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May 30, 2020

तुमने पिया दिया सब कुछ-उस पार १९७४

दुनिया का आना जाना लगा रहता है और लगा रहेगा. इसे
कोई रोक नहीं पाया. इस आने जाने में कुछ अपने जब जाते
हैं या जिनसे जुड़ाव हो जाता है वे लोग जाने पर दुखी कर
जाते हैं.

दो दिन पहले ही हमने गीतकार योगेश को याद किया था
और आपको अन्तरा चौधरी का गाया गाना सुनवाया था.

गीतकार योगेश भी अपना जीवन सफर पूरा कर दूसरे लोक
को चल दिये. वो अपनी छाप छोड़ गए हैं फिल्म उद्योग पर.
उनके कुछ गीत कालजयी हैं जिनमें फिल्म आनंद, मंजिल,
मिली, उस पार के गाने और बहुत कुछ जो आप सुबह से
मीडिया, सोशल मीडिया पर पढ़ चुके होंगे.

सरल स्वभाव के योगेश की लेखनी में सरलता, सादगी और
सौम्यता उनके स्वभाव अनुरूप रही. फिल्म उद्योग के प्रपंच
और जबरिया तुकबंदी शायद उन्हें रास नहीं आई. आज एक
गीतकार ने उन्हें याद करते हुए एक शब्द का प्रयोग किया-
exceptional जो सटीक है.

वर्तमान समय में जो बेहतर गीतकार लिख रहे हैं वे भी कभी
स्तिथि अनुसार रफ़ लिरिक्स लिख लेते हैं. आज के समय में
यूँ कहें २०१० के बाद उनके गिने चुने गीत हैं. फिल्म उद्योग
चाहता तो अच्छी विरासत को संजोये रखने में उनका योगदान
अधिक मात्रा में ले सकता था.

सुनते हैं फिल्म उस पार से एक गाना जिसमें ना जाने क्यूँ
सदियों का दर्द मिनटों में छुपा है. ये ऐसा गीत तो नहीं जिसे
सभी संगीत प्रेमी सुनते हों मगर गंभीर संगीत प्रेमी इस गीत से
अनजान नहीं हैं.

बोलों में दर्द की लकीर तो नहीं मगर इसकी धुन में ज़रूर है.
बोल तो इसके लाजवाब हैं जो भावनाओं का बखान हौले हौले
से करते हैं. अतिरेक कहीं भी नहीं है इसमें. गीत को फिल्म के
कथानक से जोड़ के देखें तो ये एक बेहतरीन सिचुएशनल गीत
है.

फिल्म उस पार का निर्देशन बासु चटर्जी ने किया था. फिल्म के
लिए पटकथा लेखन भी उन्हीं का है. फिल्म सन १९६७ की एक
चेकोस्लोवाकिया में निर्मित फिल्म रोमांस फॉर ब्यूगल का हिंदी
रूपांतरण है. फिल्म फ्रांटिसेक रुबिन की एक रोमांटिक कविता
पर आधारित है. लेखक ने १९६१ में ये कविता लिखी थी.

नायक और नायिका के चेहरे हर्षोल्लास से लबालब हैं. कोई वजह
नहीं है इस गीत को सुन कर दर्द महसूस करने की. बांसुरी के स्वर
भी व्यथित से ही हैं और ये मुझे समझ नहीं पड़ा इसे सुन के कि
क्या संगीतकार की भावनाएं इसमें उमड़ के बाहर आ गई हैं. एक
कलाकार की सेंसिटिविटी किस रूप में और कब बाहर आती है ये
समझ पाना बेहद मुश्किल काम है.

इसे सुन के पहले बर्मन दादा बहुत याद आते थे अब योगेश भी
आयेंगे. क्या ये शैलेन्द्र के ही लिखे शब्दों-हैं सबसे मधुर वो गीत
जिन्हें हम दर्द के सुर में गाते हैं का सटीक उदाहरण नहीं है.
योगेश ने फिल्म गीत लेखन में गीतकार शैलेन्द्र की कमी की काफी
हद तक भरपाई की.. उनके इस निखार के लिए सलिल चौधरी का
योगदान भी नहीं भुलाया जा सकेगा जो स्वयं भी एक लेखक थे
और अच्छे लेखन के कद्रदान भी.





गीत के बोल:

तुमने पिया ओ ओ ओ ओ
तुमने पिया दिया सब कुछ मुझको अपनी प्रीत दई के
राम करे यूँ ही बीते जीवन तुम्हरे गीत गई के
तुमने पिया दिया सब कुछ मुझको अपनी प्रीत दई के
राम करे यूँ ही बीते जीवन तुम्हरे गीत गई के

तुमने पिया

मैं तो हूँ भोली ऐसी भोली पिया
जैसे थी राधिका कान्हा की प्रेमिका
मैं तो हूँ भोली ऐसी भोली पिया
जैसे थी राधिका कान्हा की प्रेमिका
श्याम कहीं
श्याम कहीं बन जइयो ना तुम मेरी सुध भुलई के
राम करे यूँ ही बीते जीवन तुम्हरे गीत गई के
तुमने पिया

मेरे मितवा रे
मेरे मेरे मितवा रे मिले जब से तुम मुझे
बिंदिया माथे सजे पायल मेरी बजे
मेरे मितवा रे मिले जब से तुम मुझे
बिंदिया माथे सजे पायल मेरी बजे
माँग भरे
माँग भरे मेरी निस दिन अब सिन्दूरी सांझ अई के
तुमने पिया दिया सब कुछ मुझको अपनी प्रीत दई के
राम करे यूँ ही बीते जीवन तुम्हरे गीत गई के
…………………………………………………..
Tumne piya diya sab kuchh-Us paar 1974

Artists: Vinod Mehra, Mausami Chatterji

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May 27, 2020

ज़िंदगी उलझनों से भरी है-सुनो ना २००९

फिल्म का नाम है सुनो ना, इसके आगे भी कुछ है जिससे
इसका पूरा मतलब समझ आता है-एक नन्ही सी आवाज़.

फिल्म का विषय अलग हट के है बिन ब्याही माँ के इर्द गिर्द
कहानी घूमती है. नए कलाकारों वाली इस फिल्म में समीक्षकों
को कुछ विशेष नज़र नहीं आया और उल्लेख में यही है कि
कौन कौन सी देसी और बिदेसी फिल्मों की छबि इस फिल्म में
दिखलाई देती है.

खैर गीत हमने इसलिए चुना है कि ये सलिल चौधरी की अगली
पीढ़ी से सम्बन्ध रखता है. संगीत उनके सुपुत्र का है और इसे
गाया है अन्तरा चौधरी ने. सलिल के पुराने साथी गीतकार योगेश
ने इस गीत की रचना की है. सलिल चौधरी के सुपुत्र फिल्मों में
बैकग्राउंड स्कोर के लिए विख्यात हैं.



