहीँ पे जाके सो जाएँ, हाय

आ, गुज़र जाए दिन दिन दिन
के हर पल गिन गिन गिन
किसी की हाय यादों में
किसी की हाय बातों में
किसी से मुलाकातों में
के ये सिलसिले, जब से चले
ख्वाब मेरे हो गए रंगीन

गुज़र जाएँ दिन दिन दिन
के हर पल गिन गिन गिन
गुज़र जाएँ दिन दिन दिन
के हर पल गिन गिन गिन
......................................
Guzar jaayen din-Annadata 1972

0 comments:

© Geetsangeet 2009-2020. Powered by Blogger

Back to TOP