बहारों मेरा जीवन भी संवारो-आखरी ख़त १९६६
राजेश खन्ना की काले पीले ज़माने की फिल्म। इसमें उनके
साथ इन्द्राणी मुखर्जी और एक बच्चे ने काम किया है। पूरी
फिल्म बच्चे के इर्द गिर्द घूमती है। फिल्म के गीत कैफ़ी आज़मी
के लिखे हुए हैं और संगीत तैयार किया ख़य्याम ने। फिल्म से
एक लता का गाया मधुर गीत सुनवाते हैं आपको। चेतन आनंद
निर्देशित ये फिल्म एक बार ज़रूर देखनी चाहिए फिल्म प्रेमियों
को। बच्चे ने फिल्म के नायक नायिका से अच्छी एक्टिंग की है।
मन्नू भंडारी की एक कहानी-आपका बंटी पर आधारित इस फिल्म
ने अलोचाकों के बीच वाहवाही ज़रूर बटोरी भले ही टिकट घर पर
नोट ना बटोरें हों।
गीत के साथ प्रस्तुत कमेंट्स में एक जानकारी यूँ हैं-इस गीत के लिए
सितार वादक उस्ताद रईस खान को विशेष तौर पर पाकिस्तान से
बुलवाया गया था जबकि हमारे देश में सितार वादकों की कोई कमी
नहीं। दूसरे संगीतकार भी सितार वादकों की सेवाएँ नियमित रूप से
लेते रहे हैं। अब ये जानकारी कितनी प्रमाणिक है कहा नहीं जा सकता।
खैर बाकी की जानकारी भी दिए देते हैं आपको-ये गीत राग 'पहाड़ी '
पर आधारित है।
गीत के बोल:
बहारों, मेरा जीवन भी सँवारों
बहारों, मेरा जीवन भी सँवारों
कोई आए कहीं से
कोई आए कहीं से, यूँ पुकारो
बहारों, मेरा जीवन भी सँवारों,
बहारों
तुम्हीं से दिल ने सीखा है तड़पना
तुम्हीं से दिल ने सीखा है तड़पना
तुम्हीं को दोष दूंगी
तुम्हीं को दोष दूंगी, ऐ नज़ारों
बहारों, मेरा जीवन भी सँवारों,
बहारों
रचाओ कोई कजरा लाओ गजरा
रचाओ कोई कजरा लाओ गजरा
लचकती डालियों तुम
लचकती डालियों तुम, फूल बहारों
बहारों, मेरा जीवन भी सँवारों,
बहारों
लगाओ मेरे इन हाथों में मेहंदी
लगाओ मेरे इन हाथों में मेहंदी
सजाओ माँग मेरी
सजाओ माँग मेरी, या सिधारो,
बहारों, मेरा जीवन भी सँवारों,
बहारों
0 comments:
Post a Comment