गीत के बोल:

ज़िंदगी उलझनों से भरी है
अजनबी हैं सफ़र की राहें
हमसफ़र थे जो कल तक हमारे
फेर ली हैं उन्हीं ने निगाहें
ज़िंदगी उलझनों से भरी है
अजनबी हैं सफ़र की राहें
हमसफ़र थे जो कल तक हमारे
फेर ली हैं उन्हीं ने निगाहें
ज़िंदगी उलझनों से भरी है
अजनबी हैं सफ़र की राहें

फूल सपनों के मुरझा गये हैं
आँख में आँसुओं की नमी है
मेरी उम्मीद की हर किरण पर
धूल की अब तो चादर जमी है
फूल सपनों के मुरझा गये हैं
आँख में आँसुओं की नमी है
मेरी उम्मीद की हर किरण पर
धूल की अब तो चादर जमी है
दिल मेरा सिसकियाँ ले रहा है
मेरी साँसों से उठती हैं आहें

ज़िंदगी उलझनों से भरी है
अजनबी हैं सफ़र की राहें
हमसफ़र थे जो कल तक हमारे
फेर ली हैं उन्हीं ने निगाहें
ज़िंदगी उलझनों से भरी है
अजनबी हैं सफ़र की राहें

कोई मुझमें जो छुप कर है बैठा
दे रहा है मुझे वो दिलासा
साथ हूँ मैं तेरे हर क़दम पर
फिर ये चेहरे पे क्यूँ है निराशा
कोई मुझमें जो छुप कर है बैठा
दे रहा है मुझे वो दिलासा
साथ हूँ मैं तेरे हर क़दम पर
फिर ये चेहरे पे क्यूँ है निराशा
आयेंगे फिर वो ख़ुशियों के लम्हे
वक़्त की सुन ले तू ये सदाएँ

ज़िंदगी उलझनों से भरी है
अजनबी हैं सफ़र की राहें
हमसफ़र थे जो कल तक हमारे
फेर ली हैं उन्हीं ने निगाहें
ज़िंदगी उलझनों से भरी है
अजनबी हैं सफ़र की राहें
……………………………………….
Zindagi uljhanon se bhari hai-Suno Na 2009

Artist: Tara Sharma

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Mar 5, 2020

ओ साथी ओ साथी-हनीमून १९७३

हनीमून एक ऐसा त्योहार है जो आम आदमी के जीवन
में एक बार आता है. इसे त्यौहार कहते मैंने ३-४ लोगों
को सुना और उनके उदगार लगभग एक सरीखे थे. कुछ
कहते हैं मनी है तो हनी है. जितनी ज्यादा मनी लगाओगे
उतना आनंद मिलेगा. हिल स्टेशन पर जाओ या किसी दूसरे
ग्रह पर हनीमून तो हनीमून ही रहेगा.

हनीमून को कई सयाने मनी-खून भी कहते हैं. ऐसे लोग
अक्सर घर में ही ऐसे कार्यक्रम कर लिया करते हैं और पैसे
बचा लेते हैं, या गए भी तो नज़दीक की किसी छोटी पहाड़ी
पर. क्या पहाड़ी ज़रूरी है इस कार्यक्रम के लिए. धरती पर
सारी चीज़ें गुरुत्व (ग्रेविटी)के सिद्धांत का पालन करती है.
एक भौतिकशास्त्री ने भौतिकता के इस पहलू पर बड़ा ही
अच्छा वक्तव्य दिया-भावनाएं हो या झरने का पानी सब
ऊपर से नीचे आता है. पहाड़ की चोटी पर चढ कर पत्थर
भी लुडकाओ तो वो नीचे ज़मीन की तरफ़ आता है. आदमी
जितना जल्दी भ्रमजाल से निकल के उतर आये उतना ही
अच्छा. आगे ना पीछे लुड़कना तो है ही.

फिल्म हनीमून से एक गीत सुनते हैं रफ़ी का गाया हुआ.
इसके बोल योगेश ने लिखे हैं और संगीत उषा खन्ना ने
तैयार किया है. एक ज़माने में ये गाना खूब सुना गया है.
इसकी वजह इसके बोल हैं.



गीत के बोल:

दिन हैं ये बहार के फूल चुन ले प्यार के
ओ साथी ओ साथी हो ओ साथी ओ साथी हो
दिन हैं ये बहार के फूल चुन ले प्यार के
ओ साथी ओ साथी हो ओ साथी ओ साथी हो

तेरे हँसते होंठों से बिछड़े तेरे गीत क्यूँ
बरसे सावन प्यार का तरसे तेरी प्रीत क्यूँ
बीत ना जाये कहीं प्यार का सावन यूँ ही
ओ साथी ओ साथी हो ओ साथी ओ साथी हो

शायद कहता है तुझसे सहमा सहमा दिल तेरा
तेरी गुजरी जिंदगी थामे ना आँचल तेरा
प्यार जो करते हैं वो यूँ नहीं डरते हैं वो
ओ साथी ओ साथी हो ओ साथी ओ साथी हो

दुल्हन बन कर जिंदगी चलती तेरे साथ है
बढ़ कर बाहें थाम ले रुकने की क्या बात है
आज क्यूँ है दूरियां क्यूँ हैं ये मजबूरियां
ओ साथी ओ साथी हो ओ साथी ओ साथी हो

होना था जो वो हो गया साथी अब ना सोच तू
कह कर मन के भेद ये हल्का कर ले बोझ तू
ये ख़ामोशी तोड़ के ये उदासी छोड़ के
ओ साथी ओ साथी हो ओ साथी ओ साथी हो

दिन हैं ये बहार के फूल चुन ले प्यार के
ओ साथी ओ साथी हो ओ साथी ओ साथी हो
……………………………………………..
O sathi o sathi-Honeymoon 1973

Artists: Anil Dhawan, Leena Chandavarkar

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Oct 12, 2019

मेरे प्यासे मन की बहार-हनीमून १९७३

सन १९७३ की फिल्म हनीमून में कुछ कर्णप्रिय गीत हैं
जिन्हें हमने अभी तक इधर नहीं सुना है. अनिल धवन
और लीना चंदावरकर अभिनीत इस फिल्म के गीत लिखे
हैं योगेश ने. संगीत उषा खन्ना ने तैयार किया है.

फिल्म के निर्देशक हिरेन नाग हैं. सबसे पहले मैंने फिल्म
के क्रेडिट्स ही देखने की कोशिश करी-कहीं सावन कुमार
ने तो इस फिल्म का निर्माण निर्देशन नहीं किया ?

फिल्म का निर्माण ताराचंद बडजात्या ने किया है जो कि
साफ़ सुथरी पारिवारिक फ़िल्में बनाने के लिए विख्यात हैं.



