Nov 7, 2010

मोरी अटरिया पे कागा-आँखें १९५०

सुनहरे दिन का गीत सुनते ही जाने क्यूँ दिमाग में स्वतः ही सन ५०
की फिल्म 'ऑंखें' का ये गीत आ जाता है-मोरी अटरिया पे कागा बोले।
इसकी तर्ज़ बनाई है मदन मोहन ने। मीना कपूर ने इसे गाया है परदे पर
उछलती कूदती अभिनेत्री नलिनी जयवंत के लिए। पंडित भारत व्यास की
कलम से ये गीत निकला है। रेडियो पर बारम्बार बजा ये गीत आपको आज
भी शायद सुनाई दे जाता होगा । उपलब्ध दुर्लभ विडियो की गुणवत्ता थोड़ी कम
है मगर काम चलाया जा सकता है। इसको प्रथम बार देखने पर मुझे नलिनी
जयवंत को पहचानने में काफी कसरत करना पड़ी। इसमें नलिनी बीमार सी
दिखाई दे रही हैं। उसके अलावा कुछ विडियो ज्यादा हिलडुल रहा है और कुछ
नलिनी।




गीत के बोल:

मोरी अटरिया पे कागा बोले
मोरा जिया डोले
कोई आ रहा है
मोरी अटरिया पे कागा बोले
मोरा जिया डोले
कोई आ रहा है

मोरे मन में उठी है उमंग रे
ओ मोरा फडके है बांया अंग रे
मोरे मन में उठी है उमंग रे
ओ मोरा फडके है बांया अंग रे
मोरे मन की मुरलिया पे हौले हौले
सुर खोले खोले
कोई गा रहा है

मोरी अटरिया पे कागा बोले
मोरा जिया डोले
कोई आ रहा है

आज बगिया में आई बाहर रे
ओ मेरे जीवन में सोलह सिंगार रे
हो मेरे जीवन में सोलह सिंगार रे
मोरे कान में गुन गुन बोले बोले
रस घोले घोले
कोई गा रहा है

मोरी अटरिया पे कागा बोले
मोरा जिया डोले
कोई आ रहा है

मोरे माथे पे कुमकुम की बिंदिया
आज लूंगी ना पल भर मैं निंदिया
मोरे माथे पे कुमकुम की बिंदिया
आज लूंगी ना पल भर मैं निंदिया
घर में ठंडी हवा मस्त डोले
घूंघट पट खोले
जिया लहरा रहा है

मोरी अटरिया पे कागा बोले
मोरा जिया डोले
कोई आ रहा है

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