मोरा गोरा अंग लईले-बंदिनी १९६३
इस गीत के लिए किसी विवरण की आवश्यकता नहीं है क्यूंकि
विवरण कई बार कई जगह पर आप पढ़ चुके होंगे। तब भी हम
उस विवरण को अपने अंदाज़ में आपके लिए परोस देते हैं।
फिल्म 'सितारों से आगे' के संगीत तैयार होने के वक़्त लता
और संगीतकार सचिन देव बर्मन में अनबन हुई थी जो कुछ
साल तक चली। उसके बाद लता ने जो पहला गीत एस. डी.
के लिए गाया वो यही था-फिल्म बंदिनी का गीत। दोनों के
सम्बन्ध फिर से मधुर बनाने में एस डी के पुत्र आर डी की
भूमिका भी थी। खैर जो हुआ अच्छा हुआ संगीत क्षेत्र के लिए।
लता की अनुपस्थिति में आशा भोंसले को बर्मन खेमे में गाने
का मौका मिला और उन्होंने कई अविस्मरणीय गीत गा लिए
उस दौरान । फिल्म 'लाजवंती' और 'चलती का नाम गाडी' ऐसी
कुछ फ़िल्में हैं जिनमे आपको लता का एक भी गीत नहीं मिलेगा
अन्यथा एस डी के संगीत वाली फिल्म में लता का एक गाना ना
हो, थोडा अचम्भे का विषय है कहा जाता है कि ये गुलज़ार का
प्रथम हिंदी फ़िल्मी गीत है। गीत के बोल हालाँकि शैलेन्द्र के
अंदाज़ वाले हैं और इसमें खट्टी मीठी आँखों का कोई जिक्र नहीं
है इसलिए थोडा संदेह सा होने लगता है कि इसका असली गीतकार
कौन है ? खैर हम उस जानकारी पर विश्वास करके चलते हैं जो
म्यूजिक एल्बम के विवरण द्वारा प्राप्त होती है।
गीत के बोल:
मोरा गोरा रंग लई ले, मोहे श्याम रंग दई दे
छुप जाऊँगी रात ही में, मोहे पी का संग दई दे
मोरा गोरा रंग लई ले, मोहे श्याम रंग दई दे
छुप जाऊँगी रात ही में, मोहे पी का संग दई दे
एक लाज़ रोके पईयाँ, एक मोह खींचे बईयाँ
एक लाज़ रोके पईयाँ, एक मोह खींचे बईयाँ
जाऊँ किधर ना जानू, हमका कोई बताई दे
हो ओ ओ ओ ओ ओ
मोरा गोरा रंग लई ले, मोहे श्याम रंग दई दे
छुप जाऊँगी रात ही में, मोहे पी का संग दई दे
बदरी हटा के चंदा, चुपके से झाँके चंदा
बदरी हटा के चंदा, चुपके से झाँके चंदा
तोहे राहू लागे बैरी मुसकाए जी जलाई के
हो ओ ओ ओ ओ ओ
मोरा गोरा रंग लई ले, मोहे श्याम रंग दई दे
छुप जाऊँगी रात ही में, मोहे पी का संग दई दे
कुछ खो दिया है पाइ के, कुछ पा लिया गँवाई के
कुछ खो दिया है पाइ के, कुछ पा लिया गँवाई के
कहाँ ले चला है मनवा मोहे बाँवरी बनाइ के
हो ओ ओ ओ ओ ओ
मोरा गोरा रंग लई ले, मोहे श्याम रंग दई दे
छुप जाऊँगी रात ही में, मोहे पी का संग दई दे
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