गीत के बोल:
हा हा हा हो हो हो
मेरे प्यासे मन की बहार कब से था तुम्हारा इंतज़ार
तुम आये तो आया करार हो मेरे प्यार
मेरे प्यासे मन की बहार कब से था तुम्हारा इंतज़ार
तुम आये तो आया करार हो मेरे प्यार

समां कितना प्यारा है हाँ सनम हाँ सनम हाँ सनम
समां से भी प्यारा है क्या सनम क्या सनम क्या सनम
तुम्हारा फूल सा ये चेहरा दिलनशीं
छोडो हम जो भी हैं तुम भी तो कम नहीं
मेरे प्यासे मन की बहार कब से था तुम्हारा इंतज़ार
तुम आये तो आया करार हो मेरे प्यार

ये दिल गुनगुनाता है क्या सनम क्या सनम क्या सनम
मेरे गीत गाता है हाँ सनम हाँ सनम हाँ सनम
तो छोडो ये अदा गले तो मिलने दो
जल्दी है ऐसी क्या ये दिन तो ढलने दो
मेरे प्यासे मन की बहार कब से था तुम्हारा इंतज़ार
तुम आये तो आया करार हो मेरे प्यार

यूं ही दूर रहना हैं ना सनम ना सनम ना सनम
कहूँ जो भी कहना है हाँ सनम हाँ सनम हाँ सनम
तेरी बाहों में हैं मेरे दोनों जहां
कहने को हम हैं दो लेकिन है एक जान
मेरे प्यासे मन की बहार कब से था तुम्हारा इंतज़ार
तुम आये तो आया करार हो मेरे प्यार
…………………………………………………………………
Mere pyase man ki bahar-Honeymoon 1973

Artists: Anil Dhawan, Leena Chandavarkar

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Aug 13, 2019

हमें याद कभी तुम कर लेना-अनोखा दान १९७२

नजरिया जिंदगी में काफी अहम भूमिका निभाता है. पोजिटिव
हो तो अमूमन अच्छा महसूस होगा. नेगेटिव हो तो सब कुछ
खराब सा लगेगा.

एक गीत सुनवाते हैं आपको फिल्म अनोखा दान से जो १९७२
की फिल्म है. गीत में याद करने के मौके का जिक्र है-रोता हुआ
सावन. सावन का जिक्र अक्सर खुशी का इज़हार करने के लिए
होता है. भीषण तपाने वाली गर्मी के उपरान्त वर्षा ऋतु आती है
तो सभी उसके स्वागत में जुट जाते हैं. नहीं जुटते तो जुटना
चाहिये-बिन पानी सब सून.

लता मंगेशकर ने इस गीत को गाया है सलिल चौधरी की तर्ज़
पर. फिल्म के गीतों में सबसे ज्यादा-मदभरी ये हवाएं बजता है.
ये कम सुना गया गीत है मगर सुनने लायक है.




गीत के बोल:

हमें याद कभी तुम कर लेना जब रोता हुआ सावन आये
हो बहार और राह में कोई फूल हाय मुरझाये
हमें याद कभी तुम कर लेना जब रोता हुआ सावन आये
हो बहार और राह में कोई फूल हाय मुरझाये
हमें याद कभी तुम कर लेना

वीरान सफ़र में जीवन के कब तक यूँ अकेले चलते पिया
वीरान सफ़र में जीवन के कब तक यूँ अकेले चलते पिया
लेकर हम ये आख़िर तेरे बिना हाय आस का बुझता सा दिया

हमें याद कभी तुम कर लेना जब रोता हुआ सावन आये
हो बहार और राह में कोई फूल हाय मुरझाये
हमें याद कभी तुम कर लेना

देते हैं दुआ फिर भी तुमको ख़ुशियों की उमर लग जाए तुम्हें
देते हैं दुआ फिर भी तुमको ख़ुशियों की उमर लग जाए तुम्हें
जो भी तुमको ग़म हों सारे बदले में यहाँ मिल जाएँ हमें

हमें याद कभी तुम कर लेना जब रोता हुआ सावन आये
हो बहार और राह में कोई फूल हाय मुरझाये
हमें याद कभी तुम कर लेना
………………………………………………………………………
Hamen yaad kabhi tum kar lena-Anokha Daan 1972

Artists: Anil Dhawan, Zahira

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May 24, 2018

ज़िंदगी कैसी है पहेली हाय-आनंद १९७०

सलिल चौधरी गीत के बोलों पर बारीकी से ध्यान देने वाले
गीतकारों में से थे. शैलेन्द्र के अवसान के बाद जो स्थान रिक्त
हुआ बॉलीवुड के संगीत क्षेत्र में उसकी भरपाई के लिए विकल्प
तलाशते सलिल की मुलाकात संघर्षरत योगेश गौड़ से हुई.
सलिल को शैलेन्द्र वाली बात योगेश कई लेखनी में नज़र आई.
योगेश को इस फिल्म के गीत लिखने के मौका मिल गया.
ये सब आप दूसरी जगह पढ़ चुके होंगे अतः कहानी मैं इधर
रिपीट नहीं करूँगा.

गीत का पहला अन्तरा काफी गहराई वाला है. कम शब्दों में
पूरी जीवन-गाथा है. ईश्वर ने ये जो मन नाम की चीज़ दे दी
है मनुष्य को वो उसे मायाजाल में उलझाये रखती है. सपने,
अभिलाषाएं, आकांक्षायें, अपेक्षाएं और  बंधनों के भंवर से
मनुष्य जीवन पर्यंत निकल नहीं पाता और तेरा-मेरा करते-करते
एक दिन सब यहीं धरा रह जाता है.




गीत के बोल:t

ज़िंदगी कैसी है पहेली हाय
कभी तो हंसाये कभी ये रुलाये
ज़िंदगी कैसी है पहेली हाय
कभी तो हंसाये कभी ये रुलाये

कभी देखो मन नहीं जागे
पीछे पीछे सपनों के भागे
कभी देखो मन नहीं जागे
पीछे पीछे सपनों के भागे
एक दिन सपनों का राही
चला जाए सपनों के आगे कहाँ

ज़िंदगी कैसी है पहेली हाय
कभी तो हंसाये कभी ये रुलाये

जिन्होंने सजाए यहाँ मेले
सुख दुःख संग-संग झेले
जिन्होंने सजाए यहाँ मेले
सुख दुःख संग-संग झेले
वही चुन कर ख़ामोशी
यूँ चली जाए अकेले कहाँ

ज़िंदगी कैसी है पहेली हाय
कभी तो हंसाये कभी ये रुलाये
.................................................................
Zindagi kaisi hai paheli-Anand 1970

Artist: Rajesh Khanna, Amitabh Bachchan, Sumita Sanyal

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Apr 22, 2018

पास आओ ना-चला मुरारी हीरो बनने १९७७

सन १९७७ की असरानी निर्देशित फिल्म से अगला गीत सुनते हैं
जो असरानी और सिमी ग्रेवाल पर फिल्माया गया है. योगेश के
लिखे गीत को आशा भोंसले ने गाया है. संगीत है पंचम का.

गीत में जो बहुत सारा कुछ दिखलाई दे रहा है उसमें एक बड़ी सी
कार और फिल्म की हीरोईन बिंदिया गोस्वामी भी नज़र आती हैं.





गीत के बोल:

क्या सोच रहे हो प्यार करते हो और सोचते हो
नौटी
सोचो मत खो जाओ सब भूल जाओ
देखो मेरी तरफ क्या मैं सोचती हूँ ऊं हूँ
जो दिल में आता है वही करती हूँ
जितनी दुनिया की परवाह करोगे
आपने आप से दूर होते जाओगे
सो लेट्स गो कहीं दूर चलें
……………………………………………………….
Paas aao na-Chala murari hero banne 1977

Artists: Simi Garewal, Asrani

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खोये हो आखिर किस बेखुदी में-चला मुरारी हीरो बनने १९७७

आज आपको सन १९७७ की एक फिल्म से आशा भोंसले का गाया
एक गीत सुनवाते हैं. गीत का वीडियो उपलब्ध नहीं है अतः इसका
विवरण देने की इच्छा नहीं हो रही है. फिर भी हम आपको इसके
गीतकार और संगीतकार का नाम बतलाये देते हैं. आँख मूँद कर
कॉपी पेस्ट करने वालों का ध्यान रखना भी तो ज़रूरी है आखिर.

गायिका: आशा भोंसले
गीतकार: योगेश
संगीत: आर डी बर्मन




गीत के बोल:

खोये हो आखिर किस बेखुदी में
कुछ और भी है हो इस जिंदगी में
नज़ारे सुहाने खुशी के तराने
जुबी ज़ुबिया जुबी ज़ुबिया जुबी ज़ुबिया
जुबी जुबी ज़ुबिया


दिल में तेरे ही नहीं मेरे भी कहीं ना कहीं
कोई तो अरमान है
कल के भरोसे पर होता है जो बेखबर
आज से नादान है
कोई गम है अगर करने की तू फिकर
हम भी तो साथी हैं तेरे हमसफ़र

हो खोये हो आखिर किस बेखुदी में
कुछ और भी है हो इस जिंदगी में
नज़ारे सुहाने खुशी के तराने
राही मंजिलों के रास्तों की मुश्किलों से कभी
हारते थकते नहीं
जिसमें है दम कभी उसके कदम कहीं राहों में
रुकते नहीं
छोडो भी मायूसी तोडो भी ख़ामोशी
आने दो होंठों पे थोड़ी तो हंसी

हो खोये हो आखिर किस बेखुदी में
कुछ और भी है हो इस जिंदगी में
नज़ारे सुहाने खुशी के तराने
जुबी ज़ुबिया जुबी ज़ुबिया जुबी ज़ुबिया
जुबी जुबी ज़ुबिया
जुबी ज़ुबिया जुबी ज़ुबिया जुबी ज़ुबिया
जुबी जुबी ज़ुबिया
जुबी ज़ुबिया जुबी ज़ुबिया जुबी ज़ुबिया
जुबी जुबी ज़ुबिया
..........................................................
Khoye ho aakhir kis bekhudi mein-Chala murari hero banne 1977

Artist:

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Apr 19, 2018

दो पल की है ये जिंदगानी-चला मुरारी हीरो बनने १९७७

फिल्म चला मुरारी हीरो बनने फिल्म से हमने आपको तीन
गीत सुनवा दिए हैं अभी तक. हमें समझ नहीं आया कि आप
बाकी के गीत सुनना चाहते हैं या नहीं इसलिए सुनवाए नहीं.

फिर भी हम आपको चौथा गीत सुनवा ही देते हैं इस फिल्म
से. योगेश के लिखे गीत को आशा भोंसले ने गाया है और
इसका संगीत आर डी बर्मन ने तैयार किया है. जिस अभिनेत्री
पर इसे फिल्माया गया है उसका नाम जैसे ही पता चलेगा
हम आपको तुरंत बतलायेंगे.

गीत कि धुन एक पुरानी फिल्म के गीत से मिलती है. वो
गीत भी आशा भोंसले ने ही गाया है. उस गीत के संगीतकार
एस डी बर्मन हैं.




गीत के बोल:

आसान हैं, सुन कर लिख लें.

................................................................
Do pal ki hai ye zindagani-Chala murari hero banne 1977

Artist: Maloom nahin

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Mar 6, 2018

कैसे दिन जीवन में आये-अपने पराये १९८०

फिल्म अपने पराये से एक गीत सुनते हैं योगेश का लिखा हुआ.
जीवन के अनुभवों को समेटे हुए ये गीत आँखों के सामने घूमने
वाली एक फिल्म की तरह है.

जीवन में कब कहाँ क्या छूट जाता है हाथ से छूटी रेत के मानिंद
इंसान समझ नहीं पाता.

फिल्म में अमोल पालेकर और शबाना आज़मी की प्रमुख भूमिकाएं
हैं. फिल्म में संगीत बप्पी लहरी का है. गीत किशोर कुमार ने गाया
है.




गीत के बोल:

कैसे दिन जीवन में आये हुये वो अपने पराये
द्वार देहरी वो घर आँगन बन गया परदेस
कैसे दिन जीवन में आये हुये वो अपने पराये
द्वार देहरी वो घर आँगन बन गया परदेस

सभी अपने खोये सुख में सभी अपने खोये दुख में
हो ओ ओ सभी अपने खोये सुख में सभी अपने खोये दुख में
कौन देखे मेरे मन पे लगी है क्या ठेस
बन गया परदेस छूटा अपना देस
द्वार देहरी वो घर आँगन बन गया परदेस

मेरे अवगुण सभी देखें मेरे दुर्गुण सभी देखें
मेरे अवगुण सभी देखें मेरे दुर्गुण सभी देखें
कोई न पूछे उजड़ा कैसे मेरे मन का देस
बन गया परदेस छूटा अपना देस
द्वार देहरी वो घर आँगन बन गया परदेस

सारे बंधन सारे नाते यूँ ना पल में बिखर जाते
हो ओ ओ सारे बंधन सारे नाते यूँ ना पल में बिखर जाते
लोग बदले जैसे बदले यहाँ मौसम भेस
बन गया परदेस छूटा अपना देस
द्वार देहरी वो घर आँगन बन गया परदेस

कैसे दिन जीवन में आये हुये वो अपने पराये
द्वार देहरी वो घर आँगन बन गया परदेस
……………………………………………………….
Kaise din jeevan mein aaye-Apne paraye 1980

Artists: Amol Palekar, Shabana Azmi

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Feb 15, 2018

न बोले तुम न मैंने कुछ-बातों बातों में १९७९

फिल्म गोलमाल से सुर्ख़ियों में आये अमोल पालेकर के बारे
में उस समय की पत्रिकाओं में काफी लिखा जाता था जैसे
आज का सुपरस्टार, सभी स्टारों को पीछे छोड़ने वाला इत्यादि.

अमोल पालेकर अच्छे कलाकार तो हैं मगर वे कमर्शियल सिनेमा
के सुपर स्टार ना बन सके. सुपरस्टार बनने के लिए सबसे
पहली शर्त शायद नाक-नक्श लुभावने होने चाहिए. अभिनय से
अपनी धाक ज़माने वाले अमोल पालेकर को बतौर नायक काफी
फिल्मों में मौके मिले.

आज जिस फिल्म से गीत सुनेंगे वो भी अपने समय की एक
सफल और हिट फिल्म है जिसके गीत भी खूब चले और आज
भी बजते हैं. गीत एक पार्टी सोंग है जिसे आशा भोंसले और
आमिर कुमार ने गाया है. योगेश के बोल हैं और इसका संगीत
राजेश रोशन ने तैयार किया है.



गीत के बोल:

न बोले तुम न मैंने कुछ कहा कहा
मगर न जाने ऐसा क्यों लगा लगा
के धूप में खिला है चाँद दिन में रात हो गई
ये प्यार की बिना कहे सुने ही बात हो गई
न बोले तुम न मैंने कुछ कहा कहा
मगर न जाने ऐसा क्यों लगा लगा
के धूप में खिला है चाँद दिन में रात हो गई
ये प्यार की बिना कहे सुने ही बात हो गई

बदल रही है ज़िंदगी बदल रहे हैं हम
हो ओ ओ ओ ओ हो ओ ओ ओ ओ
थिरक रहे हैं जाने आज क्यों मेरे कदम
मेरे कदम मेरे कदम
किसी को हो न हो मगर हमें तो है पता

न बोले तुम न मैंने कुछ कहा कहा
मगर न जाने ऐसा क्यों लगा लगा
के धूप में खिला है चाँद दिन में रात हो गई
ये प्यार की बिना कहे सुने ही बात हो गई

घुली सी आज साँसों में किसी की साँस है
साँस है साँस है
ये कौन आज दिल के मेरे आस-पास है
हो ओ ओ ओ ओ हो ओ ओ ओ ओ
ये धीरे धीरे हो रहा है प्यार का नशा

न बोले तुम न मैंने कुछ कहा कहा कहा कहा
मगर न जाने ऐसा क्यों लगा लगा लगा लगा
के धूप में खिला है चाँद दिन में रात हो गई
ये प्यार की बिना कहे सुने ही बात हो गई
हो ओ ओ ओ ओ हो ओ
हो ओ ओ ओ ओ हो ओ

ये लग रहा है सारी उलझनें सुलझ गईं
सुलझ गईं सुलझ गईं
ये धड़कनों की बात धड़कने समझ गईं
न बोलिये की बोलने को कुछ नहीं रहा

न बोले तुम न मैंने कुछ कहा कहा
मगर न जाने ऐसा क्यों लगा लगा
के धूप में खिला है चाँद दिन में रात हो गई
ये प्यार की बिना कहे सुने ही बात हो गई
न बोले तुम न मैंने कुछ कहा कहा
मगर न जाने ऐसा क्यों लगा लगा
के धूप में खिला है चाँद दिन में रात हो गई
ये प्यार की बिना कहे सुने ही बात हो गई
...................................................................
Na bole tum na maine kuchh-Baaton baton mein 1979

Artists: Amol Palekar, Tina Munim

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Apr 15, 2017

आये तुम याद मुझे-मिली १९७५

गीतकार योगेश के गीतों को टटोलते हुए मैंने ये पाया कि
संगीतकार शंकर जयकिशन के लिए योगेश का लिखा कोई
भी गीत नहीं है.

योगेश ने सलिल चौधरी, एस डी बर्मन, आर डी बर्मन और
अन्य संगीतकारों के लिए गीत लिखे. योगेश ने अधिकतर
उन संगीतकारों के लिए गीत लिखे जो कभी शैलेन्द्र से गीत
लिखवाया करते थे.

शंकर जयकिशन ने सत्तर के दशक में कई गीतकारों की
सेवाएं लीं जिनमें केवल हसरत जयपुरी ही उनके पुराने
साथियों में से एक थे साथ में. कुछ समय तक नीरज ने
भी गीत लिखे उनके लिए. सब प्रयोगों के बावजूद वो बात
नहीं आ पाई जो सन १९६५ के पहले तक कायम थी.

योगेश हालांकि ढेर सारे गीत लिखने वालों की सूची में
काफी नीचे स्थान पर हैं मगर हिंदी फिल्म संगीत के कुछ
बढ़िया गीत उनके खाते में भी हैं. फिल्म मिली में उनके
लिखे गीत ही हैं. किशोर कुमार के गाये दो गीत काफी
पॉपुलर हैं इस फिल्म के. एक पहले आप सुन चुके हैं अब
दूसरा सुनते हैं. ये भी दर्द भरा गीत है.



गीत के बोल:

हाए तुम याद मुझे गाने लगी हर धड़कन
ख़ुशबू लाई पवन महका चंदन
आए तुम याद मुझे

जिस पल नैनों में सपना तेरा आए
उस पल मौसम पे मेंहंदी रच जाए
और तू बन जाये जैसे दुल्हन
आए तुम याद मुझे गाने लगी हर धड़कन

जब मैं रातों में तारे गिनता हूँ
और तेरे कदमों की आहट सुनता हूँ
लगे मुझे हर तारा तेरा धरपन
आए तुम याद मुझे गाने लगी हर धड़कन

हर पल मन मेरा मुझसे कहता है
जिसकी धुन में तू खोया रहता है
भर दे फूलों से उसका दामन
आए तुम याद मुझे गाने लगी हर धड़कन
………………………………………………………………
Aaye tum yaad mujhe-Mili 1975

Artists: Amitabh bachchan, Jaya Bhaduri

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Apr 7, 2017

हम और तुम थे साथी-हमारे तुम्हारे १९७९

गीतकार योगेश का लिखा एक उम्दा गीत सुनते हैं १९७९
की फिल्म हमारे तुम्हारे से. किशोर कुमार के गाये इस
गीत की तर्ज़ बनाई है आर डी बर्मन ने.

संजीव कुमार और राखी अभिनीत इस फिल्म का विषय
दुखद सा है. फिल्म के कथानक में बिछुडना मिलना है
इसलिए ये गीत जो फिल्म में २-३ बार बजता है, दर्द 
भरा है.




गीत के बोल:

हम और तुम थे साथी
अभी है कल की बात
आज सफ़र में तुमने क्यों
छोड़ दिया मेरा साथ

कैसे हैं ये अंधेरे ढलते नहीं
मीलों तलक़ उजाले मिलते नहीं
हमारे तुम्हारे
हमारे तुम्हारे जीवन में कैसे आई
ये अंधियारी रात
आज सफ़र में तुमने क्यों
छोड़ दिया मेरा साथ

जलता है दिल मैं फिर भी खामोश हूँ
किससे करूँ मैं शिकवा क्या दोष दूँ
हमारे तुम्हारे
हमारे तुम्हारे सपने जो सच हुए थे
थामे हैं मेरा हाथ
आज सफ़र में तुमने क्यों
छोड़ दिया मेरा साथ
........................................................................
Ham aur tum the sathi-Hamare tumhare 1979

Artists: Sanjeev Kumar, Rakhi

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Apr 6, 2017

आ हमसफ़र प्यार की सेज पर –चटपटी १९८२

स्मिता पाटिल और श्रीराम लागू की यादगार भूमिकाओं वाली
फिल्म है चटपटी. इस फिल्म से एक मधुर युगल गीत सुनते
हैं किशोर और लता का गाया हुआ. यही गीत ७० के दशक
की एक फिल्म यास्मीन में भी इस्तेमाल हुआ था. दोनों फिल्मों
का संगीत बासु-मनोहारी द्वारा तैयार किया गया था. बासु और
मनोहारी आर डी बर्मन के सहायक रहे हैं.

गीत योगेश का लिखा हुआ है. फिल्म का यही गीत सबसे ज्यादा
लोकप्रिय है उसके अलावा फिल्म का शीर्षक गीत रोचक है जिसे
आशा भोंसले ने गाया है.



गीत के बोल:

आ आ आ आ
आ  हमसफ़र  प्यार की सेज पर
कुछ कहें  कुछ सुनें
जाग के रात भर
आ  हमसफ़र  प्यार की सेज पर
कुछ कहें  कुछ सुनें
जाग के रात भर 
आ आ आ आ आ हमसफ़र

इतना प्यार तू सनम  लाया है कहाँ से
इतना रूप तू सनम लाई है जहाँ से
मैं जो भी हूँ वो है  तेरे प्यार का असर
कहीं लग न जाए तुझको मेरी नज़र
आ  हमसफ़र  हा हा हा प्यार की सेज पर
कुछ कहें  कुछ सुनें
जाग के रात भर 
आ आ आ आ आ हमसफ़र

आओ आज मिलें  कुछ तो खो के पा लें
आओ आज लुट के  कुछ तो हम चुरा लें
कहूँ क्या मैं दिल में  उठ रही है क्या लहर
गले मुझ से मिल के  हो जा तू बेखबर
आ हमसफ़र  प्यार की सेज पर
कुछ कहें  कुछ सुनें
जाग के रात भर 
हाँ हाँ आ आ हमसफ़र प्यार की सेज पर
कुछ कहें कुछ सुनें
जाग के रात भर
हाँ हाँ आ आ आ हमसफ़र
.............................................................
Aa hamsafar pyar ki sej par-Chatpati 1982

Artists: Smita Patil, Rajkiran

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Feb 16, 2017

आई आई घिर घिर सावन की-अनोखा दान १९७२

कुछ इमोशंस कॉम्प्लेक्स होते हैं, कुछ गीत कॉम्प्लेक्स होते हैं.
किसी किसी गीत का संगीत कॉम्प्लेक्स होता है. सलिल चौधरी
के संगीत में कॉम्प्लेक्स तत्व काफी पाया जाता था.

अनोखा दान से एक कर्णप्रिय गीत आपने पहले सुना अब सुनते
हैं किशोर कुमार का गाया एक गीत जिसमें सबीता बैनर्जी ने
भी अपना स्वर दिया है. योगेश गौड़ ने इस गीत को लिखा है.



   
गीत के बोल:

आई आई घिर घिर सावन की काली काली घटायें
झूम झूम चलीं भीगी भीगी हवायें
ऐसे में मन मेरे कुछ तो कहो
कुछ तो कहो चुप ना रहो
आई आई घिर घिर सावन की घटायें
झूम झूम चलीं भीगी भीगी हवायें
ऐसे में मन मेरे कुछ तो कहो
कुछ तो कहो चुप ना रहो

जो ख्यालों में रहते हैं मुझे अपना कहते हैं
जो ख्यालों में रहते हैं मुझे अपना कहते हैं
मेरे सुख दुःख जो सारे हंस के जो सहते हैं
वो दूर से मजबूर से कहीं दे रहे हैं पनाहें
आई आई घिर घिर सावन की काली काली घटायें
झूम झूम चलीं भीगी भीगी हवायें
ऐसे में मन मेरे कुछ तो कहो
कुछ तो कहो चुप ना रहो

रंग मौसम का ही बदले रात हो या के दिन निकले
रंग मौसम का ही बदले रात हो या के दिन निकले
उनसे ही चलते हैं साँसों के सिलसिले
ए मेरे दिल चल अब उनसे मिल धडकनें यही गायें
आई आई घिर घिर सावन की काली काली घटायें
झूम झूम चलीं भीगी भीगी हवायें
ऐसे में मन मेरे कुछ तो कहो
कुछ तो कहो चुप ना रहो

याद उनकी जहाँ आये एक नशा सा छलक जाए
याद उनकी जहाँ आये एक नशा सा छलक जाए
मैं सम्भालूँ दिल को दिल मुझे समझाए
सब रूत खिले ऐसा साथी होश में क्यूँ आयें

आई आई घिर घिर सावन की काली काली घटायें
झूम झूम चलीं भीगी भीगी हवायें
ऐसे में मन मेरे कुछ तो कहो
कुछ तो कहो चुप ना रहो
.................................................................
Aayi ghir ghir sawan ki-Anokha daan 1972

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Dec 10, 2016

बड़ी सूनी सूनी है-मिली १९७५

संगीतकार सचिन देव बर्मन की उपस्थिति ४० के दशक से ७० के
दशक तक बनी रही फिल्म संगीत क्षेत्र में. ये श्रेय उनके अलावा केवल
एक और संगीतकार को जाता है-नौशाद. नौशाद तो आगे तक चले
और २००० में भी उनका संगीत सुनाई दिया एक फिल्म में. नौशाद
ने सचिन देव बर्मन से काफी पहले पदार्पण किया था फिल्म संगीत
क्षेत्र में.

सचिन देव बर्मन की खूबी रही वे समय के अनुसार अपने संगीत
में बदलाव करते चले मगर अपनी भारतीयता की मर्यादाएं उन्होंने
बनाये रखीं. इसी वजह से उनके बनाये गीत आज भी लोकप्रिय हैं.

निरंतरता अगर दोनों की खूबी रही तो उनकी फैन-फौलोविंग भी बनी
रही समय के साथ. नौशाद ७० के दशक में थोडा धीमे हो गए और
८० के दशक में आई फिल्म धर्मकांटा से पहले तक फ़िल्मी जनता
उनको भूलना शुरू कर चुकी थी. फिल्मी जनता से तात्पर्य है फिल्म
जगत के निर्माता-निर्देशक.

प्रस्तुत गीत उनका कम्पोज किया हुआ अंतिम फ़िल्मी गीत है, मिली
ज़ल्दी रिलीज़ हो गयी. उनके संगीत से सजी २-३ फ़िल्में बाद में आईं
ये भी एक सयोग ही है उनका अंतिम गीत जिंदगी की थीम पर है.
गीत योगेश का लिखा हुआ है.




गीत के बोल:

बड़ी सूनी सूनी है ज़िन्दगी ये ज़िन्दगी
मैं खुद से हूँ यहाँ अजनबी अजनबी
बड़ी सूनी सूनी है

कभी एक पल भी
कहीं ये उदासी दिल मेरा भूले
कभी मुस्कुराकर दबे पाँव आकर
दुःख मुझे छू ले
न कर मुझसे ग़म मेरे
दिल्लगी ये दिल्लगी
बड़ी सूनी सूनी है

कभी मैं न सोया
कहीं मुझसे खोया सुख मेरा ऐसे
पता नाम लिख कर कहीं यूँ ही रख कर
भूले कोई जैसे
अजब दुख भरी है ये
बेबसी ये बेबसी

बड़ी सूनी सूनी है ज़िन्दगी ये ज़िन्दगी
मैं खुद से हूँ यहाँ अजनबी अजनबी
बड़ी सूनी सूनी है
..............................................................................
Badi sooni sooni hai-Mili 1975

Artists: Amitabh Bachchan, Jaya Bhaduri

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Nov 2, 2016

नि स ग म प नि-आनंद महल १९७७

सन १९७७ की एक फिल्म है आनंद महल जिसका निर्देशन किया
बासु भट्टाचार्य ने. विजय अरोड़ा और सारिका इस फिल्म के प्रमुख
कलाकार हैं.

इस फिल्म से येसुदास का गाया एक गीत सुनते हैं. योगेश के लिखे
गीत की तर्ज़ बनाई है सलिल चौधरी ने. सुनने में सरल मगर कठिन
हैं धुन इसकी. गुनगुनाने वाले के लिए इस गीत में भटक जाने के
लिए कई मोड हैं. सलिल के संगीत की यही विशेषता है. गाने वाले
के लिए कब खाई आ जाए और कब पहाड़ की ऊंची चोटी अनुमान
लगा पाना कठिन होता था.

सुनिए ये गीत और इसका आनंद लीजिए. गीत काफी पहले बन चुका
था मगर फिल्म देर से रिलीज़ हुई इसलिए ये गीत बाद में सुनाई
देना शुरू हुआ.





गीत के बोल:

नि स ग म प नि स रे ग
आ आ रे मितवा
जनम जनम से हैं हम तो प्यासे
आ संग मेरे गा
नि स ग म प नि स रे ग
आ आ रे मितवा
जनम जनम से हैं हम तो प्यासे
आ संग मेरे गा
नि स ग म प नि स रे ग

सपना देखें मेरे खोये खोये नैना
मितवा मेरे आ तू भी सीख ले सपने देखना
सपना देखें मेरे खोये खोये नैना
मितवा मेरे आ तू भी सीख ले सपने देखना

नि स नि ध प म ग रे स
नि स ग म प नि स रे ग
आ आ रे मितवा
जनम जनम से हैं हम तो प्यासे
आ संग मेरे गा
नि स ग म प नि स रे ग

जाने ना तू ग़म की गहराईयाँ
आ जा कट जायें मेरी तनहाईयाँ
जाने ना तू ग़म की गहराईयाँ
आ जा कट जायें मेरी तनहाईयाँ
आ भी जा बरसा दे प्रीत का सावन
बरसों के जलते मन की
बुझ जाये अगन आ भी जा
बरसा दे प्रीत का सावन
बरसों के जलते मन की
बुझ जाये अगन

नि सा नि सा नि ध प ध प म  ग ग म रे सा

नि स ग म प नि स रे ग
आ आ रे मितवा
जनम जनम से हैं हम तो प्यासे
आ संग मेरे गा
नि स ग म प नि स रे ग
आ आ आ

ग प ध नि द
ग प ध नि ध नि ध प ग प ध नि द
स ग प ध
ध नि स ध नि प ध नि प ध, ग म ध प ध
नि प रे नि प ग स
नि स नि स प ध नि ध ग म प ग म रे स
नि स ग म प नि स रे ग
आ आ रे मितवा
जनम जनम से हैं हम तो प्यासे
आ संग मेरे गा
नि स ग म प नि स रे ग
आ आ आ
.................................................................................
Ni sa ga ma pa-Anand Mahal 1977

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Oct 17, 2016

आज कोई नहीं अपना-अग्निपरीक्षा १९८१

गायिका लता मंगेशकर के लिए सलिल चौधरी ने एक से बढ़कर एक
कठिन धुनें बनाईं. ८० के दशक में ये सिलसिला थोडा कम हुआ
क्यूंकि सलिल के संगीत वाली हिंदी फ़िल्में कम हो गईं. १९८१ की
एक फिल्म है अग्निपरीक्षा जिसमें परीक्षित साहनी, अमोल पालेकर
और रामेश्वरी प्रमुख कलाकार हैं.

आज अग्निपरीक्षा से योगेश का लिखा एक गीत सुनते हैं. इस फिल्म
का यही गीत सबसे ज्यादा लोकप्रिय है. इस गीत के इन्स्ट्रुमेन्टल
वर्ज़न भी उतने ही लोकप्रिय हैं. प्रस्तुत गीत का वीडियो दुर्लभ है.



गीत के बोल:

आज कोई नहीं अपना किसे ग़म ये सुनाएं
तड़प-तड़प कर यूँ ही घुट-घुट कर
दिल करता है मर जाएं
आज कोई नहीं अपना किसे ग़म ये सुनाएं

सुलग-सुलग कर दिन पिघले दिन पिघले
आँसुओं में भीगी-भीगी रात ढले
सुलग-सुलग कर दिन पिघले दिन पिघले
आँसुओं में भीगी-भीगी रात ढले
हर पल बिखरी तन्हाई में
यादों की शमा मेरे दिल में जले
तुम ही बतला दो हमें
हम क्या जतन करें ये शमा कैसे बुझाएं

आज कोई नहीं अपना किसे ग़म ये सुनाएं

न हमसफ़र कोई न कारवां न कारवां
ढूँढें कहाँ तेरे क़दमों के निशां
न हमसफ़र कोई न कारवां न कारवां
ढूँढें कहाँ तेरे क़दमों के निशां
जब से छूटा साथ हमारा
बन गई साँसें बोझ यहाँ
बिछड़ गए जो तुम
किस लिये माँगें हम फिर जीने की दुआएं

आज कोई नहीं अपना किसे ग़म ये सुनाएं
तड़प-तड़प कर यूँ ही घुट-घुट कर
दिल करता है मर जाएं
आज कोई नहीं अपना किसे ग़म ये सुनाएं
.....................................................................
Aaj koi nahin apna-Agnipariksha 1981

Artists: Rameshwari, Parikshit Sahni, Amol Palekar

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Jun 22, 2016

आँखों आँखों में हर एक रात-मार्वल मैन १९६४

गुमनाम फिल्मों और अनजान कलाकारों के चर्चे आगे बढ़ाते
हुए एक गीत सुनते हैं सन १९६४ की फिल्म मार्वल मैन से.
रोबिन बैनर्जी के संगीत से सजी इस फिल्म में महेश कुमार,
शकीला बानो भोपाली, राजन कपूर, धनराज और पोल्सन ने
काम किया. उसके अलावा और भी रहे होंगे कई ऐसे कलाकार
जिन्हें हम नहीं पहचानते हैं.

इंडो-अफ्रिका प्रोडक्शंस बैनर तले बनी इस फिल्म का निर्देशन
बी जे पटेल साहब ने किया था.

प्रस्तुत गीत योगेश का लिखा हुआ है और इसे गाया है एक
प्रतिभावान मगर कम अवसर प्राप्त गायिका मुबारक बेगम ने.
योगेश ने भी सरल शब्दों के जमावड़े में विश्वास रखा और यूँ
रखा कि उन्हें ज्यादा लच्छों और तुकबंदियों की ज़रूरत नहीं
पड़ी. सारा खेल शब्दों की जमावट का है, शब्द वही होते हैं
मगर तरीके बदल जाते हैं. कहीं ये भाषण हो जाते हैं तो कहीं
प्रवचन.   



गीत के बोल:

आँखों आँखों में हर इक रात गुज़र जाती है
आँखों आँखों में हर इक रात गुज़र जाती है
तुम नहीं आते हो तो याद भी क्यों आती है
आँखों आँखों में हर इक रात गुज़र जाती है

हम खयालों में बुला लेते हैं अक्सर तुमको
हम खयालों में बुला लेते हैं अक्सर तुमको
जब तबियत ज़रा तन्हाई से घबराती है
जब तबियत ज़रा तन्हाई से घबराती है

आँखों आँखों में हर इक रात गुज़र जाती है

हर इक आहट पे यूँ हम चौंक उठा करते हैं
हर इक आहट पे यूँ हम चौंक उठा करते हैं
जिस तरह बिजली घटाओं में चमक जाती है
तुम नहीं आते हो तो याद भी क्यों आती है

आँखों आँखों में हर इक रात गुज़र जाती है
..............................................................
Ankhon ankhon mein hare k raat-Marvel Man 1964

Artist-Shakeela Bano Bhopali

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Jun 11, 2016

हाथों में हाथ हम ले कर-चला मुरारी हीरो बनने १९७७

आपको फिल्म चला मुरारी हीरो बनने से दो गीत सुनवा चुके
हैं. आज फिल्म से तीसरा गीत सुनते हैं. पिछली चर्चा में हमने
आपको बतलाया था कि फिल्म हरे कांच की चूडियाँ से अपने
कैरियर की शुरुआत करने वाले असरानी का कैरियर तो चल
निकला मगर फिल्म हरे कांच की चूडियाँ की नायिका नैना साहू
कर कैरियर ज्यादा नहीं चल पाया. फिल्म किशोर साहू ने शायद
अपनी पुत्री को लॉन्च करने के लिए ही बनायीं थी. फिल्म के
नायक विश्वजीत थे जिनकी सेहत पर इस फिल्म के चलने न
चलने का कोई असर नहीं पड़ा. विश्वजीत को वैसे भी श्वेत श्याम
का दौर ही पसंद था शायद, रंगीन फिल्मों के दौर के शुरू होते
ही उनका कैरियर ढलान पर जाना शुरू हो गया.

बात में से बात निकल आती है. करने को बहुत सी बातें हैं मगर
समय और संसाधन सीमित होने की वजह से संभव नहीं हो पाता
कि पांच पन्ने का निबंध लिखा जाए.  पांच पन्ने का निबन्ध
आपको ज़रूर याद होगा गर आपने जया भादुड़ी की फिल्म गुड्डी
देखी हो.

आइये गीत के बारे में चर्चा करें जिसे आज आप सुनेंगे और देखेंगे.
ये है लता मंगेशकर का गाया हुआ और योगेश का लिखा हुआ गीत.




गीत के बोल:


हाथों में हाथ हम ले कर
तेरा करते हैं वादा सनम
आज ज़मीन पे हम तो कहीं पे
रखेंगे अब न कदम
हाथों में हाथ हम ले कर
तेरा करते हैं वादा सनम
आज ज़मीन पे हम तो कहीं पे
रखेंगे अब न कदम
उड़ते ही रहेंगे हम तो हवाओं में
देखेंगे दुनिया तेरी निगाहों में
हाँ, हाथों में हाथ हम ले कर
तेरा करते हैं बादा सनम
आज ज़मीन पे हम तो कहीं पे
रखेंगे अब न कदम
उड़ते ही रहेंगे हम तो हवाओं में
देखेंगे दुनिया तेरी निगाहों में

ऊपर चाँद सितारों से खिला है आसमान
नीचे रौशनी का है जहाँ
ऊपर चाँद सितारों से खुजला है आसमान
नीचे रौशनी का है जहाँ
हाथों में हाथ हम ले कर
तेरा करते हैं वादा सनम
आज ज़मीन पे हम तो कहीं पे
रखेंगे अब ना कदम
उड़ते ही रहेंगे हम तो हवाओं में
देखेंगे दुनिया तेरी निगाहों से

फुर्सत है किसे जो आज देखे गम
के चलते जा रहे हैं झूम के
फुर्सत है किसे जो आज देखे गम
के चलते जा रहे हैं झूम के

हाथों में हाथ हम ले कर
तेरा करते हैं वादा सनम
आज ज़मीन पे हम तो कहीं पे
रखेंगे अब ना कदम
उड़ते ही रहेंगे हम तो हवाओं में
देखेंगे दुनिया तेरी निगाहों से
...............................................................................
Hathon mein haath ham le kar-Chala murari hero banne 1977

Artists-Bindiya Goswami, Asrani

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